मुक्तागिरी में गुरु-शिष्या का दर्शनोत्सव समारोह में उमडे हजारो श्रद्धालू
42 मुनी और माताजी का लेझीम व ढोल-ताशो के निनादो में भव्य स्वागत
अमरावती/दि.28– दिगंबर जैन समाज के सिद्धक्षेत्र रहे मुक्तागिरी में रविवार को बडे उत्साह के साथ गुरु-शिष्या का दर्शनोत्सव समारोह संपन्न हुआ. राष्ट्रसंत, भारतगौरव 108 श्रवणाचार्य विरागसागर महाराज सहित 42 मुनी व माताजी का आगमन इस अवसर पर हुआ. मुक्तागिरी में रहती 105 विस्मिताश्री माताजी व 105 विगम्या श्री माताजी (गुरु-शिष्या) का दर्शनोत्सव समारोह देखने के लिए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सहित पूर्ण भारत से हजारो श्रद्धालुओं की भीड उमड पडी थी.
यह दर्शनोत्सव समारोह मुक्तागिरी में पहली बार होने से खराती से मुक्तागिरी मार्ग पर जगह-जगह मुक्तागिरी ट्रस्ट की तरफ से व हजारो भक्तों विरागसागर महाराज के साथ रहे 42 मुनी और माताजी का लेझीम व ढोल-ताशो के निनादो में जयकारा गुरुदेव का, जय जय गुरुदेव का जयघोष करते हुए आरती व पाद प्रक्षालन कर भव्यदिव्य स्वागत किया. आचार्य श्री के हाथों पहाड के नीचे मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति का अभिषेक होने के बाद कल्याण मंदिर विधान सहित पूरा दिन उत्साह के साथ विविध धार्मिक कार्यक्रम हुए. इस अवसर पर भारतीय संस्कृति में किसी भी मृत्यु होने पर हम उसका स्वर्गवास हुआ ऐसा कहते है. लेकिन स्वर्ग के साथ नरक भी रहता है. यह भूल नहीं सकते. यह पंचमकाल शुरु है. क्योंकि समाज में पुण्य कम हुआ है. पाप समाज में अधिक बढता जा रहा है. वर्तमान काल यह पुण्य कमानेवालों का कम है. पाप का बोझ अधिक बढता जा रहा है. इस कारण कोई भी इस भ्रम में न रहे कि, अपनी मृत्यु होने पर स्वर्गवास होगा. नरकवास भी हमें हो सकता है. वर्तमान समय में नरक मार्ग यह आज का हाईवे हो गया है. यह टू-वे अथवा फोर-वे नहीं है. स्वर्गवास होने के लिए एक ही रास्ता है वह यानी धर्म का साथ पकडो, पुण्य करते रहो, भ्रम में न रहो, खुद के जीवन में परिवर्तन कर धर्म मार्ग की तरफ चलकर पुण्यवान हो, ऐसा आचार्य गणाचार्य श्री 108 विरागसागरजी महाराज ने कहा. इस अवसर पर हजारो भक्तगण उपस्थित थे. 42 मुनी व माताजी मुक्तागिरी में विराजमान है. उनका आशीर्वाद लेने का आवाहन मुक्तागिरी ट्रस्ट व सकल दिगंबर जैन समाज की तरफ से किया गया है.