अमरावती

विदर्भ में बाघों के रक्षक भूखमरी के शिकार

सालभर से वेतन नहीं

अमरावती/दि.23- व्याघ्र प्रकल्प के बाघों को शिकार से बचाने के लिए व उन्हें सुरक्षा देने के लिए निर्माण किए गए विशेष व्याघ्र संरक्षण दल के जवानों की दयनीय अवस्था है. विदर्भ के चारों व्याघ्र प्रकल्पों के इन 300 जवानों को करीबन वर्षभर से वेतन नहीं मिलने की धक्कादायक वस्तुस्थिति सामने आयी है.
देशभर में बाघों की संख्या शिकार के कारण तेजीसे कम होने के कारण राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण ने सन 2016 में विशेष व्याघ्र्र संरक्षण दल तैयार करने हेतु प्रयास किया. इससे पूर्व इस दल के मजबूतीकरण के लिए केंद्र शासन ने 50 करोड़ रुपए का अनुदान दिया. सबसे पहले भारत के 13 संवेदनशील व्याघ्र प्रकल्प में 25 आयु समूह के विशेष रुप से स्थानीय युवकों की व्याघ्र संरक्षण दल में भर्ती की गई थी. महाराष्ट्र के मेलघाट, ताडोबा, अंधारी व नवेगांव- नागझिरा पेंच इन व्याघ्र प्रकल्प में संरक्षण दल में चरणबद्ध तरीके से अब तक 309 जवान भर्ती किए गए. वीहं उन पर नियंत्रण के लिए सहायक वनसंरक्षक व वनपरिक्षेत्र अधिकारी ऐसे कुल 16 अधिकारी नियुक्त किये गए हैं. ऑन ड्यूटी 24 बाय 7 घंटे इस उक्तिनुसार वे बाघ व जंगल की सेवा में तत्पर रहते हैं.
विशेष व्याघ्र सुरक्षा दल यह केंद्र सरकार की योजना होकर, वेतन के लिए वे ही निधी भेजते हैं. मात्र जुलाई 2022 से वेतन के लिए केंद्र सरकार की ओड़ से निधि नहीं मिला. कुछ समय पहले व्याघ्र फाउंडेशन से कुछ राशि लेकर उसे जवानों में अग्रीम के रुप में दी है. अनुदान के लिए लगातार प्रयास जारी है.
– मनोजकुमार खैरनार, उपवनसंरक्षक,
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प

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