अमरावती

इस वर्ष भी बारिश पूर्ण प्रबंधन में मनपा नाकाम

प्रशासक राज में भी ज्वलंत समस्याओं का पहाड कायम

* जगह-जगह गंदगी के ढेर, कचरें से भरी नालियां
* जर्जर इमारतों की स्थिति भी जैसे थे
* मनपा अधिकारियों को कैबिन से निकलने की फुरसत ही नहीं
अमरावती/दि.13– अमरावती महानगरपालिका द्बारा बारिश से पहले प्रबंधन के काम शुरु करने का दावा तो किया गया, लेकिन इस वर्ष भी मनपा प्रशासन बारिश पूर्व प्रबंधन में नाकाम रहा है. प्रशासक राज में कामकाज को गति मिलेगी. ऐसा कहा जा रहा था. लेकिन प्रशासक राज मेें भी शहर में ज्वलंत समस्याओं के पहाड कायम रहने से मनपा की कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे है. बारिश शुरु होने पर है, लेकिन अभी भी शहर के कई इलाकों में कचरें के ढेर कायम है. जर्जर इमारतों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई. सडक पर फैले पेडों के टहनियों की कटाई नहीं की गई. शहर की सडकों पर अतिक्रमण कम होने के जगह पर तेजी से बढ रहा है. इसके बाद भी मनपा प्रशासन द्बारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही. जिस पर लोगों ने मनपा प्रशासन को नाकारा करार देते हुए अधिकारियों को प्रत्यक्ष फिल्ड पर उतरकर काम निपटाने की अपेक्षा व्यक्त की है. दूसरी ओर मनपा के कैबिनों में बैठे अधिकारियों को कैबिन से बाहर निकलने की फुरसत कब मिलेगी, यह सवाल भी त्रस्त शहरवासी पूछ रहे है.
वर्तमान में मनपा में प्रशासक राज लागू है, ऐसे में प्रशासन की संपूर्ण जिम्मेदारी आयुक्त व प्रशासक के रुप में डॉ. प्रवीण आष्टीकर पर है. लेकिन वह भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में कम पड रहे है. आयुक्त ने मनपा अधिकारियों से बैठक कर बारिश से पहले महत्वपूर्ण काम निपटाने के निर्देश दिये गये थे. लेकिन इन निर्देशों को अधिकारियों ने हलके में लेकर आयुक्त के आदेश को कुडेदान दिखाया है. शहर के नालें साफ करने के नाम पर केवल नालें में का कचरा किनारे पर किया गया है. जिससे यह कचरा पहले ही मानसून पूर्व बारिश में फिर से नाले में समा गया. अब बरसात काल में इन नालों में कचरे के कारण पानी का बहाव रुकेंगा व यह पानी रिहायशी बस्तियों में घुसने का डर कायम है. विगत दिनों बरसी बारिश में मनपा के प्रबंधन की पोल खुल गई है. इसके बाद भी मनपा प्रशासन गंभीर नहीं है. इससे आगामी दिनों में शहर में बरसात का कहर व बीमारियों की लहर दौडने का डर है.
शहर में प्रशासक राज में स्वच्छता व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है. दूसरी ओर मनपा अधिकारियों की कमिशन की कमाई तेजी से बढ रही है. सबको अपने हिस्से की चिंता है, शहर की चिंता करना अधिकारियों ने छोड दिया है. ऐसे में मनपा के अधिकारी अपने सहुलियत के अनुसार कार्यालय में आते है. मतलब के काम पूरे कर निकल जाते है. फलस्वरुप शहर के हर इलाके में गंदगी व समस्याओं का अंबार बढते जा रहा है. शहर का एक भी फुटपाथ लोगों के लिए चलने के लिए नहीं बचा. इन फुटपाथों पर प्रशासन के आर्शिवाद से अतिक्रमण बढते ही जा रहा है. शहर के गांधी चौक, राजकमल चौक, जयस्तंभ चौक, चित्रा चौक, सरोज चौक, इर्विन चौक, रेल्वे स्टेशन परिसर, बस डिपो परिसर, इतवारा बाजार, नागपुरी गेट, कॉटन मार्केट रोड आदि समेत सभी प्रमुख मार्गों पर हॉकर्स, ऑटो चालक व दूकानदारों ने अतिक्रमण करने से इन रास्तों पर वाहन चलाना भी कठीन हो गया है. कहने को मनपा का अतिक्रमण विभाग कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अतिक्रमण विभाग की कार्रवाईयों में भी अपने मतलब के हिसाब से अतिक्रमण निकाला जा रहा है. फायदे के लोगों को अतिक्रमण कार्रवाई की तकलीफ न हो, इसका पूरा ख्याल अतिक्रमण विभाग रख रहा है. जिससे शहर में अतिक्रमण का जाल बढकर लोगों को चलने के लिए फुटपाथ तक नहीं बचे. इसके लिए मनपा प्रशासन व प्रशासन में कार्यरत अकार्यक्षम अधिकारी ही जिम्मेदार है. मनपा आयुक्त भी अपने काम में कम पड रहे है.
हाल ही में शहर में मानसून पूर्व बारिश ने दस्तक दी. इस बारिश से कई जगहों पर पानी के डोबरे थमे दिखे, कई पेड उखड गये, जो अभी भी सडक किनारे जस की तस पडे है. नालियों की स्वच्छता नहीं हो रही. प्रभाग स्वच्छता पर भी किसी का ध्यान नहीं है. मनपा का स्वच्छता विभाग केवल अपनी कमाई में ही व्यस्त रहने से वह स्वच्छता में नाकाम ठेकेदारों पर कार्रवाई करने से बच रहा है. ऐसे में शहर स्वच्छता का क्या होगा, इस सवाल का जवाब भी अब आयुक्त को देना पडेगा.

* अधिकारियों में समन्वय नहीं
अमरावती महानगरपालिका के अधिकारियों में किसी भी प्रकार का समन्वय नहीं है. सभी अधिकारी अपने-अपने मर्जी अनुसार काम कर रहे है, जिससे शहर की समस्याओं का निराकरण होने के स्थान पर इन समस्याओं में निरंतर वृद्धि हो रही है. शहर में पुलिस, महावितरण, जीवन प्राधिकरण, लोकनिर्माण विभाग आदि से समन्वय रखकर काम हुआ, तो शहर की समस्याओं का निराकरण संभव है. लेकिन हम हमारा देखेंगे, यहीं भूमिका मनपा अधिकारियों की रहने से समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा.

* मनपा आयुक्त के आदेश को कचरे की टोकरी
मनपा अधिकारी अपने-अपने काम पूर्ण इमानदारी से करें, यह आदेश मनपा आयुक्त ने जारी तो किये, लेकिन इन आदेशों का पालन कौन करेंगा, यह सवाल है. सभी अधिकारियों ने मनपा आयुक्त के आदेश को कचरें की टोकरी दिखाई है. जिससे मनपा आयुक्त को अपने अधिनस्त कर्मचारियों से काम करवाने की कसब दिखानी पडेगी. मनपा के अधिकारियों को भ्रष्टाचार की आदत लगी है, ऐसा जनप्रतिनिधियों ने एक आमसभा में कहा था. इस बात में सच्चाई है, तभी तो अधिकारी अपने कामों प्रति गंभीर नहीं है. अब आयुक्त ऐसे ही काम चलाते है, या प्रशासन को लाईन पर लाते है, यह उन्हें ही तय करना है.

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