अमरावती

गर्भलिंग निदान करने पर हो सकती है तीन साल की जेल

धारणी के एक अस्पताल पर दर्ज हुआ है मामला

अमरावती/दि.20- बच्चे के जन्म से पहले गर्भावस्था के दौरान ही गर्भस्थ शिशु लडका है अथवा लडकी इसकी जांच करना कानूनन अपराध है. ऐसे में यदि कहीं पर गर्भलिंग निदान का मामला सामने आता है, तो संबंधित अस्पताल के डॉक्टर सहित गर्भलिंग निदान करने हेतु कहनेवाले व्यक्ति को तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही संबंधित अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. उल्लेखनीय यह है कि, जारी वर्ष के दौरान धारणी के एक निजी अस्पताल में गर्भवती महिला की सोनोग्राफी जांच से संबंधित जानकारी नियमानुसार दर्ज नहीं रहने के चलते सोनोग्राफी मशीन को सिल करते हुए संबंधित अस्पताल के संचालक के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए अस्पताल की सोनोग्राफी मशीन को सील कर दिया गया.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए पीसीपीएनडीटी की विधि सलाहकार प्रणिता भाकरे ने बताया कि, गर्भलिंग निदान करने के साथ ही गर्भस्थ शिशु कन्या रहने पर उसे गर्भपात के जरिये निकाल देने के अमानवीय प्रकार को रोकने हेतु गर्भलिंग निदान प्रतिबंधक कानून अस्तित्व में लाया गया. इस कानून के अंतर्गत गैरकानूनी कृत्य करनेवाले डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए मुकदमा चलाया जाता है. साथ ही अपराध सिध्द होने पर संबंधित डॉक्टर को सजा देने का भी प्रावधान इस कानून में है. इसके अलावा जिले में कन्या भ्रृण हत्या को रोकने के लिए अनेकों जनजागृति कार्यक्रम चलाये जाते है. जिसके तहत बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान, जनजागृति कार्यशाला, आशा सेविकाओ के जरिये गर्भवती महिलाओं का समुपदेशन व जनजागृति रैली जैसे उपक्रमों का आयोजन होता है. जिसके जरिये नागरिकों को गर्भलिंग निदान प्रतिबंधक कानून की जानकारी दी जाती है. जिसके सार्थक व सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे है और पहले की तुलना में अब गर्भलिंग परीक्षण व कन्या भ्रृण हत्या के मामले काफी हद तक घट गये है. यह कानून अस्तित्व में आने के बाद से लेेकर अब तक जिले की ग्रामीण क्षेत्रों में चार व शहरी क्षेत्र में तीन ऐसे कुल सात मामले दर्ज हुए है.

* तीन वर्ष का कारावास, दस हजार का दंड
गर्भलिंग निदान के अपराध में दोषी पाये जाने पर तीन वर्ष के कारावास व दस हजार रूपये के जुर्माने अथवा दोनों ही तरह की सजा हो सकती है. इसके अलावा दूसरी बार इस मामले में दोषी पाये जाने पर पांच वर्ष की कैद या 50 हजार रूपये का दंड अथवा दोनों ही सजाओं का प्रावधान है.

* सूचना देनेवाले को एक लाख का इनाम
गर्भलिंग निदान परीक्षण को रोकने हेतु सरकार द्वारा हर तरह के कदम उठाये जा रहे है. जिसके तहत यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी सोनोग्राफी सेंटर पर गर्भलिंग परीक्षण होने की सही जानकारी दी जाती है, तो संबंधित व्यक्ति को सरकार की ओर से 1 लाख रूपये का नकद इनाम भी दिया जाता है.

* अब तक सात मामले दर्ज
गर्भलिंग निदान कानून अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में चार व शहरी क्षेत्र में तीन ऐसे कुल सात मामले दर्ज हुए है. जिसके तहत फरवरी 2022 में धारणी के एक निजी अस्पताल में सोनोग्राफी केंद्र पर गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच से संबंधित जानकारी तय कानून के मुताबिक नहीं रहने के चलते इस अस्पताल के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है.

* जिले में 1 हजार लडकों पर 923 लडकियों का अनुपात
जिले में विगत कुछ वर्षों के दौरान लिंगानुपात में काफी फर्क देखा जा रहा है. वर्ष 2020 में जहां जिले में 1 हजार लडकों पर 956 लडकियोें का अनुपात था, वहीं वर्ष 2021 में 1 हजार लडकों के पीछे 923 लडकियों का अनुपात है.

* कहां दर्ज कराये शिकायत
गर्भलिंग निदान के संदर्भ में शिकायत दर्ज कराने हेतु आमची मुलगी डॉट जीओवी डॉट इन इस वेबसाईट पर अथवा 1800-23-34-475 इस हेल्पलाईन नंबर पर शिकायत दर्ज करायी जा सकती है. विशेष उल्लेखनीय यह है कि, शिकायत करनेवाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है और शिकायत सही पाये जाने पर शिकायतकर्ता व्यक्ति को 1 लाख रूपये का नकद पुरस्कार भी दिया जाता है.

गर्भलिंग परीक्षण करना कानूनी रूप से अपराध है. ऐसे में इसे लेकर जिला स्त्री अस्पताल द्वारा महिलाओं में जनजागृति करने का प्रयास किया जाता है. साथ ही अस्पताल में स्त्री जन्म का आदर करते हुए यहां जन्म लेनेवाली बच्चियों का दुनिया में स्वागत किया जाता है. इसके अलावा गर्भलिंग निदान को रोकने हेतु अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का समुपदेशन भी किया जाता है.
– डॉ. विद्या वाठोडकर
वैद्यकीय अधिक्षिका, जिला स्त्री अस्पताल

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