विदर्भ कांग्रेस के तीन नेता मुख्यमंत्री की दौड़ में
यशोमती ठाकुर, पटोले सहित वडेट्टीवार का नाम आ रहा सामने
* पार्टी के सामने खडी हुई चुनौती
अमरावती/दि.17- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की रणभेदी चाहु ओर गुंज रही है. वही सभी विधायक पद के उम्मीदवार अपनी जीत के लिए जी तोड मेहनत कर रहे हैं. इसी बीच इस चुनाव मेें किस पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा यह तय किया जाना बाकि है. मगर वही दूसरी ओर इस चुनाव के बाद अगर महाविकास आघाडी की सरकार बनती है तो महाविकास आघाडी से कौन मुख्यमंत्री बनेगा? इस पर भी पूरे राज्य के लोगों में चर्चा शुरू है. कांग्रेस में तो चुनाव परिणाम के पूर्व ही इस पद के लिए रस्सी खींच शुरू हो गई है. विशेष यह कि विदर्भ में कांग्रेस की ओर से चुनाव लड रहे तीन उम्मीदवार इस पद के लिए दौड में रहने की चर्चा राजकीय गलियारों में जोर से चल रही है.
विदर्भ के कांग्रेस के अनेक दिग्गज महाविकास आघाडी की ओर से चुनाव लड रहे हैं. जिसमें चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी निर्वाचन क्षेत्र से विरोधी पक्ष नेता विजय वडेट्टीवार, गोंदिया जिले के साकोली विधानसभा क्षेत्र से प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले तथा अमरावती जिले के तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस की दिग्गज महिला नेता के रुप में राज्य सहित दिल्ली में भी अपने उत्कृष्ठ कार्यो के चलते छाप छोडने वाली एड. यशोमती ठाकुर का समावेश है. लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाडी को विदर्भ में मिली सफलता के लिए यह नेता काफी महत्वपूर्ण साबित हुए थे. वही लोकसभा की सफलता के बाद विदर्भ के मतदाता महाविकास आघाडी को पसंद करेंगे. ऐसा विश्वास आघाडी के घटक दलों को है.
राज्य में महाविकास आघाडी में कांग्रेस सर्वाधिक स्थानों पर लड रही है. परिणाम के बाद कांग्रेस ही सबसे बडी पार्टी रहेंगी. ऐसा अंदाज कांग्रेस व्दारा लगाया जा रहा है. जिसके कारण मुख्यमंत्री भी कांग्रेस का ही रहेंगा. ऐसा पार्टी के कार्यकर्ता कह रहे हैं. मगर कांग्रेस में विदर्भ के तीन महत्व के नामों के अलावा पश्चिम महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात भी इस पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. मगर थोरात ने बुधवार को सांगली में एक सभा के दौरान चुनाव दौरान मुख्यमंत्री पद का विषय निकालना ठीक नहीं कहा. पार्टी में भले ही हम सभी से वरिष्ठ हो फिर भी मुख्यमंत्री बाबत बहुत महत्वकांक्षा नहीं ऐसा भी स्पष्ट किया. मगर सबसे वरिष्ठ है. ऐसा कहते हुए उन्होंने इस पद पर अपना भी हक बताया. ऐसा अप्रत्यक्ष संदेश देने का भी कांग्र्रेस के जानकार बता रहे हैं. इस के चलते विदर्भ में फिलहाल अलग ही चर्चा ने जोर पकडी है.
बता दें कि मुख्यमंत्री पद की चाहत रखने वाले प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले और विरोधी पक्ष नेता विजय वडेट्टीवार के बीच काफी रस्साखींच जारी है. जिसके चलते पिछले दिनों नागपुर में हुई राहुल गांधी की संविधान सभा के दौरान नाना पटोले को दूर रखा गया था. वही इस पूरे कार्यक्रम की बागडोर विजय वडेट्टीवार और उनके सहयोगियों ने संभाली थी. साथ ही इस कार्यक्रम के लिए ली गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से भी नाना पटोले को अलग रखा गया था. पत्रकारों के पूछने पर वे (नाना पटोले) नागपुर में उपस्थित न रहने का कारण बताकर इस बात को अनदेखी की गई थी. बता दें कि राजनीतिक कारणों से नाना पटोले और वडेट्टीवार के बीच हमेशा ही मनमुटाव रहता है. यह बात जगजाहिर है. वही पार्टी में वरिष्ठता, जातीय समीकरण, पक्षनिष्ठता और अनुभव की बात करें तो माणिकराव ठाकरे का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक है. साल 2010 में ठाकरे का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आया था, किंतु किसी कारणवश उनका नाम हटाकर उस वक्त पृथ्वीराज चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया था. वही बात करें एड. यशोमती ठाकुर की तो पिछले लोकसभा चुनाव में जिले में उन्होंने महाविकास आघाडी के कांग्रेसी उम्मीदवार बलवंत वानखडे को जीत दिलाने व जिले में कांग्रेस का वर्चस्व कायम रखने के लिए काफी मेहनत की थी. पूर्व सांसद नवनीत राणा को लोकसभा चुनाव में पराजित करने के बाद यशोमती ठाकुर का राज्य व दिल्ली में काफी कद बढा है. साथ ही ठाकुर ने अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों को भी संभाल कर वहां के चुनाव में पार्टी को सफलता दिलाई थी. साथ ही कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद राहुल गांधी की भारत जोडो अभियान यात्रा में महाराष्ट्र में जब यह रैली का आगमन हुआ तो तब भी यशोमती ठाकुर ने राहुल गांधी के कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ सैकडों किलोमीटर की पैदल यात्रा में सहभाग लिया था. जिसके कारण भी एक महिला नेत्री होने से उनका दिल्ली में मान-सम्मान बढा है. इसी के चलते इस बार के विधानसभा चुनाव में उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदारो में आने की चर्चा स्थानीय कांग्रेसी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के बीच है. अगर यशोमती ठाकुर मुख्यमंत्री बनती है तो वे महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की पहली महिला मुख्यमंत्री के नाम से पहचानी जा सकती है…!