अमरावतीमहाराष्ट्र

उस ‘बया’ को हराने के लिए दिनेश बूब का मैदान में रहना जरुरी

‘ताईसाहब’ से हाथ जोडकर उम्मीदवार बदलने की गुहार

* शिवसेना उबाठा के कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी नेताओं ने उठाई मांग
अमरावती/दि.24– आगामी लोकसभा चुनाव में यदि जिले की मौजूदा सांसद द्वारा बतौर प्रत्याशी हिस्सा लिया जाता है, तो उनकी दावेदारी को खारिज करने का काम केवल शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख दिनेश बूब द्वारा ही किया जा सकता है. ऐसे में महाविकास आघाडी ने अमरावती संसदीय सीट पर अपना प्रत्याशी बदलने के बारे में जरुर विचार करना चाहिए. विशेष तौर पर जिले की कांगे्रस नेत्री यशोमति ठाकुर ने भी इसे लेकर पहल करनी चाहिए. क्योंकि इस समय महाविकास आघाडी की ओर से जिसे प्रत्याशी बनाया गया है, वह प्रत्याशी किसी भी लिहाज से मौजूदा सांसद की दावेदारी को टक्कर नहीं दे सकता. ऐसे में मविआ की अमरावती संसदीय क्षेत्र में हार हो सकती है. जिससे बचने के लिए बेहद जरुरी है कि, अमरावती संसदीय सीट शिवसेना उबाठा के हिस्से में दी जाये और शिवसेना उबाठा प्रत्याशी के तौर पर दिनेश बूब को अमरावती संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया जाये. इस आशय की मांग गत रोज शिवसेना उबाठा की ओर से आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी के नेताओं द्वारा उठाई गई. साथ ही शिवसेना उबाठा पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी उसे लेकर अपनी सर्वसम्मति दर्शायी.

गत रोज स्थानीय नेमानी इन में आयोजित शिवसेना उबाठा के कार्यकर्ता सम्मेलन में मार्गदर्शन करते हुए पूर्व सांसद अनंत गुढे ने बिना किसी का नाम लिये अप्रत्यक्ष तौर पर कहा कि, महाविकास आघाडी द्वारा मैदान में उतारा गया उम्मीदवार किसी भी स्थिति में उस ‘बया’ के सामने टिक नहीं सकता. ऐसे में हम ‘ताईसाहब’ से हाथ जोडकर निवेदन करते है कि, वे अपने उम्मीदवार को बदलने पर विचार करें. अन्यथा हाथ में आया मौका हाथ से फिसल भी सकता है. साथ ही पूर्व सांसद अनंत गुढे ने यह घोषणा भी कर डाली कि, अगर वह ‘बया’ एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरती है, तो उसे पराजीत करने के लिए दिनेश बूब निश्चित तौर पर चुनावी मैदान में रहेंगे. गुढे ने यह भी कहा कि, हमने इससे पहले कई चुनाव लडे भी है और जीते भी है. ऐसे में अपने अनुभव के आधार पर हम कह सकते है कि, मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए महाविकास आघाडी की ओ से दिया गया प्रत्याशी यहां पर टिक नहीं पाएगा. चूंकि अमरावती संसदीय क्षेत्र शिवसेना का ‘बालेकिल्ला’ रहा है. ऐसे में शिवसेना का प्रत्याशी ही यहां पर प्रस्थापित उम्मीदवार को चारों खाने चित्त करने में सक्षम रहेगा और किसी समय ‘मातोश्री’ पर जाने की हिमाकत करने वाली उस ‘बबली’ को उसकी जगह दिखाने हेतु दिनेश बूब का ही मैदान में रहना जरुरी है.

शिवसेना उबाठा के इस कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व सांसद अनंत गुढे सहित संपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी, जिला प्रमुख सुनील खराटे, श्याम देशमुख, आसावरी देशमुख, दिनेश बूब, प्रदीप बाजड, ज्ञानेश्वर धाने पाटिल, बालासाहब भागवत, प्रशांत वानखडे, प्रवीण हरमकर, पराग गुडधे, आशीष धर्माले, अशोक इसल व प्रतिभा बोपशेट्टी सहित सभी नये व पुराने शिवसैनिक बडी संख्या में उपस्थित थे. जिन्होंने दिनेश बूब को ही मविआ की ओर से प्रत्याशी बनाए जाने की मांग करते हुए जमकर शक्ति प्रदर्शन भी किया. साथ ही मविआ की ओर से तय किये गये प्रत्याशी को अमरावती संसदीय सीट पर रहने वाली चुनौति के सामने काफी हद तक कमजोर दावेदार बताते हुए कहा कि, यदि मविआ द्वारा उम्मीदवार को नहीं बदला जाता है, तो अमरावती संसदीय क्षेत्र में असफलता का सामना करना पड सकता है.

* लोकसभा सहित जिले की 4 विधानसभा सीटे उनकी, तो हमारा क्या?
शिवसेना उबाठा की इस बैठक में पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल ने इस बात को लेकर भी आपत्ति उठाई कि, महाविकास आघाडी में शामिल रहने वाली कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव हेतु अमरावती, तिवसा, अचलपुर व धामणगांव रेल्वे इन 4 सीटों पर दावा किया है. वहीं शिवसेना के बालेकिल्ला के तौर पर पहचान रहने वाली अमरावती संसदीय सीट पर भी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. ऐसे में क्या शिवसेना को केवल कांग्रेस के उम्मीदवारों का प्रचार ही करने का काम करना होगा. धाने पाटिल के मुताबिक मविआ के तहत राज्य में शिवसेना की भूमिका बडे भाई की है. लेकिन कांग्रेस द्वारा बडे भाई को ही सबसे कम हिस्सा देने का काम किया जा रहा है. जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. जरुरत पडने पर दिनेश बूब को निर्दलिय चुनाव लडाते हुए विजयी बनाने की भूमिका भी अपनाई जाएगी.

* 50 फीसद महिलाएं किसी को भी हरा सकती है
शिवसेना उबाठा की महिला नेत्री आसावरी देशमुख ने कहा कि, यदि आगामी 28 मार्च तक हमारे मनलायक निर्णय नहीं होता है, तो पार्टी नेतृत्व ने यह ध्यान रखना चाहिए कि हम महिलाएं किसी को भी जीताने या हराने की ताकत रखती है. अत: पार्टी नेतृत्व ने हमारी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. साथ ही आसावरी देशमुख ने इस शक्ति प्रदर्शन को केवल ट्रेलर बताते हुए पिक्चर अभी बाकी रहने की बात कही और यह भी कहा कि, हमारे द्वारा लिये गये निर्णय के लिए हम खुद जिम्मेदार रहेंगे और इसकी आंच हम अपने नेताओं पर नहीं आने देंगे.

* अब तक हुए अन्याय को दूर करने का मौका
शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख सुनील खराटे ने कहा कि, दिनेश बूब अमरावती में शिवसेना के बेहद पूराने शिलेदार व कट्टर शिवसैनिक है. जिन्हें पार्टी ने काफी पहले ही मौका देना चाहिए था. लेकिन उन पर बा-बार अन्याय ही हुआ. परंतु इसके बावजूद उन्होंने शिवसेना का साथ नहीं छोडा, बल्कि जिले में पार्टी को टिकाए रखने के लिए हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया. आज भी जिले में रहने वाले शिवसेना के सभी गुट एकत्रित हुए है, तो इसके पीछे भी दिनेश बूब की ही भूमिका है. इन सभी बातों को देखते हुए अब पार्टी ने दिनेश बूब को मौका देकर उनके साथ अब तक हुए अन्याय को दूर करना चाहिए.

* ‘उस’ प्रत्याशी के प्रचार हेतु अधिकृत पक्षादेश ही नहीं
इस बैठक में शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख श्याम देशमुख ने कहा कि, यद्यपि महाविकास आघाडी का घटक पक्ष रहने वाली कांग्रेस ने अमरावती संसदीय क्षेत्र हेतु अपने स्तर पर की प्रत्याशी के नाम की घोषणा की है. परंतु हम लोग अब तक किसी के भी समर्थन में नहीं है. क्योंकि हमें अब तक अपनी पार्टी से उस उम्मीदवार के प्रचार हेतु अधिकृत आदेश नहीं मिला है. इसके साथ ही खुदको ‘बडा कलाकार’ बताते हुए श्याम देशमुख ने कहा कि, विगत कई चुनाव में उनकी ‘कलाकारी’ को सबने अच्छे से देखा है. कई लोगों की हार का रास्ता सुझाने वाले हम लोग किसी की जीत का समीकरण भी तय करते है. अत: हमें महाविकास आघाडी में पूरा सम्मान मिलना चाहिए, अन्यथा हम कोई अलग निर्णय लेने के लिए भी पूरी तरह से सक्षम है.

* कांग्रेस ने दावा ही नहीं करना चाहिए था
इस समय शिवसेना के पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारियों का यह भी कहना रहा कि, दिनेश बूब के राजनीतिक सफर और उनके सामाजिक कामों की जानकारी सभी को पता है. कांग्रेस ने भी दिनेश बूब के कई मित्र है और वे भी यह जनते थे कि, इस बार दिनेश बूब अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडने वाले है. जिसके चलते कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने शिवसेना की परंपरागत सीट रहने वाले अमरावती संसदीय क्षेत्र पर दावा ही नहीं करना चाहिए था.

* अपने पाप का परिणाम धाने खुद भुगतेंगे
इस समय इस बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए शिवसेना उबाठा के सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी ने कहा कि, आनंदराव अडसूल को अमरावती लाकर ज्ञानेश्वर धाने पाटिल ने एक बडा पाप किया है. जिसके परिणाम खुद धाने पाटिल को ही भुगतना पडेगा. परंतु आगे चलकर ऐसा न हो, इसका ध्यान सभी को रखना होगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, जिले में शिवसेना खत्म हो गई है, ऐसा कहने वालों की आंखें खोलने के लिए ही आज का यह सम्मेलन आयोजित किया गया है और अब जिले की प्रत्येक तहसील में रोजाना ही ऐसे सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे, ताकि शिवसेना की ताकत को खत्म बताने वालों को यह बताया जा सकें कि, हमारे ताकत के बिना अमरावती में कोई चुनकर नहीं आ सकता.

* इस बार तो अडसूल का भी डिपॉझिट नहीं बचेगा
इस बैठक में शिवसेना उबाठा के सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी ने स्पष्ट तौर पर शिंदे गुट वाली शिवसेना में शामिल रहने वाले अडसूल पिता-पुत्र के खिलाफ मुखर होते हुए कहा कि, अमरावती संसदीय सीट से एक बार फिर चुनाव लडने के इच्छूक रहने वाले आनंदराव अडसूल या उनके बेटे अभिजीत अडसूल का इस बार डिपॉझिट तक जब्त करवा दिया जाएगा. बाहर से आये अडसूल पिता-पुत्र को स्थानीय शिवसैनिकों ने सांसद व विधायक बनाने का काम किया था. लेकिन अडसूल पिता-पुत्र ने जिले में शिवसेना को बर्बाद करने तथा पुराने व निष्ठावाण शिवसैनिकों को शिवसेना को तोडने का काम किया. ऐसे में अब केवल चुनाव के समय ही अमरावती में दिखाई देने वाले अडसूल पिता-पुत्र को स्थानीय शिवसैनिकों द्वारा अमरावती में जमने का मौका नहीं दिया जाएगा.

* ऐन समय पर होगा चमत्कार, प्रत्याशी बदलेगा
पूर्व सांसद अनंत गुढे व पूर्व विधायक धाने पाटिल सहित कई शिवसेना नेताओं ने इस बैठक मेंं यह भी कहा कि, विगत चुनाव में प्रदीप बाजड के नाम पर घोषित उम्मीदवारी ऐन समय पर धाने पाटिल को दी गई थी. साथ ही भारसाकले की उम्मीदवारी के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ था. इसके अलावा भी ऐसा कई बार हुआ है कि, ऐन समय पर उम्मीदवार बदल दिया गया. ठीक उसी तर्ज पर इस बार भी कोई ना कोई चमत्कार जरुर होगा और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा सभी शिवसैनिकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा.

* ‘वो’ पल्लू पसारकर मांग रहे, फिर भी उनके हाथ खाली
पूर्व सांसद अनंत गुढे ने बिना किसी का नाम लिये कहा कि, आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह का भरपूर आशीर्वाद रहने की बात करने वाले ‘भाउ-बया’ की जोडी के हाथ निराशा ही लगी है. इसी वजह से वह ‘बया’ पल्ला पसारकर और ‘भाउ’ दुपट्टे बांटते हुए उम्मीदवारी के लिए इधर से उधर चक्कर काट रहे है. फिर भी उन्हें टिकट नहीं मिली है और आगे भी टिकट मिलने का कोई संकेत नहीं है. इसके बावजूद यदि वह ‘बया’ चुनावी मैदान में उतरती है, तो इस बार उसका सामना कट्टर शिवसैनिक दिनेश बूब से होगा.

* जो ‘मातोश्री’ से टकराएगा, मिट्टी में मिल जाएगा
इस सम्मेलन में अधिकांश वक्ताओं का यह भी कहना रहा कि, हिंदू हृदय सम्राट दिवंगत बालासाहब ठाकरे की विरासत को आगे लेकर चलने हेतु शिवसेना के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पूरी तरह से सक्षम है. इससे पहले भी कई लोगों ने ‘मातोश्री’ से टक्कर लेने का प्रयास किया. लेकिन उन लोगों का ही अस्तित्व खत्म हो गया. 12 विधायकों को साथ लेकर शिवसेना छोडने वाले छगन भुजबल आज अकेले पड गये है. नारायण राणे ने भी 11 विधायकों के साथ अलग रास्ता पकडा था और आज उनकी स्थिति जगजाहीर है. राज ठाकरे ने भी शिवसेना को टक्कर देने के लिए अलग राजनीतिक दल बनाया था. लेकिन विगत 20 वर्षों के दौरान उनका एक विधायक तक निर्वाचित नहीं हो सका. जिसके चलते आज उन्हें मोदी की छत्रछाया में जाना पडा. इसी तरह ‘मातोश्री’ से टक्कर लेने की हिमाकत करने वाले अमरावती के सांसद व विधायक के भी बुरे हाल होने वाले है.

* बी-फॉर्म मिलने तक दावा नहीं छोडूंगा – बूब
इस सम्मेलन में शिवसेना के जिला प्रमुख दिनेश बूब ने कहा कि, अभी तो केवल लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया ही शुरु हुई है. ऐसे में नामांकन भरने के अंतिम समय तक अमरावती संसदीय सीट को शिवसेना उबाठा के हिस्से में लेने हेतु प्रयास किये जाएंगे और बी-फॉर्म मिलने तक वे अपना दावा नहीं छोडेंगे. साथ ही दिनेश बूब ने यह भी कहा कि, उन्होंने अपने बारे में निर्णय लेने का सर्वाधिकार शिवसेना के स्थानीय नेताओं व शिवसैनिकों पर सौंप दिया है. महाविकास आघाडी में शिवसेना उबाठा भी शामिल रहने के चलते आघाडी धर्म के पालन को अपना कर्तव्य बताते हुए दिनेश बूब ने कहा कि, वे अपनी भूमिका की वजह से अपने नेताओं की गर्दन नहीं झुकने देंगे. यद्यपि वे बगावत नहीं करने वाले है. लेकिन अंतिम क्षण तक अपना अधिकार भी नहीं छोडने वाले है.

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