अमरावती

कड़ी धूप में लहरा रही ज्वारी की फसल

अंजनगांव तहसील के किसानों ने फिर से की ज्वारी की बुआई

ग्रीष्मकाल में फसल को अतिवृष्टि, रोग व अन्य नैसर्गिक आपत्ति का धोखा कम
विहिगांव (अमरावती)/दि.11-किसी समय महाराष्ट्र और उसमें भी विदर्भ की प्रमुख फसल के रुप में ज्वारी की पहचान थी. लेकिन गत दो दशकों से ज्वारी को प्रमुख फसल न मानते हुए इस फसल का अस्तित्व ही कम हो गया है. लेकिन अंजनगांव तहसील के कुछ किसानों ने ग्रीष्मकालीन ज्वारी की बुआई करते हुए फिर से एक बार ज्वारी की फसल करने का प्रयास किया है.
ज्वारी को मिलने वाले कम दाम, वन्यप्राणियों के कारण खासतौर पर जंगली सुअरों के कारण होने वाला फसलों का नुकसान, वहीं पक्षियों की परेशानी व उनसे होने वाले नुकसान इन कारणों से किसान ज्वारी की फसल लेना टाल रहे हैं. परिणामस्वरुप जिले में ज्वारी की फसल कुछ ही क्षेत्रों में ली जाती है. लेकिन फसल लेने के लिए आने वाली समस्याओं पर उपाययोजना करते हुए अब अंजनगांव तहसील के निमखेड़ बाजार, लखाड, देवगांव के किसानों ने अधिक उत्पादन देने वाले वहीं पक्षियों से सुरक्षित व नैसर्गिक आपत्ति का भी फटका नहीं बैठेगा. ऐसी सुरक्षा की खोजबीन करते हुए ग्रीष्मकालीन ज्वारी की बुआई की है. जिसके चलते शीघ्र ही तहसील सहित जिले में ज्वारी के फिर से सुखद दिन आने की संभावना है. निमखेडबाजार के किसान बाबाराव पवार ने इस वर्ष एकड़ पर ग्रीष्मकालीन ज्वारी की बुआई की है. उनके मार्गदर्शन के अनुसार व अन्यत्र मिली जानकारी के अनुसार निमखेड, हिरापुर, चिंचोना शिवार के किसानों ने इस ङ्गर्ष करीबन 20 से 25 एकड़ से अधिक क्षेत्र पर ग्रीष्मकालीन ज्वारी की बुआई की है.

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