* दीयों के प्रकाश से जगमगाए का शहर
अमरावती/29– मिट्टी के दीपक, अभ्यंगस्नान और उबटन की सुगंध से हर घर महकेगा. आज घर-घर धनतेरस का पूजन किया जाएगा. उमंग और उत्साह के सबसे बडे पर्व दीपावली की शुरुआत हो गई है. दीयों के प्रकाश से पूरा शहर जगमगाएगा.
अश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि को धन्वंतरी हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर समुद्रमंथन से प्रकट हुए. धन्वंतरी को भगवान विष्णू का अवतार माना जाता है. इस दिन सोना-चांदी खरीदने का विशेष महत्व है. धनतेरस से दिवाली पर्व मनाया जाता है. दीप जलाने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है. जलते दीप से वास्तुदोष दूर होने के साथ ही वातावरण की नकारात्मक उर्जा दूर होकर सकारात्मक उर्जा का सर्वत्र संचार होता है. विषैले सूक्ष्म कीटाणू दियों के प्रकाश से नष्ट होते है, ऐसा वैज्ञानिक कारण भी इस दीपोत्सव मनाने का है.
* अभ्यंगस्नान को अधिक महत्व
दीपावली के चार दिनों में अभ्यंगस्नान को काफी महत्व है. दैनंदिन जीवन में अपनी त्वचा पर धूप, हवा, बारिश का परिणाम होता है. दिवाली के दौरान ठंड शुरु होती है. निसर्ग में चंद्र का प्रभाव बढता है. सूर्य दक्षिण में जाता है. हवा में शीतलता व शरीर के अंदर उष्णता इन दोनों घटना के लिए त्वचा फटती है. इसलिए तिल्ली के तेल से मसाज कर स्नान करना यानी अभ्यंग स्नान होता हे. इस अभ्यंग स्नान से घर में भी आनंद का वातावरण निर्माण होता है.
* आयुर्वेद में उबटन को महत्व
घरेलू स्वरूप में उबटन यानी हल्दी, आंबेहल्दी, दूध की मलई, कचोरा, मंजीरा, आंवला, आदि का मिश्रण करने पर उबटन तैयार होता है. इन दिनों उबटन केवल दीपावली अभ्यंगस्नान तक ही महत्वपूर्ण माना जाता है. परंतु वनस्पति औषधि की उबटन हमेशा उपयोग करने पर त्वचा विकार, पसीना आना अथवा बाहर के बदलते मौसम के अनुसार त्वचा प्रतिकूल परिणाम करता है. उबटन से त्वचा की सुरक्षा होती है. साबून के बेहतरीन विकल्प के तौर पर आज भी कई घरों में आयुर्वेदिक औषधि से बनाए गए उबटन का इस्तेमाल किया जाता है.