अमरावती

ठेंबरे हत्याकांड के तीन आरोपी बाइज्जत बरी

एड. नरेंद्र दुबे व एड. प्रशांत देशपांडे की सफल पैरवी

अमरावती/दि.30– वर्ष 2013 में घटित हुए सुधाकर ठेंबरे हत्याकांड के मामले की सुनवाई करते हुए स्थानीय प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश देशपांडे की अदालत ने सुधाकर ठेंबरे की हत्या करने और फिर उसके शव को सभी सबूत मिटाने के उद्देश्य से जला देने के आरोप में नामजद किए गए तीन आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया. इस मामले में तीनों आरोपियों की ओर से एड. नरेंद्र दुबे व एड. प्रशांत देशपांडे ने पैरवी करते हुए सफल युक्तिवाद किया.

इस्तगासे के अनुसार जलका शहापुर के पुलिस पाटिल ने 15 नवंबर 2013 को नांदगांव पेठ पुलिस थाने को सूचित किया था कि, जलका शहापुर के निकट जंगल में किसी व्यक्ति की हत्याकर उसकी लाश को अधजली अवस्था में छोडा गया है. जिसके बाद नांदगांव पेठ पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अधजली लाश को बरामद करते हुए जांच शुुरु की. पश्चात तीन दिन बाद पता चला कि, फॉरेस्ट गार्ड के रुप में काम करने वाला सुधाकर ठेंबरे गांव से लापता है. साथ ही सुधाकर ठेंबरे की पत्नी संगीता ठेंबरे व भाई जनार्दन ठेंबरे ने लाश को देखकर उसकी सुधाकर ठेंबरे के तौर पर शिनाख्त की. जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 व 34 के तहत हत्या व सबूत को नष्ट करने का अपराधिक मामला दर्ज किया. इसी दौरान कॉल डिटेल के जरिए और देवगांव स्थित होटल सदानंद बार से मिले सीसीटीवी फूटेज के जरिए इस बात की पृष्टि हुई कि, इस हत्याकांड में बालू मार्कंड, नागोराव रघुजी करंडे, देवराव शिंदे व भीमराव शिंदे इन आरोपियों का प्रमुखता से संबंध है. जिसके चलते पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया.

जिसमें से बाबू मार्कंड और भीमराव शिंदे ने हत्या की वारदात को लेकर कबूली दी. जिनके पास से पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त हथियार, मृतक के मोबाइल व पर्स सहित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए. साथ ही हत्या में प्रयुक्त 2 दुपहिया वाहनों सहित आरोपियों के खून से सने कपडे भी जब्त किए गए. जिसके बाद पुलिस ने जांच पूरी कर जिला व सत्र अदालत ने अपनी चार्जशीट पेश की. जहां पर अभियोजन पक्ष की ओर से 14 गवाह पेश किए गए. इस समय आरोपी बालू मार्कंड व भीमराव शिंदे की ओर से एड. नरेंद्र दुबे तथा आरोपी नागोराव करंडे व देवराव शिंदे की ओर से एड. प्रशांत देशपांडे ने पैरवी करते हुए युक्तिवाद किया कि, मृतक की डीएनए रिपोर्ट व चेहरे की सुपर इम्पोजिशन फोटोग्राफी नहीं होने के चलते यह स्पष्ट तौर पर नहीं माना जा सकता कि, उक्त मृतक शरीर सुधाकर ठेंबरे का ही था. इसके अलावा मृतक व आरोपियों के बीच किसी भी तरह की कोई दुश्मनी नहीं थी. जिसके चलते हत्या का मक्सद स्पष्ट नहीं है और सारे सबूतों को जोडकर ही हत्या के अपराध को सिद्ध नहीं माना जा सकता. बचाव पक्ष की इन दलीलों को ग्राह्य मानते हुए अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया. इस मुकदमें की सुनवाई के दौरान ही भीमराव शिंदे नामक आरोपी की मौत हो चुकी थी. ऐसे में आज बालू मार्कंड, नागोराव करंडे व देवराव शिंदे को अदालत ने दोषमुक्त किया.

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