* इर्विन अस्पताल के डॉ. सुरेश पांचाल की कार्यतत्परता
अमरावती/दि.7-अब जब के मानसून ने दस्तक दे दी है तो अब सर्पदंश की घटनाएं सामने आना आम बात है. ग्रामीण क्षेत्रों में इन घटनाओं का प्रभाव अधिकतर होता है. ऐसे ही तीन मामले जिला सामान्य अस्पताल में देखने को मिलें. इन तीनों मरीजो को चिंताजनक हालत में जिला सामान्य अस्पताल में उपचार हेतु लाया गया. मरीजों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हे तुरंत वेंटीलेटर पर डाला गया और उनका उपचार जारी किया गया. अस्पताल के डॉक्टर सुरेश पांचाल मरीजों के उपचार हेतु अपनी टीम के साथ जुट गए. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, डॉ. सुरेश पांचाल ने लगातार 24 घंटे बिना पलक झपकते हुए इन मरिजों के उपचार में गुजार दिए. लगातार अथक परिश्रम कर आखिर डॉ. सुरेश पांचाल ने मरीजों को मौत के मुंह से बाहर निकाल लाने मे सफलता हासिल की. जब मरीज खतरे से बाहर आए तब डॉ पांचाल ने सुकून की सांस ली.
सांप के डंसने से मानव शरीर मे तेज दर्द के साथ ब्लड प्रेशर कम होना, नाडी कमजोर होना, धडकन बढ जाना, उल्टी होना, जी मिचलाना, दस्त, खांसी, सांस लेने मे कठिनाई होना, देखने में दिक्कत होना, पसीना जाना, हाथ पैर ठंडे पडना जैसे लक्षण होने लगते है. टेम्भा शिराला की रहने वाली 47 वर्षीय शालिनी बाबूराव पंडागडे जब अपने घर में सो रही थी तब कोबरा सांप ने उसे डंस लिया. इसी प्रकार वर्धा जिले के गोदावरी आष्टी निवासी 45 वर्षीय विजय रामजी कुरवाडे को भी रात मे सोने की हालत मे सांप ने डंस लिया था, वही नांदगांव पेठ निवासी संगीता सुनील पंधरे को सांप ने डंंस लिया था. इन तीनों मरीजों का इलाज डॉ.पांचाले ने किया. एक डॉक्टर अपने कर्तव्य के प्रति कितना जागरूक होना चाहिए इसकी अनोखी मिसाल डॉ. पांचाल ने पेश की. हालांकि उनकी ड्यूटी का समय खत्म होने के बाद भी डॉ. पांचाल ने लगातार निस्वार्थ सेवा देकर अपने फर्ज को अंजाम दिया. बता दें की इससे पूर्व डॉ. सुरेश पांचाल मेलघाट के धारणी जैसे इलाके में सेवा दे चुके है. जहां उन्होंने ऐसे कई मामले सुलझाए. इसके अलावा चांदूर बाजार शहर में भी अपनी सेवा के दौरान स्नैक बाइट के कई मरीजों को बचाने का काम भी उन्होंने किया है. अपनी कर्तव्यदक्ष कार्यप्राणी के चलते वह हमेशा जाने जाते है.