अमरावतीमहाराष्ट्र

पार्टी से गद्दारी करनेवालों को अब नहीं रखनी चाहिए मातोश्री से आंस

शिवसेना उबाठा जिला प्रमुख खराटे का कहना

* पूर्व विधायक को मारा ताना
अमरावती /दि. 10– विधानसभा चुनाव में मातोश्री के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए पार्टी के प्रत्याशी को दुश्मन मानकर बगावत कर चुनाव मैदान में उतरने वाले पार्टी के गद्दारों को मातोश्री से कैसी आस, कुछ इस प्रकार का सवाल शिवसेना उबाठा जिला प्रमुख सुनील खराटे ने उपस्थित करते हुए कहा कि, पार्टी के साथ ‘बंड’ कर जाति-पाती की राजनीति करनेवाले की शिवसेना में अब स्थान नहीं दिया जाएगा, ऐसा दावा किया. उबाठा शिवसेना जिला प्रमुख सुनील खराटे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि, बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से महाविकास आघाडी के अधिकतर उम्मीदवार मैदान में रहने के बावजूद चुनाव में पराजय का मुंह देखने के बाद पार्टी से गद्दारी करनेवाले अब उनके लिए मातोश्री पर मंथन शुरु है, ऐसी अफवाह फैलायी जा रही है. इस प्रकार की अफवाह फैलाकर सहानुभूति लूटने का प्रयत्न किया जा रहा है. सुनील खराटे ने दावा किया कि यह सिर्फ अफवाह है. गद्दारों के लिए मातोश्री के द्वार बंद हुए है. बीते 15 वर्षों से शिवसेना में लाभ के पद पर न रहते हुए पार्टी को मजबूत करने के साथ समाजोपयोगी कार्यक्रम लेकर सर्वसामान्य को न्याय दिलवाने के लिए आंदोलन किया. इसकी दखल लेते हुए पार्टी प्रमुख ने सर्वसामान्य कार्यकर्ता के रुप में सुनील खराटे को उम्मीदवारी दी. शिवसेना में सर्वसामान्य कार्यकर्ताओं का सम्मान किया जाता है, यह सिद्ध हुआ है. सुनील खराटे ने दावा किया कि, प्रस्थापित परिवार के सदस्य में पार्टी के साथ गद्दारी की. जिस परिवार को 30 वर्षों तक मातोश्री की ओर से उम्मीदवारी बहाल की गई, जिसमें से 15 वर्ष तक पराजय का मुंह देखना पडा. किसी भी बात की मर्यादा रहती है. जिसके कारण पार्टी प्रमुख ने काम करनेवाले सर्वसामान्य कार्यकर्ता को आगे कर उम्मीदवारी दी. यह बात संभवत: उस परिवार को हजम नहीं हुई. अवसर न मिलने का हो हल्ला मचाते हुए पार्टी के साथ गद्दारी की. चुनाव में पराजय का मुंह देखने के बाद ‘बंड’ करनेवाले अब अफवाह फैला रहे है कि, मातोश्री पर उनके नाम को लेकर मंथन शुरु है. इसके जरिए सहानुभूति हासिल करने की मानसिकता बनाए हुए है. मातोश्री के आदेश की अवहेलना करनेवाले अब मातोश्री से किस आधार पर आस लगाए हुएै है, ऐसा सवाल सुनील खराटे ने उपस्थित किया.

* जाति की राजनीति करनेवाले को सिखाया सबक
सुनील खराटे ने कहा कि, जाति-पाती की राजनीति कर चुनाव मैदान में उतरने वाले ‘बंड’ खोर को जिले के महाविकास आघाडी के कुछ नेताओं ने विविध प्रकार की मदद कर चुनाव लडने के लिए प्रोत्साहित किया. परंतु जिले की जनता ने इस षडयंत्र को पहचानते हुए जाति का राजकारण करने का जिसने पाप किया, उसे सबक सिखाया.

* ‘ज्ञानी’ मामा की कुटिल राजनीति
सुनील खराटे ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि, जिस शिवसेना के बल पर दो बार विधायकी हासिल की, उस शिवसेना के साथ गद्दारी करने वाले पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल को ‘ज्ञानी’ मामा नामोल्लेख करते हुए खराटे ने कहा कि, मामा की यह कुटील राजनीति है. स्व. संजय बंड पर टीका करते हुए राजनीतिक समाप्त करने की बात करनेवाले निचले दर्जे का विचार मन में रखनेवाले ज्ञानी मामा ने उसी बंड घराने के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतरवाने का कार्य किया, ऐसा आरोप भी खराटे ने लगाते हुए कहा कि, पहले शिवसेना के साथ गद्दारी कर मनसे में जानेवाले मामा पुन: अपने स्वार्थ के लिए शिवसेना में प्रवेश किया. उस समय मातोश्री ने मामा की एक गलती को माफ कर पुन: शिवसेना पार्टी को बढाने का अवसर दिया. परंतु इस अवसर का लाभ न लेते हुए शिवसेना के गढ बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विधायक के जेब में डालने का काम किया. मामा ने हर चुनाव में विरोधी प्रत्याशी का साथ दिया, ऐसा आरोप सुनील खराटे ने लगाया.

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