अमरावती/दि. 10 – गणेशोत्सव के दौरान आज मंगलवार 10 सितंबर को घर-घर में महालक्ष्मी का आगमन हो गया है. सुबह अनेकों के घर में महालक्ष्मी विराजमान हुई. यह तीन दिन का व्रत नक्षत्र प्रधान है. अनुराधा नक्षत्र पर आवाहन, ज्येष्ठा नक्षत्र पर पूजन व महानैवेद्य तथा मूल नक्षत्र पर विसर्जन किया जाता है.
मराठी पंचांग के मुताबिक इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 मंगलवार 10 सितंबर को अनुराधा नक्षत्र का योग रहने से अपने कुल के मुताबिक लोग महालक्ष्मी को विराजमान करते है. इसके मुताबिक घर-घर में महालक्ष्मी को विराजमान किया गया. बुधवार 11 सितंबर को ज्येष्ठा नक्षत्र है. इस कारण कुल के मुताबिक पूजन व महानैवेद्य किया जाता है. गुरुवार 12 सितंबर को मूल नक्षत्र भी पूरा दिन है. इस कारण इस दिन महालक्ष्मी का विसर्जन कर गौरी को विदाई दी जाती है. इस वर्ष महालक्ष्मी का वाहन मुर्गा है. वह चावल भक्षण करता है. उसने कथ्थई रंग के वस्त्र परिधान किए है. हाथ में तलवार ली है और कस्तुरी का तिलक लगाया है. वह दक्षीण दिशा की तरफ देख रहा है. महालक्ष्मी की आज विधि-विधान के साथ हर कोई ने स्थापना की. महाराष्ट्र में गौरी पूजन एक विशेष त्यौहार माना जाता है. इसे महालक्ष्मी पूजन के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष महालक्ष्मी का मंगलवार 10 सितंबर को आगमन हुआ. कल बुधवार 11 सितंबर को घर-घर में महाप्रसाद का आयोजन किया जाएगा. जिसका सभी श्रद्धालु बडी आस्था के साथ लाभ उठाते है.
संस्कृत में गौरी का अर्थ आठ साल की पवित्र युवती है. इसके अलावा गौरी का मतलब गोरा, चमकीले रंग वाली होता है. पुराणों के अनुसार पार्वती का एक नाम गौरी है. भाद्रपद माह में भगवान गणेश के बाद गौराई का आवाहन किया जाता है. तीन दिन के लिए वह अपने मायके आती है. जहां उनका भव्य स्वागत किया जाता है. विदर्भ में हर घर में ज्येष्ठा गौरी के नाम से उन्हें जाना जाता है. ज्येष्ठा गौरी की पूजा प्रत्येक कुल के रीति-रिवाजों और परंपराओं के अनुसार की जाती है. पहले दिन गौरी का स्वागत कर उन्हें मखर में स्थापित किया जाता है. पहले दिन बहुरंगी रोशनी, फूलों की सजावट, रंगोली डिजाइन के साथ मिठाइयां पेश की जाती है. उसके बाद दूसरे दिन उनकी महापूजा होती है, जो बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है.
* गौरी की खरीददारी हुई जमकर
इस वर्ष शहर के बाजार गौरी के आकर्ष मुखौटे और आभूषणों से सज गए थे. महिलाएं गौरी की मूर्ति और आभूषण सहित मुखौटे, रेडीमेड साडियां खरीदने के लिए सोमवार को बाजार में बडी संख्या में दिखाई दी. इस वर्ष फाईबर, पीओपी, शाडू मिट्टी, लकडी, पित्तल आदि से बने अनेक आकार के मुखौटे बाजार में दिखाई दिए. इनमें चमकिले मुखौटे लोगों ने अधिक पसंद किए.
* रेडीमेड साडियां रही पसंद
बाजार में विभिन्न प्रकार की रेडीमेड साडियां उपलब्ध थी. इनमें पांच वारी, सहावारी, नौवारी साडी के अलावा मस्तानी नौवारी, कोली, ब्राह्मणी, त्रिवेणी नौवारी का समावेश था. महालक्ष्मी की उंचाई के आधार पर तैयार सहवारी साडियां भी बाजार में उपलब्ध रही. साथ ही आकर्षक आभूषण भी इस बार काफी दिखाई दिए.