अमरावती

2022 में देशभर में व्याघ्र गणना

राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण की बैठक में हुआ निर्णय

अमरावती/दि.18 – हर चार वर्ष बाद बहू की प्रगण्णा की जाती है. अब आगामी वर्ष 2022 में देशभर में व्याघ्र गणना हुई उसके लिए चार चरण निश्चित किए गये है. व्याघ्र गणना का टाईमटेबल भी घोषित किया गया है. जून 2021 से जुलाई 2022 इस बीच व्याघ्र गणना की जायेगी. अखिल भारतीय व्याघ्र गणना यह 2022 के लिए हो सकती है. उसके लिए वर्ष 2021-22 यह आर्थिक वर्ष है. एनटीसीए ने इस प्रगण्णा के लिए 10 से 12 किमी की दूरी घटक मानी है. इसमें मांस भक्षी प्राणियों के निशान का सर्वेक्षण, तृणपक्षी प्राणी, वनस्पति व मानवीय हस्तक्षेप, जमीन पर रहनेवाले प्राणियों का समावेश है.
देहरादून की भारतीय वन्य की संस्था की ओर से उपग्रह द्बारा हर एक लैंड स्केप की विशेषता बाबत की जानकारी इकट्ठा कर पृथककरण किया जायेगा. इस जानकारी के आधार पर सर्वेक्षण चरणोें का नियोजन किया जायेगा. उसके बाद कैमेरा ट्रे की सहायता से व्याघ गणना की जायेगी. सॉफ्टवेअर की मदद से तृणभक्षी प्राणियों की घनता नापने की सूचना वन अधिकारी, कर्मचारियों को दी गई है.
वर्ष 2018 की व्याघ्र गणना के अनुसार देश में पट्टेदार बाघों की संख्या 2 हजार 350 रहने की नोंद की गई है. अब वर्ष 2022 में होनेवाली व्याघ्र गणना के अनुसार बाघों की संख्या में कितनी वृध्दि होती है. इस ओर नजरे लगी है.

ट्रैप कैमरे की महत्वपूर्ण भूमिका

कैमेरा ट्रेपिंग के लिए संरक्षित क्षेत्रों का आकारमान 400 चौरस किमी रखने के निर्देश दिए गये है. लोक निहाय कैमेरा ट्रेपिंग करना पडेगा. ग्रीड में बाघों का भ्रमण रहनेवाले मार्ग पर दोनों ओर कैमेरा ट्रेपिंग करना पडेगा. हर ग्रीड को 2006 की गणना में इस्तेमाल किया गया विशिष कोट इस्तेमाल करना पडेगा. जहां कैमेरा ट्रेपिंग संभव नहीं वहां बाघों की विष्टा इकट्ठा कर वन कर्मचारियों को वह पृथककरण के लिए भेजनी पडेगी.

  • व्याघ्र गणना के चार चरण निश्चित किए गये है. जून 2021 से जुलाई 2022 तक व्याघ्र गणना की जायेगी. इसमें अद्यावत प्रणाली का इस्तेमाल किया जायेगा.
    – सुनील लिमए, अप्पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) मुंबई

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