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मुस्लिम बहुल इलाकों में रहा कडा बंद

धार्मिक भावनाएं आहत होने के चलते रखा गया महाराष्ट्र बंद

अमरावती/दि.12 – त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों पर हो रहे धार्मिक अत्याचारों तथा अल्पसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं के अवमान को लेकर मीम आर्मी के आवाहन पर आज मुस्लिम समूदाय द्वारा महाराष्ट्र बंद का पालन किया गया. इसके तहत सभी मुस्लिम समाज बंधूओं ने पूरा दिन अपना कामकाज बंद रखते हुए अपना निषेध व संताप प्रदर्शित किया.
इस महाराष्ट्र बंद में अमरावती शहर के भी मुस्लिम समाज बंधूओें द्वारा हिस्सा लिया गया और जहां एक ओर शुक्रवार की सुबह से शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ था, वहीं शहर के अन्य इलाकों में व्यवसाय करनेवाले मुस्लिम समाज बंधुओं ने आज अपने व्यवसाय नहीं खोले. ऐसे में शहर के बाजारों में कुछ हद तक इसका असर भी दिखाई दिया.
बता दें कि, शहर के साग-सब्जी व फल-फ्रुट व्यवसाय पर मुस्लिम समाज बंधुओं का अच्छा-खासा प्रभुत्व है तथा इतवारा बाजार, मालवीय चौक व डिपो परिसर में मुस्लिम समाज बंधुओं द्वारा फलों की दुकानें व गाडियां लगाई जाती है. किंतु आज किसी भी स्थान पर ऐसी कोई गाडी नहीं लगी दिखी. वहीं नमुना पूल व चौधरी चौक पर एक भी सब्जी की गाडी नहीं दिखाई दी. साथ ही साथ शहर के सबसे बडे सब्जी मार्केट इतवारा बाजार में साग-सब्जियों की दूकानों सहित मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा चलाई जानेवाली हार्डवेअर व किराणा की दुकानेें एवं ट्रान्सपोर्ट ऑफिस भी पूरी तरह से बंद रहे.

* बिना किसी शोर-शराबे के पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा बंद

सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि, इस बंद को लेकर मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा किसी भी तरह के आंदोलन या रैली का आयोजन नहीं किया गया था तथा सोशल मीडिया पर ही संदेश प्रसारित करते हुए अधिक से अधिक मुस्लिम समाज बंधूओं तक इस बंद में शामिल होने का मैसेज भेजा गया था. जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि, यह इस बंद का आवाहन केवल मुस्लिमों के लिए है तथा किसी भी अन्य धर्म के व्यक्ति को इस बंद में जबरन शामिल होने के लिए नहीं कहा जायेगा. एवं किसी भी अन्य व्यक्ति की दुकान को जानबूझकर बंद नहीं कराया जायेगा. बंद को पूरी तरह से शांतिपूर्ण रखने की अपील सोशल मीडिया के जरिये बार-बार की जा रही थी. ऐसे में शुक्रवार 12 नवंबर को इस बंद का असर केवल मुस्लिम बहूल इलाकों में ही दिखाई दिया. साथ ही साथ शहर के व्यापारिक क्षेत्रों में स्थित मुस्लिम समाज बंधूओं के प्रतिष्ठान भी सुबह से बंद रहे. इसके अलावा किसी भी अन्य धर्म या समाज के व्यक्ति की दुकान को बंद कराने का कहीं पर कोई प्रयास नहीं किया गया.

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