अमरावतीमुख्य समाचार

अमरावती सेंट्रल जेल से भागे तीन कैदी

रात 2 बजे हुई ‘जेल ब्रेक’ की घटना

* भागनेवाले कैदियों में हत्या के प्रयास व दुष्कर्म के आरोपियों का समावेश
* कैदी भागने की जानकारी मिलते ही जेल प्रशासन के हाथ-पांव फूले
* तीनों कैदियों की हो रही सरगर्मी से जांच
अमरावती/दि.28- स्थानीय मध्यवर्ती कारागार को सुरक्षा के लिहाज से बेहद अभेद्य व सुरक्षित माना जाता है. यहीं वजह है कि, मुंबई अंडरवर्ल्ड सहित आतंकी घटनाओं से वास्ता रखनेवाले कई खूंखार अपराधियों को इस सेंट्रल जेल में लाकर रखा जाता है, लेकिन बीती रात तीन सजायाप्ता कैदियों ने अमरावती सेंट्रल जेल की चुस्त-दुरूस्त सुरक्षा व्यवस्था को धता बता दिया और ये तीनोें ही कैदी रात के समय न केवल अपनी बैरक से बाहर निकलने में कामयाब हो गये, बल्कि जेल की कई फीट उंची सुरक्षा दीवार को फांदकर फरार भी हो गये. हाल-फिलहाल के इतिहास में अमरावती मध्यवर्ती कारागार से ‘जेल ब्रेक’ की यह पहली घटना है. जिसके सामने आते ही जेल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गये है और स्थानीय पुलिस महकमे के सहयोग से इन तीनों फरार कैदियों की अब सरगर्मी से तलाश करनी शुरू की गई है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक जेल से फरार होनेवाले तीनों कैदियो के नाम साहिल अजमत कलसेकर (33), रोशन गंगाराम उईके (23) तथा सुमीत शिवराम धुर्वे बताये गये है. इसमें से रत्नागिरी जिले के चिपलूण तहसील अंतर्गत नायसी गांव निवासी साहिल अजमत कलसेकर को दफा 307 के तहत अदालत द्वारा हत्या के प्रयास के मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और उम्रकैद की सजा भुगतने हेतु रत्नागिरी से अमरावती की सेंट्रल जेल में भेजा गया था. वहीं वरूड तहसील अंतर्गत सुमीत शिवराम धुर्वे और रोशन गंगाराम उईके (23) को नाबालिग से दुराचार मामले में धारा 376 व पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए कारावास की सजा सुनाई गई थी और सजा काटने हेतु अमरावती सेंट्रल जेल में रखा गया था. इन तीनों सजायाप्ता कैदियों को अमरावती सेंट्रल जेल की बैरक क्रमांक 12 में रखा गया था. रोजाना की तरह बीती शाम इन तीनों कैदियों सहित जेल में सजा भुगत रहे सभी कैदियों को उनकी बैरकों में बंद कर दिया गया, लेकिन रात करीब डेढ से दो बजे के दौरान बैरक क्रमांक 12 में रखे गये इन तीनों कैदियों ने अपनी बैरक की छत में सुराग करते हुए सबसे पहले अपने बैरक की दीवार को फांदा और तीनों ही अपनी बैरक से निकलकर बाहर आये. पश्चात वे वॉच टॉवर से फेंकी जाती सर्च लाईट की रोशनी से खुद को बचाते हुए और वॉच टॉवर पर खडे संतरी की नजर से छिपते-छिपाते सेंट्रल जेल की मुख्य सुरक्षा दीवार तक जा पहुंचे. जहां से उन्होंने बडे ही आश्चर्यजनक ढंग से कई फीट उंची और बेहद सपाट रहनेवाली सुरक्षा दीवार को भी पार कर लिया.

* सुबह गिनती के समय उजागर हुआ मामला
तीन कैदियों के जेल तोडकर भाग जाने का यह मामला आज सुबह उस समय उजागर हुआ, जब सभी कैदियों को उनकी बैरकों से बाहर निकालकर रोजाना की तरह गिनती की गई. इस समय गिनती में तीन कैदी कम पाये जाने पर जब पूरे मामले की पडताल की गई, तब पता चला कि, बैरक क्रमांक 12 में रखे गये साहिल अजमत कलसेकर, रोशन गंगाराम उईके तथा सुमीत शिवराम धुर्वे नामक तीन सजायाप्ता कैदी नदारद हैं. पश्चात बैरक क्रमांक 12 में रखे गये अन्य कैदियों से पूछताछ करने और बैरक क्रमांक 12 का मुआयना करने पर तीनों कैदियों द्वारा ‘जेल ब्रेक’ करते हुए फरार हो जाने की बात सामने आयी. जिसके तुरंत बाद कारागार प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मुआयना करते हुए जांच-पडताल की और ‘जेल ब्रेक’ की इस घटना को लेकर तुरंत ही फ्रेजरपुरा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी गई. इसके साथ ही कारागार प्रशासन एवं फ्रेजरपुरा पुलिस ने एक साथ मिलकर जेल से फरार हुए तीनों आरोपियों की तलाश करने हेतु सरगर्मी से अभियान चलाना शुरू किया, लेकिन फिलहाल तक इन तीनों फरार कैदियों का कहीं कोई अता-पता नहीं चल पाया है.

* इससे पहले भी दो बार जेल से भागने का प्रयास कर चुका है साहिल
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मूताबिक दफा 307 के तहत हत्या के प्रयास का दोषी करार दिया गया और आजीवन कारावास की सजा प्राप्त साहिल कलसेकर इससे पहले भी दो बार ‘जेल ब्रेक’ करने का प्रयास कर चुका है. ऐसे में जेल प्रशासन ने उसे जेल की बैरक क्रमांक 12 में रखते हुए नाबालिग के साथ दुराचार के मामले में सजायाप्ता दो कैदियों रोशन उईक व सुमीत धुर्वे को भी उसी बैरक में रखा था और इन दोनों कैदियों पर साहिल की निगरानी करने का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन साहिल ने इन दोनों कैदियों को भी जेल से बाहर निकलने का लालच दिखाते हुए अपनी ओर मिला लिया और ये दोनों कैदी भी उसका साथ देने के लिए तैयार हो गये. जिसके बाद बडे सुनियोजीत तरीके से बीती रात ‘जेल ब्रेक’ की इस घटना को अंजाम दिया गया.

* ऐसे भागे तीनों कैदी
जेल प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक इन तीनों कैदियों ने बीती रात अपने बैरक की छत में छेद करते हुए बाहर निकलने की जगह बनाई और बैरक से बाहर निकलकर ये तीनों ही जेल के रसोई घर की तरफ पहुंचे. जहां से अंधेरे की आड लेते हुए ये तीनों ही बेहद दबे पांव सेंट्रल जेल के पिछले हिस्से में स्थित करीब 20 फीट उंची सुरक्षा दीवार के पास पहुंचे और दीवार से सटकर खडे हो गये. जिसके बाद तीनों ने एक के उपर एक खडे रहकर दहीहांडीनुमा पिरामिड बनाया और सबसे उपर रहनेवाला कैदी सबसे पहले दीवार की मुंडेर पर पहुंचा. बैरक से निकलते समय ये तीनों ही अपने साथ ओढने हेतु मिली चादर लेेकर आये थे और दीवार की मुंडेर पर पहुंचे कैदी ने उसी चादर की रस्सी बनाते हुए उसी नीचे की ओर लटकाया. जिसे पकडकर नीचे मौजूद दोनों कैदी जेल की दीवार पर चढ गये और फिर वहां से तीनों ही कैदियों ने दूसरी ओर नीचे छलांग लगाई तथा बाद में ये तीनों ही जेल परिसर के पीछे स्थित एक्सप्रेस हाईवे से होते हुए फरार हो गये.

 

Related Articles

Back to top button