* बडे सबेरे हुई विधिवत कलश स्थापना
* अनेक मंडलों में गाजे बाजे से देवी की अर्चना, आराधना आरंभ
अमरावती/दि.16– या देवी सर्व भुतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता…. जैसे देवी के मंत्रों के जाप के साथ शारदीय नवरात्रि का उत्सव आरंभ हुआ. अंबानगरी मां अंबा की नगरी होने से यहां उत्सव की श्रध्दा अपार होती है. दोनों ही प्रमुख देवी देवालयों अंबा और एकवीरा देवी संस्थान में बडे सबेरे 5 बजे विधि विधान से घटस्थापना की पूजा हुई. उसी प्रकार सैकडों मंडलों में भी आराधना और स्तुतिगान, आवाहन के साथ देवी की स्थापना की गई. गाजे बाजे से भक्तों ने थिरकते हुए माता रानी के शुभागमन पर हर्ष व्यक्त किया.
* अंबादेवी में सहस्त्रधारा से अभिषेक
अंबादेवी की घटस्थापना पूजा का प्रारंभ तडके 4 बजे हुआ. देवी को दूध, दही, शहद, जल से सहस्त्र धाराओं से अभिषेक किया गया. विविध रंगी 15 साडियां और उपरांत आभूषणों एवं फूलों से ढाई घंटे में देवी का पुरोहितों ने श्रृंगार किया. इस समय विश्वस्त राजेंद्र पांडे, विलास मराठे, सचिव दीपक श्रीमाली, रवींद्र करवे, दीपिका खांडेकर आदि उपस्थित थे.
* एकवीरा में कुलकर्णी दंपत्ति के हस्ते
एकवीरा मंदिर में रविवार सुबह 7.30 बजे शेखर कुलकर्णी और स्वाति कुलकर्णी के हस्ते ध्वजारोहण तथा घटस्थापना की गई. उपरांत दोनों मंदिर के विश्वस्त और पुरोहितों ने अपनी- अपनी देवी की ओटी दूसरे देवी के मंदिर में जाकर अर्पण की. उपरांत आरती की गई. इस समय अध्यक्ष डॉ. अनिल खरैया, सचिव चंद्रशेखर कुलकर्णी, कोषाध्यक्ष अविनाश भाई श्रॉफ, उपाध्यक्ष दीपक सब्जीवाले, एड. रवींद्र मराठे, योगेश राठी, सीए राजेश हेडा, शैलेश वानखडे, चंद्रशेखर भोंदू, अरूण केवले, गजानन बपोरीकर, राजेंद्र टेंभे आदि उपस्थित थे. े
* पहले ही दिन उमडे हजारों
रविवार से नवरात्रि प्रारंभ होने से सबेरे से ही दोनों मंदिरों में श्रध्दालुओं का रेला उमडा. संस्थान द्बारा दर्शनवारी की व्यवस्था रहने से सरलता से दर्शन हो रहे है. ओटी भरनेवाली महिला श्रध्दालुओं का अलग से मार्ग दिया गया है. इसमें भी कतार लगी है. एकवीरा में प्रसादी का आयोजन हैं. दोपहर 4 बजे तक बाहर गांव से आए श्रध्दालुओं को अन्य क्षेत्र में प्रसादी उपलब्ध है.
* 5 हजार वर्ष का इतिहास
विदर्भ की कुलदेवी अंबादेवी का इतिहास 5 हजार वर्ष का है. पहले गांव से बाहर रहनेवाले और अब नगर के मध्यभाग में देवी का मंदिर प्राचीन काल से हैं. अंबा माता के पास ही एकवीरा माता का मंदिर है. 1499 में यवनों ने विदर्भ पर कब्जा किया था. इतिहास है कि अन्य मंदिरों की तरह अंबादेवी के स्वर्ण मंदिर की भी उन्होंने लूट की. अंबादेवी के गर्भगृह तक यवनों की सेना पहुंच नहीं सकी थी. 1630 में देवी के भक्त जनार्दन स्वामी ने अंबा माता मंदिर का जीर्णोध्दार किया. उपरांत अंबा नदी के दूसरे तट पर एकवीरा देवी की स्थापना की. आज एकवीरा को बडी तथा अंबा माता को छोटी देवी का मान हैं.
* शहर में वातावरण चैतन्यपूर्ण
नवरात्रि उत्सव प्रारंभ होने के साथ शहर में सर्वत्र उत्साह का वातावरण दिखाई दे रहा. बाजार में भी रोशनाई और रौनक बनी हैं. आनेवाले दिनों में इसके बढने की पूर्ण संभावना है. राजकमल से गांधी चौक विशेष मेला भी सजा है. आज से ही मेले में भीड होने की संभावना है.
* मंडलों में विराजी माता रानी, खूब उडा गुलाल, गगनभेदी जयकारा
शहर के प्रमुख मंडलों में धूमधाम से और गगनभेदी जयकारेे के साथ देवी की स्थापना की गई. देवी भक्तों का उत्साह देखते ही बना. पुलिस के अनुसार 400 से अधिक मंडलों में दुर्गादेवी की स्थापना हुई है. उनमें प्रताप चौक के वीर प्रताप मंडल, सराफा के सार्वजनिक नवदुर्गोत्सव मंडल, अंबागेट के पंचदीप और अन्य अनेक मंडलों का समावेश हैं. देवी भक्तों ने ढोल ताशे की ताल पर थिरककर आनंद व्यक्त किया. गुलाल उडाया. जोरदार जयकारा लगाया. मच्छीसाथ के शारदा मंडल में महिला और युवाओं ने बडे उत्साह से देवी शारदा की स्थापना की. पथक के साथ अल्पदूरी की शोभायात्रा निकाली. जिसमें सभी पदाधिकारी और सदस्य केसरिया साफा (फेटे) धारण कर उत्साह से सहभागी हुए.
* पुलिस का बंदोबस्त
सीपी नवीनचंद्र रेड्डी के मार्गदर्शन में शहर में व्यापक बंदोबस्त रखा गया. सशस्त्र जवान भी तैनात किए गये. अंबादेवी और एकवीरा देवी मंदिर में उमड रहे हजारों भाविकों के लिए पुलिस का बंदोबस्त चाक चोबंद किया गया है. शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने जगह- जगह बंदोबस्त है. पुलिस सिपाही तैनात है. अधिकारी निगरानी कर रहे हैं.
गांधी चौक में विशेष मचान बनाया गया है.