अमरावती

10 वीं में तीन और 12 वीं में दो भाषा अनिवार्य

भारतीय भाषा की शिक्षा के लिए सीबीएसई का प्रस्ताव

 मुंबई/दि.05– केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर बडा बदलाव करते हुए 10 वीं तक दो की बजाए तीन भाषा का अभ्यास करना अनिवार्य किया गया है. इसमें से कम से कम दो भाषा भारतीय रहना आवश्यक है. तथा 11 वीं और 12 वीं स्तर पर एक बजाए दो भाषा का अभ्यास करना पडेगा. इसमें से कम से कम एक मूल भाषा रहनी चाहिए, ऐसा प्रस्ताव में दर्ज किया गया है.

9 वीं और 10 वीं स्तर पर विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 10 विषय शिखने पडेगे. इसमें तीन भाषा और 7 मुख्य विषय रहेगे. फिलहाल 3 मुख्य विषय और 2 भाषा का स्वरुप है. 3 अनिवार्य भाषा में से 2 भारतीय रहनी चाहिए. गणित-संगणक, सामाजिक शास्त्र, विज्ञान, कला शिक्षण, शारीरिक शिक्षण, व्यावसायिक शिक्षण और पर्यावरण शिक्षण यह 7 मुख्य विषय रहेगे. 11 वीं और 12 वीं स्तर पर 2 भाषा और 4 मुख्य विषय का समावेश रहेगा. 2 भाषा में कम से कम एक भारतीय रहना अनिवार्य है. एक भाषा और 4 विषय पकडकर 5 विषय में विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होना पडता है. 12 वीं के सभी विषयों का 4 श्रेणी में विभाजन किया जाएगा. भाषा, कला, शारीरिक शिक्षण और व्यावसायिक शिक्षण, सामाजिक विज्ञान, आंतर विद्या शाखीय विषय, गणित, विज्ञान आदि विषय 4 गुटो में विभाजित किए गए है.
भारतीय भाषा की शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए यह बडा बदलाव करने का निर्णय सीबीएसई ने लिया है. सीबीएसई ने गतवर्ष दिसंबर माह में शाला को इस बाबत जानकारी देकर सुझाव मांगे थे. शाला से सुझाव मांगने के बाद यह बदलाव लागू किया जानेवाला है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देखकर यह बदलाव किए जाने की जानकारी सीबीएसई के इस प्रस्ताव में कही गई है.

* शाला में क्रेडीट प्रणाली लागू करेंगे
– विद्यार्थियों के बाह्य कलागुणो को और कौशल्य आधारित शिक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए स्नातक शिक्षण के मुताबिक क्रेडीट बैंक प्रणाली का भी समावेश माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर पर किया जानेवाला है.
– सीबीएसई द्वारा सूचित किए मुताबिक संपूर्ण शैक्षणिक वर्ष में 100 घंटो का समय रहेगा. इसके 40 क्रेडीट विद्यार्थियों को मिलेगे. अभ्यासक्रम पढाने के लिए जितने कम घंटे लगते है, उस आधार पर यह समय ठहराया जाएगा.
– मिले हुए क्रेडीट परीक्षा में मिले अंक छोडकर स्वतंत्र रुप से गिने जाएगे. साथ ही जो विषय वर्तमान में पढाया जाता है. उसमें बहुविद्या शाखीय और व्यावसायिक अभ्यासक्रम का समावेश करने का विचार है.

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