अमरावती

बाघों को भी कोरोना का खतरा!

राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण ने दिये बाघों की हलचलों पर ध्यान रखने के निर्देश

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१८ – इस समय देश सहित समूची दुनिया में कोविड संक्रमण द्वारा कहर ढाये जाने के चलते सभी इन्सान हैरान-परेशान हो गये है. वहीं अब राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण द्वारा संकेत दिये गये है कि, वन्यजीवों में भी कोविड संक्रमण फैल सकता है. अत: व्याघ्र प्रकल्प तथा अति संरक्षित जंगलों में रहनेवाले बाघों की गतिविधियों और हलचलों उपर बारिकी से ध्यान रखा जाये. साथ ही बाघों की गतिविधियां मंद होते ही उनके रक्त के नमुने लेकर जांच हेतु भेजे जाये.
बता दें कि, मार्च 2020 से कोविड संक्रमण का देश में खतरा बढने लगा. जिसे देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किया गया. पश्चात सितंबर माह में पर्यटकों व बाघों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एनटीसीए ने गाईडलाईन जारी की थी और अक्तूबर से दिसंबर माह के दौरान व्याघ्र प्रकल्पों को पर्यटकों के लिए खोला गया था. किंतु नये साल की शुरूआत में ही जनवरी माह से कोविड संक्रमण ने एक बार फिर रफ्तार पकडनी शुरू की, जो अब तक जारी है. ऐसे में लगातार बढते संक्रमण को देखते हुए सभी व्याघ्र प्रकल्पों को एक बार फिर बंद कर दिया गया. साथ ही अब आगामी अगस्त माह के पश्चात व्याघ्र प्रकल्पों को पर्यटकों के लिए खोला जायेगा, ऐसी जानकारी है. किंतु बाघों की भुमि रहनेवाले विदर्भ क्षेत्र में बडे पैमाने पर कोविड वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. ऐसे में क्षेत्रीय वन अधिकारियों व कर्मचारियों को बांघों की गतिविधियों पर कडी नजर रखने के निर्देश दिये गये है. जिसके तहत एनटीसीए ने ट्रैप कैमरों के जरिये बाघों के अधिवास, उनकी हलचलें और शिकार आदि के संदर्भ में सटीक जानकारी रखने के निर्देश जारी किये है. बता दें कि राज्य में मेलघाट, पेंच, ताडोबा-अंधारी, नवेगांव-नागझिरा व बोर अभयारण्य यह पांच प्रकल्प विदर्भ क्षेत्र में है. वहीं सह्याद्री प्रकल्प पश्चिम महाराष्ट्र में है.

  • आवारा कुत्तों पर भी रखी जाये कडी नजर

व्याघ्र प्रकल्प के आसपास स्थित गांवों में रहनेवाले आवारा कुत्ते जंगल क्षेत्र एवं व्याघ्र प्रकल्प में प्रवेश न कर पाये. इसके लिए आवश्यक सावधानी बरतने के निर्देश वरिष्ठाधिकारियों द्वारा जारी किये गये है. यदि यह आवारा कुत्ते व्याघ्र प्रकल्प में घुसते है और बाघों द्वारा उनका शिकार किया जाता है, तो उनके जरिये बाघों में खतरनाक जीवाणू व विषाणू का संक्रमण फैलने का खतरा उत्पन्न हो सकता है. अत: व्याघ्र प्रकल्प व अभयारण्य में आवारा कुत्ते प्रवेश न कर पाये. इस हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाने के निर्देश जारी किये गये है.

  • वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु हरसंभव सावधानी जरूरी

राज्य में किसी भी वन्यप्राणी के कोविड संक्रमित होने का अब तक एक भी उदाहरण सामने नहीं आया है. किंतु जिस तरह कोरोना ने मनुष्यों को घेर रखा है, उसे देखते हुए वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तमाम आवश्यक सावधानियां बरतना जरूरी है. व्याघ्र प्रकल्प अथवा अभयारण्य में किसी अधिकारी या कर्मचारी में यदि कोविड संक्रमण के लक्षण दिखाई देते है, तो उसे वन्यजीवों के परिसर में न रहने दिया जाये. साथ ही बाघों के व्यवहार में यदि कोई बदलाव दिखाई देता है, तो उनके रक्त के नमुने लेकर जीवाणू व विषाणुओं की जांच की जाये. ऐसे निर्देश भी जारी किये गये है. ऐसी जानकारी जिला पशु वैद्यकीय अधिकारी विजय रहाटे द्वारा दी गई है.

एनटीसीए का पत्र प्राप्त हुआ है. जिसमें बाघों की पूरी गतिविधियोें व हलचलोें पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है. क्षेत्रीय वन अधिकारियों व कर्मचारियों को यदि कोई बाघ दो-तीन दिन एक ही स्थान पर बैठा दिखाई देता है, तो उसके रक्त के नमुने लेकर पशु वैद्यकीय अधिकारी के मार्फत जांच हेतु भिजवाये जाने के निर्देश दिये गये है.
– सुनील लिमये
अप्पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पश्चिम विभाग, मुंंबई

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