अमरावतीमहाराष्ट्र

पोहरा के चिरोडी वन परिक्षेत्र में दिखाई दिया बाघ

ट्रेस करने की कोशिशों में जुटा वन विभाग

* आसपास के ग्रामवासियों में दहशत
अमरावती/दि.12– शहर से सटे पोहरा-मालखेड- चिरोडी के घने जंगलों में एक बाघ के लगातार घूमने के पुख्ता सबूत (पगमार्क) मिल रहे है. वन विभाग उस बाघ को ट्रेस करने की कोशिशों में जुटा है. किंतु पिछले दो माह से उस बाघ का कोई सुराग नहीं लगा. अब तक उस बाघ की कोई तस्वीर को वन विभाग ट्रेस नहीं कर सका. जिसके चलते आसपास के गांव में दहशत व्याप्त है. वनविभाग द्बारा ऐतिहात के तौर पर सतर्कता बरतने की चेतावनी दी गई है.
उस बाघ का सटिक पता लगाने स्थानीय वन विभाग नाकाम साबित हुआ है. चांदुर रेलवे वन परिक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले चिरोडी मालखेड के जंगल में बाघ के अस्तित्व का प्रमाण मिलने के कारण वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए कहा है. तीन साल बाद इस क्षेत्र में एक बार फिर किसी बाघ को घूमता देखा गया. 13 सालों में लगातार पांचवी बार बाघ देखा गया है. यह क्षेत्र बाघों का गलियारा है. इसीलिए बाघों द्बारा इस गलियारे का उपयोग माइग्रेन के लिए किया जाता है. वन विभाग से जुडे सूत्रों ने बताया कि जिले में अक्सर यही हुआ है कि बाघ का अस्तित्व सिध्द होने के बाद अक्सर बाघ अपने मूल स्थान पर लौट गये.
जिला वन परिक्षेत्र अधिकारी सुमंत सोलंके ने बताया कि इस बार आए बाघ की पहचान करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन वास्तव ेमें यह बाघ कहा से आया है. इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है. दूसरी ओर प्रवास करनेवाला बाघ कुछ ही दिनों में लौट आता है. लेकिन उक्त बाघ सुरक्षित रूप से वहीं पर स्थिर है. इसीलिए वन्यजीव विशेषज्ञों ने संभावना जताई है कि अब वह हमेशा यही रहेगा. अब यदि उसका यही संरक्षण हुआ उसे पाटर्नर उपलब्ध करवाया तो उस बाघ का परिवार बढना भी संभव है.

* मॉनेटरिंग की जिम्मेदारी वनविभाग की
चांदुर रेलवे स्थित वडाली वनपरिक्षेत्र मेें साल 2014 से अब तक बाघ होने की संख्या दर्ज की गई है. कई बाघ के फोटो भी आए है. यह बाघ कहां से आया. इसका पता नहीं चल रहा. इस बाघ का फोटो भी कैमरे में नहीं आया. यह वनपरिक्षेत्र प्रादेशिक रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत आता है. दिनोंदिन बाघों की संख्या बढ रही है. साल 2016-17 में नवाब नामक बाघ और टी-2 बाघ ने भी यहां शरण ली थी. इस जंगल में बाघों के साथ लगभग 30 तेंदुए होने की भी जानकारी है. बाघों की मानेटरिंग करने की जबाबदारी वन विभाग की है.
नीलेश कंचनपुर,
अध्यक्ष वार संस्था अमरावती

* साल 2016-17 से मिल रहे बाघ होने के सबूत
साल 2017 से पोहरा, मालखेड वन परिक्षेत्र में बाघ होने के सबूत मिल रहे है. वनविभाग द्बारा भी दर्ज किया गया है कि टी-1 और टी-2 बाघ साल 2016-17 में मालखेड के जंगल में कुछ दिनों तक रूके थे. उसके साथ साल 2018-19 में बोर अपहरण से आया नवाब नामक बाघ भी इस जंगल में रहा था. साल 2020-21 में भी एक बाघिन ने इसी जंगल में शरण ली थी. लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पायी थी. अभी-अभी इस घने जंगल में जो बाघ आया है. उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पायी है. पोहरा मालखेड के जंगल में बाघ दिखाई देेने के बाद वन विभाग ने ग्रामीणों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है. पोहरा, चिरोडी मालखेड गांव में पोस्टर भी लगाए गये है.

* मालखेड के जंगल को अभ्यारण्य घोषित किए जाने की मांग
पोहरा- मालखेड – चिरोडी गांव के कई लोगों ने रात में वन परिक्षेत्र के साथ- साथ सडक पर भी बाघ देखा है. जिसके चलते इन गांवों में दहशत का वातावरण है. ेवन विभाग का एक दल गश्त कर बाघ पर कडी नजर रख रहा है. राज्य वन्य जीव बोर्ड के पूर्व सदस्य यादव तरडे ने बताया कि साल 1992 से पोहरा- मालखेड जंगल को अभ्यारण्य का दर्जा दिलाने की मांग की जा रही है.

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