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दुआ के लिए नम आंखों के साथ उठे हजारो हाथ

हजरत मौलाना शौकत साहब ने कराई इज्तेमाई दुआ

* आखिरी दिन इज्तेमा गाह मे उमडा जनसैलाब
* ट्रैफिक व्यस्था को बखूबी संभाला गया
* इज्तेमा गाह से शाहबाज़ खान व माजिद इकबाल की रिपोर्ट
अमरावती/दि.20 – विगत 18 फरवरी से स्थानीय वलगांव रोड स्तिथ नवसारी परिसर क्षेत्र की 22 एकड खुली जमीन पर तीन दिवसीय दीनी तबलीगी इज्तेमा का कार्यक्रम जारी था. इस तीन दिवसीय इज्तेमा मे पहले दिन ही इज्तेमा गाह पर इजतेमाइयो का आगमन बडे पैमाने पर जारी था. अंतिम दिन दुआ का समय होने तक इज्तेमा गाह परिसर मे जहां तक नजर जाती, वहां तक इंसानी समुंदर देखा गया. आयोजन के दूसरे दिन मतलब रविवार को शाम होने तक ही 600 बाय 800 का भव्य पिंडाल खचाखच भर चुका था. रविवार के दिन से ही इजतेमाइयो की बढती संख्या को देखते हुए बिछायत की जिम्मेदारी वाली जमात ने पंडाल के बाहर बिछायत का इंतजाम किया. सोमवार इज्तेमा के आखरी दिन इज्तेमा गाह परिसर मे चहुं ओर इजतेमाइयों का जनसैलाब देखा गया तो वही सभी पार्किंग झोन मे जड वाहन सहित फोर व्हीलर और टू व्हीलर वाहनो की लंबी कतारे देखी गई. ट्रैफिक कंट्रोल हेतु आयोजन समिति द्वारा सैकडो लोगो को जमात तैयार की गई थी जिन्होने बखूबी इतने बडे ट्रैफिक को बिना किसी जाम के इज्तेमा गाह परिसर से निकालने मे कमियाबी हासिल की.
बता दे की इस तीन दिवसीय दीनी तबलीगी इज्तेमा मे अमरावती जिले के साथ साथ संभाग के अकोला, बुलढाना, यवतमाल जिलो से इजतेमाइयो ने भी बडे पैमाने पर इस आयोजन मे शिरकत की. आज तीसरे और अंतिम दिन सुबह 11 बजे दुआ होने तक परिसर मे 1 लाख के करीब इंसानी समंदर मौजूद था.

* इस तरह रहा आयोजन का तीसरा दिन
तीन दिवसीय दीनी तबलीगी इज्तेमा के आखरी दिन सुबह फजर की नमाज के बाद हजरत मुफ्ती मोहम्मद असलम साहब ने अपना बयान दिया. उसके बाद 9 बजे से तालीम ली गई और 9.30 बजे से इज्तेमा की आखरी मजलिस मे भाई मुरसलीन साहब ने रवानगी की बात की. इसी तरह 11 बजे हजरत मौलाना शौकत साहब ने अंतिम इज्तेमाई दुआ कारवाई जिसमे हजारों नम आंखों के साथ हाथ उठे और इज्तेमा गाह अमीन की सदाओ से बुलंद हुआ.

* निकाह इंसान की फितरी जरूरत, इसी लिए निकाह को आसान करे – मौलाना सय्यद मेहमूद अली
इज्तेमा के दूसरे दिन असर की नमाज निकाह की मजलिस मे हजारो इजतेमाइयो को खिताब करते समय मौलाना सय्यद मेहमूद अली ने निकाह को आसान बनाने की अपील की. उन्होंने कहा की निकाह (शादी) इंसान की फितरी जरूरत है. निकाह मे फुजूल खर्च करना इस्लाम के विरुद्ध है. निकाह को आसान करें, ताकि गरीब परिवारो की बच्चियों को शादियो मे कोई रुकावट ना बने. निकाह को सादगी से करने का पैगाम पैगंबर मोहम्मद (स) ने दिया है.

* सभी सबीलो मे आखरी दिन तक मुफ्त चाय नाश्ता परोसा गया
इतने बडे जनसैलाब को सभी सबिलो से पहले दिन से लेकर आखरी दिन तक सुबह शाम मुफ्त मे चाय और नाश्ता बडे ही नज्म के साथ परोसा गया.

* इज्तेमागाह में हुई इज्तेमाई शादियां
इज्तेमा के दूसरे दिन असर की नमाज के बाद जिले अन्य इलाकों के साथ साथ अन्य जिलों के भी कई जोड़ो के निकाह मजलिस मे पढ़ाए गए जो निकाह को आसान बनाने का उद्धरण देते है.

* दावत व तबलीग के लिए सैकडो जमाते निकली पाक परवरदिगार के रास्ते में
इज्तेमा गाह से सैकडो जमाते राज्य के साथ साथ देश के अन्य इलाको मे दावत व तबलीग के लिए कई जमाते निकली है. इसने चार माह की सैकडो जमाते निकली है, तो वही चालीस दिन के लिए भी बेशुमार जमाते परवरदिगार के रास्ते मे निकले है.

* अन्य देशो मे भी जाएंगी जमाते
राज्य सहित देश के अन्य इलाको के अलावा इज्तेमा गाह से अन्य देशो मे दावत व तबलीग के लिए सैकडो अफराद निकलेंगे.

* दावत व तबलीग को जिंदगी का मकसद बनाए – मौलाना शौकत साहब
मौलाना शौकत साहब ने तश्कीली बात करते समय अपनी बात रखते हुए फरमाया की तबलीग के काम को अपनी जिंदगी का अव्वल मकसद बनाए. यह मेहनत सभी रसूलो की रही है. सहाबा ने दीन के फरोग के लिए अपने अहल व अयाल और अपनी जिंदगियो को निछावर किया है. इसी लिए सारे आलम मे कैसे दीन फैल जाए, इसके लिए दावत व तबलीग करना हर मोमिन का फर्ज है.

* इंसान का इंसान होना ईमान से है – भाई मुरसलीन साहब
इज्तेमा के आखरी दिन आखरी मजलिस मे मजमे को खिताब करते हुए भाई मुरसलीन साहब ने इंसान को इंसान होने के उसके अंदर ईमान के होने को सबसे जरुरी शर्त बताया. इंसान बनने के लिए उसके अंदर कामिल (पक्का) ईमान होना आवश्यक है. ईमान इस स्तर तक पक्का हो कि हर इंसान को हराम व हलाल में आसानी से फर्क पता चले और वो दुनिया की सभी बुराइयों और गुनाहो से परे रहे. सहाबा का ईमान इतना पक्का था कि, उनके अखलाक को देख कर इस्लाम फैला है. हमे भी चाहिए कि हम भी इसी मेहनत पर चलने की भरपूर कोशिश करे.

* आखरी मजलिस मे तफसील से हुआ छह सिफात का मुजाकिरा
रवानगी और दुआ से पहले तीसरे और अंतिम दिन तबलीगी जमात के अहम छह सिफात यानी ईमान, नमाज, इल्म व जिक्र, इकराम ए मुस्लिम, इखलास ए नियत, दावत ए तबलीग पर विस्तार से बयान हुआ. सिफात के उद्देश्यो को समझाया गया. पैगंबर (स) के बताए रास्ते और सहाबा की कुर्बानियो को बता कर इन सिफात के पाबंद बनने की शिक्षा दी गई. बता दे कि, तबलीग जमात में हर दिन फजर की नमाज के बाद इन छह सिफात का मुजाकीरा होता है.

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