अमरावती

बांध के लिए जमीन देने वाले कर रहे न्याय की प्रतीक्षा

पुनर्वसित गांव अब भी विकास से वंचित

अमरावती /दि.10– परतवाडा जिलांतर्गत सापन नदी प्रकल्प के लिए बांध एवं नहर हेतु अधिग्रहित की गई 501 हेक्टेअर जमीन में से 482477 हेक्टेअर जमीन निजी लोगों यानि किसानों द्बारा दी गई है. जिसके तहत बांध क्षेत्र में आने वाले जैतादेही एवं वझ्झर इन दो गांवों को पुनर्वसित किया गया. वहीं इस प्रकल्प के जरिए अचलपुर तहसील के 33 तथा चांदूर बाजार तहसील के दो गांवों को सिंचाई का लाभ मिलना अपेक्षित था. परंतु इस बांध के लिए अपने घर व खेतों की जमीन देकर पुनर्वसित हो जाने वाले किसानों को अब तक उनका अधिकार नहीं मिला है और पुनर्वसित गांव अब भी विकास से कोसो दूर है.
बता दें कि, 6380 हेक्टेअर प्रकल्पीय सिंचाई क्षमता रहने वाले इस बांध में वर्ष 2010-11 से पानी अडाया जा रहा है. वहीं इस प्रकल्प के जरिए जून 2007 के बाद से 1954 हेक्टेअर, जून 2008 के बाद से 2146 हेक्टेअर तथा वर्ष 2009 के अंत तक 200 हेक्टेअर सिंचाई क्षमता निर्माण करना प्रस्तावित था. परंतु इस प्रकल्प के जरिए अब भी पूरी क्षमता के साथ सिंचाई नहीं हो पा रही. क्योंकि सिंचाई के लिए आवश्यक वितरीका व छोटी नहरों का काम विगत 13 वर्षों से प्रलंबित पडा है. जो थोडे बहुत काम हुए है. वे भी तकनीकी दृष्टी से योग्य नहीं है. बल्कि उन कामों की वजह से खेती किसानी का नुकसान ही हुआ है. इसके अलावा पुनर्वसित गांवों का पुनर्वास भी परिणामकारक ढंग से नहीं हुआ है. पुनर्वसन के कामों में कई तरह की त्रृटिया रहने के चलते पुनर्वसित गांवों में रहने वाले लोगों को वहां पर आवश्यक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. यद्यपि संबंधित गांवों के किसानों को उनकी जमीनों का मुआवजा लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त हो गया था. लेकिन हाथ में कोई रोजगार नहीं रहने के चलते उक्त मुआवजे की राशि परिवार का गुजर बसर करने में समाप्त होगे. जिसके चलते सिंचाई प्रकल्प के लिए अपनी जमीन देने वाले किसान और गांव देने वाले ग्रामीण इस समय आर्थिक दिक्कतों में फंसे नजर आ रहे है. साथ ही प्रकल्पग्रस्त किसानों के बच्चे अब भी सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद में है.
* 10 गांवों की जमीन गई बांध में
सापन प्रकल्प के लिए अचलपुर तहसील के 9 से 10 गांवों के कई लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई. इन लोगों को उनकी अपेक्षा के अनुसार जमीन का मुआवजा नहीं मिला है. साथ ही उन्हें जिस तगह पर पुनर्वसित किया गया है, वहां पर भी आवश्यक सेवा व सुविधाओं का नितांत अभाव बना हुआ है.

* मुआवजा मिला और खर्च भी हो गया
सापन प्रकल्प अंतर्गत जिन किसानों की जमीने गई, उन्हें उनकी जमीनों का मुआवजा लंबे संघर्ष के बाद मिला था. लेकिन चूंकि उस समय उन लोगों के पास कोई कामकाज नहीं था. ऐसे मेें परिवार का खर्च चलाने हेतु उक्त मुआवजे की राशि काफी पहले ही खर्च हो गई है और अब उसमें से कुछ भी नहीं बचा है. यानि जमीन भी हाथ से गई और जमीन का मुआवजा भी खर्च हो गया. वहीं प्रकल्पग्रस्तों के बच्चे अब भी नौकरी की प्रतीक्षा में है.

* बांध से कितने इलाके को सिंचाई लाभ
सापन प्रकल्पीय सिंचनक क्षमता 6380 हेक्टेअर है. इसके जरिए अचलपुर तहसील के 33 व चांदूर बाजार तहसील के 2 गांवों को लाभ मिलना अपेक्षित है.
* 25 किसानों को मिला लाभ
प्रकल्प के अंतर्गत आने वाले गांवों के कुछ चुनिंदा लोगों यानि किसानों को ही इस प्रकल्प का लाभ हुआ है. क्योंकि इस प्रकल्प के चलते कई किसानों के खेतों में रहने वाले कुओं का जलस्तर बढ गया है.
* जमीन नहीं देने वाले रहे फायदे में
अचलपुर तहसील के जिन किसानों की जमीने सापन प्रकल्प के बांध व नहरों के लिए अधिग्रहित की गई है और जिन्होंने इस प्रकल्प हेतु अपनी जमीने दी है. उसमें से कई लोगों को अब तक इस प्रकल्प के जरिए सिंचाई का लाभ नहीं मिला है. परंतु जमीन नहीं देने वाले कई किसान इस प्रकल्प की वजह से फायदे में रह गए, ऐसा चित्र फिलहाल दिखाई दे रहा है. ऐसे में प्रकल्पग्रस्तों को जल्द से जल्द सहायता दिए जाने की मांग प्रशासन के समक्ष कई बार उठाई जा चुकी है.

* बगल में बांध रहने के बावजूद गला पडा है सुखा
सापन प्रकल्प अंतर्गत बांध के अगल-बगल रहने वाले पुनर्वसित गांवों में आज भी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. बांध के पास रहने वाले गांवों से होकर जलवाहिणी गुजरती है. लेकिन उन गांवों को जलापूर्ति योजना में शामिल नहीं किया गया है. जिसकी वजह से संबंधित गांववासियों को पीने के पानी सहित अपनी अन्य जरुरतों के लिए पानी प्राप्त करने हेतु काफी संघर्ष करना पडता है.

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