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सर्पदंश के तीन गंभीर मरीजों का इर्विन अस्पताल में सफल इलाज

तीनों मरीज किये गये थे आईसीयू में भर्ती

* योग्य उपचार के बाद तीनों को मिला डिस्चार्ज
* डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के महत प्रयास रहे सफल
अमरावती/दि.27 – अमूमन सरकारी अस्पतालों को अव्यवस्थाओं व सुविधाओं के अभाव की वजह से जमकर कोसा जाता है. लेकिन ऐसी तमाम आलोचनाओं से विचलित हुए बिना सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर एवं मेडिकल स्टाफ अपने कर्तव्यों का पालन करने हेतु पूरी तत्परता के साथ जुटे रहते है और गंभीर से गंभीर स्थिति में रहने वाले हर एक मरीज की जान बचाने का प्रयास करते है. कुछ ऐसा ही मामला स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल यानि इर्विन हॉस्पिटल से सामने आया है. जहां पर विगत दिनों सर्पदंश से पीडित रहने के साथ ही गंभीर स्थिति में रहने की वजह से इलाज हेतु भर्ती कराये गये तीन मरीजों का इर्विन अस्पताल के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक इलाज किया. जिसके चलते अतिदक्षता विभाग में भर्ती रहने वाले इन तीनों गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकी और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज दिया गया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक विगत 21 जुलाई की रात 11 बजे के आसपास कोंढालई में रहने वाले 65 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति को सर्पदंश हुआ था. जिसे 22 जुलाई की सुबह इर्विन अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे आईसीयू में भर्ती करने के साथ ही उसे तुरंत ही वैंटीलेटर पर रखने का निर्णय लिया तथा योग्य उपचार करते हुए एंटी स्नेक वेनम दिया गया. लगातार तीन दिन तक वैंटीलेटर पर रहने वाले इस मरीज के स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद उसे वैंटीलेटर से हटाया गया और बेहद गंभीर स्थिति में रहने वाले इस बुजुर्ग मरीज की जान बचाने हेतु इर्विन अस्पताल के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ ने सतत 72 घंटे तक प्रयास किया.
इसी तरह नागपुर जिले की काटोल तहसील अंतर्गत मसोद गांव निवासी भाउराव शेषराव गोरले को 23 जुलाई की रात सर्पदंश की वजह से बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच जाने के चलते इलाज हेतु इर्विन अस्पताल में लाया गया था. इस मरीज की स्थिति को देखते हुए अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे तुरंत आईसीयू में भर्ती करने और वैंटीलेटर पर रखने का निर्णय लिया. जिसके बाद इस मरीज की जान बचाने हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किये गये. जिसकी बदौलत उक्त महिला मरीज के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और उसे इर्विन अस्पताल से डिस्चार्ज दिया गया.
इसके साथ ही नांदगांव पेठ में रहने वाली मंदा किसनराव बावनकुले नामक महिला को भी विगत 10 जुलाई को सर्पदंश हुआ था. जिसे इलाज के लिए तुरंत ही इर्विन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस समय इस महिला मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे तुरंत ही आईसीयू में भर्ती किया और उसे वैंटीलेटर भी लगाया गया. साथ ही इस महिला मरीज को एंटी स्नेक वेनम भी दिया गया. इन तमाम प्रयासों के चलते उक्त महिला मरीज की जान बचाई जा सकी.
विशेष उल्लेखनीय है कि, इन तीनों ही मामलों में संबंधित मरीजों के परिजनों ने अपने पेशंट के बचने की उम्मीद लगभग छोड दी थी. लेकिन इसके बावजूद भी इर्विन अस्पताल के डॉक्टरों ने हार नहीं मानी तथा सर्पदंश से पीडित तीनोें मरीजों की जान बचाने के लिए अपनी ओर से भरसक प्रयास किये, जो बेहद सफल भी रहे. ऐसे में अपने मरीजों को दोबारा अपने बीच सकुशल पाकर तीनों मरीजों के परिजनों ने इर्विन अस्पताल के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के प्रति अनेकों आभार ज्ञापित किये और इर्विन अस्पताल की स्वास्थ्य सेवा को लेकर समाधान भी व्यक्त किया.
इन तीनों मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज करने हेतु इर्विन अस्पताल में फिजिशियन के तौर पर पदस्थ डॉ. निशा पवार, डॉ. प्रीति मोरे, डॉ. तेजस्विनी जावरे, डॉ. स्वप्निल चव्हाण व डॉ. रवि भूषण तथा सिस्टर इंचार्ज मंदा ढगे व स्टाफ नर्स ममता बांगड, शुभांगी बननोरे, मीरा सूर्यवंशी, प्रज्ञा मानकर, मंजू राठोड, वैष्णवी पोकले व किरण इंगोले ने महत प्रयास किये.

* जून से जुलाई तक इर्विन में सर्पदंश के 14 मरीज हुए थे भर्ती
विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत जून से लेकर अब तक जिला सामान्य अस्पताल में सर्पदंश से पीडित रहने वाले 14 मरीजों को भर्ती कराया गया. जिसमेें से तमाम प्रयासों के बावजूद 3 मरीजों की जान नहीं बचाई जा सकी. वहीं शेष 11 मरीजों की जान बचाने में इर्विन अस्पताल के डॉक्टर पूरी तरह से सफल रहे. इन 11 मरीजों में से अधिकांश मरीज बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच चुके थे. जिन्हें आईसीयू ेमें भर्ती कराने के साथ ही वेंटीलेटर पर भी रखना पडा था और सभी मरीजों को एंटी स्नेक वेनम के साथ-साथ तमाम जरुरी दवाई व इलाज उपलब्ध कराये गये. जिसके चलते इन मरीजों की जान बचाई जा सकी और वे पूरी तरह से स्वस्थ होकर अपने घर-परिवार में वापिस लौटे.

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