अमरावतीविदर्भ

तीन वर्ष के दौरान तीन हजार किसान आत्महत्या

 लगातार बढ रहा किसान आत्महत्याओं का सिलसिला

 प्रतिनिधि/दि.१८

अमरावती-इन दिनों विदर्भ को मानो किसान आत्महत्याओं का श्राफ लगा हुआ है और विगत कुछ वर्षों के दौरान किसान आत्महत्याओें की संख्या लगातार बढती जा रही है. अकेले अमरावती संभाग में ही वर्ष २०१७ से मई २०२० तक कुल ३ हजार ५५८ किसानों ने आत्महत्या कर ली है. जिसमें से १ हजार ७१८ प्रभावित परिवारों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्राप्त हुई है. वहीं १ हजार ६१८ मामलों को सरकारी सहायता हेतु पात्र नहीं माना गया. इसके अलावा अब भी १९० मामले प्रलंबित है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इस समय अमरावती संभाग सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र के किसान आर्थिक दुष्टचक्र में फंसे हुए है. कभी गीले व सूखे अकाल का सामना करने की वजह से अपेक्षित कृषि प्राप्त नहीं हो रही. वहीं बाजार में कृषि उपज को अपेक्षित दाम नहीं मिल रहे. इसके अलावा फसलों का नुकसान होने पर फसल बीमा कंपनियों से योग्य मुआवजा नहीं मिल रहा और सरकारी बैंकोें से नया फसल कर्ज मिलने में भी काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है. जिसके चलते इस तरह की तमाम परेशानियों से तंग आकर क्षेत्र के किसानों द्वारा आत्महत्या का रास्ता अख्त्यिार किया जा रहा है. इस संदर्भ में सूचना अधिकार कार्यकर्ता अभय कोलारकर द्वारा मांगी गयी जानकारी में संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा बताया गया कि, वर्ष २०१७ में १०६६, वर्ष २०१८ में १०४९, वर्ष २०१९ में १०५६ तथा वर्ष २०२० में मई माह तक ३८७ किसानों द्वारा आत्महत्या की जा चुकी है. बुलडाणा में सर्वाधिक किसान आत्महत्या अमरावती संभाग में यवतमाल जिला तो मानों किसान आत्महत्याओं के लिए कुख्यात हो चुका है, लेकिन अब संभाग में सर्वाधिक १०११ किसान आत्महत्याएं बुलडाणा जिले में हुई है. इसके अलावा यवतमाल में ८८५, अमरावती में ८८३, अकोला में ४८७ तथा वाशिम में २९२ किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. वहीं प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने में अमरावती जिला पहले स्थान पर है. अब तक अमरावती में ५४४, बुलडाणा में ४२८, अकोला में ३२४, यवतमाल में २७५ तथा वाशिम में १४७ प्रभावित किसान परिवारों को सहायता दी जा चुकी है. वहीं इस समय अमरावती में ४८, अकोला में ३०, यवतमाल में ३५, बुलडाणा में ४० व वाशिम में २६ मामले प्रलंबित है.

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