लैलतुल कद्र की रात आज, सारी रात चलेगा इबादतों का दौर
मस्जिदों में हुई आकर्षक रोशनाई
* रमजान के आखरी अशरे को इबादत के साथ किया जा रहा विदा
अमरावती/दि.06– लैलतुत कद्र की रात के तौर पर रमजान की 26वीं शब(रात) को माना जाता है. इस रात को कद्र की रात या लैलतुल कद्र की रात इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि मुस्लिम हदीस के अनुसार इसी रात आसमानी किताब कुरआन मजीद आसमान से नाजिल(अवतरित) हुआ था. रमजान के पूरे महिने रोजे रखने वाले व तरावीह की नमाज पढने वाले नमाजियों के लिए यह रात बहुत ही महत्व रखती है. शहर की मस्जिदों में इस रात को लेकर खासा उत्साह देखा जाता है और विशेष तौर पर तैयारियां की जाती है. शबे कद्र की रात नमाजियों व्दारा रात भर नफिल नमाज पढ कर, अपने रब की इबादत कर अपने रब को राजी करने का प्रयास और गुनाहों की मगफिरत के लिए दुआ की जाती है. आज शनिवार 6 अप्रेल को भी शहर में रमजान के 26 वें रोजे के अवसर पर शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में खासी चहल-पहल देखी गई. वही नन्हें बच्चों ने कडी धूप में 26वां रोजा रखा. शाम के समय इन बच्चों के परिजनों ने उन्हें सजा कर रोजा कुशाई की. रमजान के 26वें रोजे का बहुत बडा महत्तव माना जाता है. जिसके चलते अन्य धर्म के बंधू भी इस रोजे को रखते है. वही कई परिसरों में स्थित मस्जिदों को आकर्षक रोशनियों से सजाया गया. जिसके कारण पूरे परिसर का वातावरण खुशनूमा नजर आया.
इस रात इबादत करने की बहुत फजिलत
यह रात हजार महिनों में से बेहतर है. इस रात इबादत करने की बहुत फजिलत है. यह कद्र वाली रात है, इस कद्र वाली रात में खुब इबादत करनी चाहिए. क्योंकि इस रात को कद्र वाली किताब आसमान से नाजिल हुई थी. जो बंदा इस रात में इबादत करेगा. अल्लाह उसे भी साहिबे कद्र बना देगा.
मौलाना वारीस रजा अशहरी, खतीब व इमाम ताजुल औलिया मस्जिद, अम.
फरिश्ते मुबारकबाद देते है
इस रात को ज्यादा महत्व इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इस रात के बाद 27 वीं शब(रात) लग जाती है. उस दिन मुसलमान रात भर जागकर इबादत करता है. इस रात के बारे में कुरआन में फरमाया गया है कि जो शख्स इस रात में जागकर इबादत करें, उसे 80 साल की इबादत का सवाब मिलता है और इस के अंदर आसमान से फरिश्ते उतरते है. और इबादत करने वालों को मुबारकबाद देते है. जो हमें दिखाई नहीं देते, यह सिलसिला फजर की नमाजि तक जारी रहता है. फरिश्ते इबादत करने वालों के लिए दुआएं करते है.
मौलवी रहमत नदवी, संचालक मदरसा हफजा लिलबनात लालखडी
गरीबों की मदद करने का देता संदेश
रमजान महिने में जकात का अधिक महत्तव है, अपनी कमाई से कुछ हिस्सा निकाल कर गरीब और जरुरतमंदों की सहायता करने का संदेश रमजान महिने में दिया जाता है. वही 26वीें रात में अल्लाह की इबादत करने वाले और गरीबों की मदद करने वाले शख्स को आसमानी इनामों से नवाजा जाता है. इस लिए अपनी कमाई से कुछ हिस्सा निकाल कर गरीबों की मदद कर खुशियां बांटनी चाहिए.
डॉ. जुबेर अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता
26वें रोजे का अधिक महत्तव
रमजान के रोजे का अधिक महत्व होता है. लेकिन 26वां रोजा रहमत और बरकत वाला होता है. रोजा इंसानियत, मानवता, नेकदिल और अच्छे काम करने का संदेश देता है. इस महिने में गरिबों व जरुतमंदो की खुब मदद करनी चाहिए.
शेख निसार एस.बी. कॉग्रेस शहर उपाध्यक्ष.
सलामती वाली रात है शब-ए-कद्र
शब-ए- कदर रात पूरी दुनिया के लिए सलामती वाली रात है. जो किस्मतवालों को नसीब होती है. तीसरे अशरे में इस रात को इबादत की रात भी कहा जाता है. लोक अपने गुनाहों की माफी मांगते है.
एजाजोद्दिन बासीत, पूर्व क्रीडा अधिकारी(सऊदी अरब)
एक बडा देती है मानवता का संदेश
जिस तरह रमजान का महिना मानवता और भाईचारे का संदेश देता है. गरीब, बेसहारा लोगों की सहायता करने और बुराई से खुद को बचाने का संदेश देता है. रोजा इबादत के साथ खुद को कैसे स्वस्थ रखे इसका संदेश देता है. उसी तरह रमजान की 26वीं रात यानी शब-ए-कद्र भी एक बडा संदेश लेकर आती है. क्योंकि इस दिन आसमानी किताब अवतरित हुई थी. जो पुरी दुुनियां में शांति, एकता, भाईचारे का संदेश फैलाती है.
अकरम पठान, विदर्भ अध्यक्ष महाराष्ट्र कामगार शक्ति सेना (उबाठा)
इस रात में आसमान से उतरा था कुरआन
जहन्नम की आग से खुलासे का अशरा है. अपने गुनाहों की माफी का अशरा है और अपने रब की नियामतें जो अल्लाह ने बंदे को अता की है, उन नियामतों की शुक्र गुजार का अशरा है. ताक रातों का अशरा है और इस अशरे में अल्लाह ने शब-ए-कदर की रात दी है. इस रात को अल्लाह ने कुरआन को आसमान से जमीन पर उतारा था.
नसीम खान पप्पू ( प्रदेश सचिव महाराष्ट्र कॉग्रेस अल्पसंख्यक विभाग)
रमजान मगफेरत का आखरी अशरा ,
इस अशरे में मोमीन अपने मगफेरत की दुवाएं बड़ी शिद्दत के साथ करता है और अल्लाह ताआला उसकी दुवाएं भी कुबूल करता है. जब कोई मजदूर अपनी मेहनत करके मजदूरी मांगता है और मालिक उसे खुशी से मजदूरी देता है, उसी तरह अल्लाह अपने फरमाबरदार बंदो की बेलौस मगफेरत फरमाता है, रमजान की 26वीं शब यानी रात में इबादत करने वालों के लिए अल्लाह अपने फरिश्तों को अपने बंदों की मिसाल देता है और मां से ज्यादा मोहब्बत करने वाला रब बेलौस बंदो की मगफेरत फरमाता है.
अब्दुल रहेमान,
जिला कार्यकारी अध्यक्ष, समाजवादी पार्टी
अमरावती