पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए संयम के साथ ही समय भी जरुरी
शिकायत दर्ज कराने के लिए लगता है एक से दो घंटे का समय
* कई बार संयम की भी होती हैं थाने में कडी परीक्षा
अमरावती/दि.3– आम तौर पर लोगबाग पुलिस थाने में जाना टालते हैं. बल्कि कहा तो यहां तक जाता है कि समझदार व्यक्ति ने पुलिस थाने व अदालत की सीढी नहीं चढनी चाहिए. क्योंकि एक बार थाने या अदालत के चक्कर में फसे तो फिर चक्कर पर चक्कर लगाकर आदमी खुद घनचक्कर हो जाता हैं. विशेष तौर पर अगर किसी मामले को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करानी है तो संयम के साथ-साथ भरपूर समय का रहना बेहद जरुरी होता हैं. क्योंकि कई बार फिर्यादी के साथ पुलिस थाने में किया जाने वाला व्यवहार या आरोपी के पद व प्रतिष्ठा के साथ ही उसके साथ खुद पुलिसवालों के हित संबंध को देखते हुए फिर्यादी पर शिकायत दर्ज नहीं करने हेतु किए जाने वाले इंकार के चलते शिकायतकर्ता को मानसिक तकलिफ से होकर गुजरना पडता हैं. वहीं कई बार तो फिर्यादी के साथ भी किसी आरोपी की तरह व्यवहार होता हैं. यदि इन सबसे बचते बचाते शिकायत दर्ज हो भी जाती है तो एफआईआर या एनसीआर की कापी मिलने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता हैं. यही वजह है कि पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए संयम के साथ-साथ समय का रहना बेहत जरुरी हैं.
* किसी भी थाने में दर्ज हो सकती हैं शिकायत
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि अपराध चाहे किसी भी पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत घटित हुआ हो, परंतु उसकी शिकायत शिकायतकर्ता या पीडित व्यक्ति व्दारा किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करायी जा सकती हैं. इसके लिए शिकायतकर्ता को अपराध घटित होने वाले थाना क्षेत्र से संबंधित पुलिस थाने में जाकर ही शिकायत दर्ज करवाना जरुरी नहीं हैं. परंतु यह नियम रहने के बावजूद केवल अपना पल्ला झाडने के लिए किसी अन्य थाना क्षेत्र से संबंधित घटना की शिकायत अपने पुलिस थाने में दर्ज करने से इंकार किया जाता हैं.
* कैसे दर्ज होती है शिकायत
यदि किसी व्यक्ति को अपनी कोई शिकायत दर्ज करानी है तो उसे खुद पुलिस थाने में जाकर प्रत्यक्ष अपनी शिकायत देनी होती हैं. यदि वह खुद अपनी कैफियत देने की इच्छा रखता है, तो अपनी शिकायत को पहले से लिखित स्वरुप में ले जाकर दे सकता हैं. वहीं अदखलपात्र मामलोें की शिकायत पुलिस की बेवसाइट पर दर्ज कराई जा सकती हैं. इसके अलावा महिलाओं को रात के समय पुलिस स्टेशन में फोन करते हुए अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार हैं. साथ ही पुलिस व्दारा महिला पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में महिला शिकायतकर्ता के घर जाकर उनकी शिकायत दर्ज की जा सकती हैं.
* एफआईआर व एनसीआर की कापी देना अनिवार्य
किसी भी दखलपात्र या अदखलपात्र मामले की शिकायत दर्ज करने के बाद एफआईआर या एनसीआर की प्रतिलिपी शिकायतकर्ता को तुरंत देना अनिवार्य होता हैं. यह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज होता हैं. जिसमें फिर्यादी का नाम, आरोपी का नाम, घटनास्थल, घटना का विवरण तथा किस धारा के तहत अपराध दर्ज किया गया हैं आदि बातों का ब्यौरा रहता हैं.
* शिकायत दर्ज करते समय अन्याय होने पर….
यदि पुलिस थाने के अधिकारी शिकायत दर्ज करने में कोई आनाकानी करते है, या शिकायत दर्ज नहीं करते तो इसे लेकर पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक से शिकायत की जा सकती हैं. साथ ही वहां पर भी सुनवाई नहीं होने पर सहायक आयुक्त, पुलिस उपायुक्त व पुलिस आयुक्त तथा एसडीपीओ, अतिरिक्त अधीक्षक व अधीक्षक स्तर के अधिकारियों से शिकायत की जा सकती है और यदि इन अधिकारियों व्दारा भी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता तो सीधे अदालत में गुहार लगाई जा सकती हैं.
कानून के अनुसार सभी अपराधों का दखलपात्र व अदखलपात्र श्रेणी में विभाजन किया जा सकता हैं. चोरी, सेंधमारी, वाहन चोरी, सडक हादसे, चेन स्नैचिंग, हमला, हत्या का प्रयास, हत्या, बलात्कार व हप्ता वसूली आदि मामले दखलपात्र अपराधों की श्रेणी में हैं. सभी पुलिस थानों व्दारा अपने पास आने वाली हर एक शिकायत पर पूरा ध्यान दिया जाता हैं और कानूनी धाराओं व प्रावधानों के अनुसार दखलपात्र व अदखलपात्र मामले दर्ज किए जाते हैं.
– विक्रम साली,
पुलिस उपायुक्त, अमरावती शहर पुलिस