अमरावतीमहाराष्ट्र

तेज आवाज में डीजे बजाने वालो की अब खैर नहीं

नियमों का पालन करें, अन्यथा होगी कारवाई

* थानेदार अजय अहिरकर का आह्वान
चांदूर रेल्वे/दि.04– डीजे बजाते समय सरकारी नियमों का उल्लंघन न करें, यह आह्वान थानेदार अजय अहिरकर ने किया है. विवाह प्रसंग और अन्य कार्यक्रमों के दौरान अत्याधिक तेज आवाज व बेस का इस्तेमाल कर डीजे बजाकर नियमो की धज्जियां उड़ाने वालों पर पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करने की जानकारी पुलिस अधीक्षक अजय अहिरकर ने गुरुवार को पत्र-परिषद में दी है.

चांदूर रेल्वे शहर एवं तहसील में होनेवाले विवाह,जयंती,दुर्गोत्सव, गणेशोत्सव, गणपति विसर्जन के साथ मंगल कार्यालयों में रात 10 के बाद तेज आवाज में डिजे बजाने पर पुलिस प्रशासन की और से नियमों के तहत संबधित डिजे संचालक,मंगल कार्यालय मालक,सार्वजनिक उत्सव आयोजक समिति पर दंडात्मक कारवाई होगी. सभी होनेवाले कार्यक्रम के आयोजन में डीजे का अत्याधिक इस्तेमाल भी होता है. पुलिस का कहना है कि आनेवाले समय में सभी कार्य प्रसंग सामूहिक आयोजन पर बारिकी से नजर रखी जाएगी और नियमों का उलंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी. जयंती,विवाह,दुर्गोत्सव,गणपती विसर्जन हो या कोई समारोह कर्कश डीजे ध्वनी सभी को परेशान कर देती है. इस ध्वनी में सबसे ज्यादा परेशान बुजुर्ग व बच्चे परेशान होते है. अत्याधिक तेज आवाज में बजने वाले डीजे पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को फटकार लगाई थी, परंतु किसी के कार्यप्रसंग में कोई बाधा न हो इसलिए प्रशासन के अधिकारी इस बात को गंभीरता से नहीं लेते थे. लेकिन हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद कान फोडू डीजे बजाने की बात को पुलिस प्रशासन गंभीरता से लेने के साथ कारवाई करेंगी ऐसी जानकारी चांदूर रेल्वे पुलिस अधिकारी ने पत्रकारों को दी है.

विशेषज्ञों के अनुसार कान 60-65 डेसिबल की सीमा तक शोर सहन कर सकता है. 80 से 100 डेसिबल तक की ध्वनि के लगातार संपर्क में रहने से कान की सुनने की क्षमता कम हो जाती है. 100 से 120 डेसीबल के बीच शोर से कान का पर्दा फट सकता है, चक्कर आ सकते हैं. यह ध्वनि ऑरिकल को उत्तेजित करती है जो हृदय से जुड़ा होता है. इससे हृदय धड़कना बंद कर सकता है और दिल का दौरा पड़ सकता है. यदि तेज आवाज बार-बार कानों में जाती है, तो यह बौद्धिक और कुशल कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकती है. साथ ही स्थायी बहरापन, नींद न आना, मानसिक और भावनात्मक असंतुलन, हृदय रोग, रक्तचाप, कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है. यह गर्भवती महिला के भ्रूण को भी नुकसान पहुंचा सकता है. डिजे का शोर बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है. बुजुर्ग लोगों को उच्च रक्तचाप हो सकता है. हृदय रोग बढ़ सकता है. श्रवण हानि हो सकती है. जानवरों में भी कुछ दुष्प्रभाव सामने आए हैं. इसलिए आनेवाले समय में सार्वजनिक और मंगल कार्यालय में डिजे 55 से 65 डेसीबल की आवाज में ही बजने चाहिए शासकीय कार्यालय परिसर,स्कूल,कॉलेज,व्यापारी संकुल,दवाखाने के समीप डिजे नियमों तहत ही बजना चाहिए अन्यथा पुलिस प्रशासन ऐसे डिजे संचालक व मंगल कार्यालयों के मालिक पर कार्रवाई करेंगी ऐसी जानकारी पुलिस की ओर से दी जा रही है.

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