अमरावती

आज दशक्रिया पर विशेष

स्व. चंद्रकलाताई बोके के व्यक्तित्व अतुलनीय

अमरावती/दि.24स्व. चंद्रकलाताई बोके अमरावती में एक अलग ही महत्व रखने वाला व्यक्तित्व रही. मैं राजनीति में था, तब 1970 से 1090 तक सभी प्रकार की राजनीति मैनें देखी है.
कांग्रेस पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता था. स्व. चंद्रकलाताई बोके को देखने के बाद मेरे मन में एक अलग ही आनंद निर्माण हुआ. उनका वजनदार व्यक्तित्व, गौरवर्ण, एक अलग ही तरह की वाणी और आंखों में काफी तेज था. मैं एक साधारण कार्यकर्ता था. उनकी काम करने की कला अतुलनीय थी.
70 से 80 के दशक में उस समय कांग्रेस पार्टी के गढ मैं ही संभालता था. स्व. बोकेताई के भाषण भी परतवाडा शहर में मैं ही आयोजित किया करता था. चुनाव समाप्त होने के बाद सांसद व विधायक मुझे पूछते नहीं थे, किंतु उस काल में बोकेताई सम्मान से बातचीत करके मेरी इज्जत रखती थी. इसलिए मैं आज भी उनकी इज्जत करता हूं व उन्हें स्मरण करता हूं. आज 23 वर्षो के बाद मैं हाथ में कलम लेकर यह लेख श्रद्धांजलि के रुप में लिख रहा हूं. 1980 से 1985 के दौरान दै. हिंदुस्तान पेपर में समाचार छपा कि चंद्रकांत बोके का पुत्र विक्रम बोके पुलिस कमिश्नर बना, यह समाचार पढने के बाद मैं ताई के बंगले पर पेपर लेकर गया तथा उन्हें शुभकामनाएं दी. पश्चात उन्होंने सभी को छोडकर मेरा हाथ पकडकर सोफे पर बिठाया व मुझे पेेडा दिया तथा कहा कि, आपने मुझ पर सगे भाई के समान प्रेम किया. ऐसा कहते हुए उन्होंने ही मेरा सत्कार किया.
वैसे तो ताई राजनीति में सफल नहीं हुई, समाजसेवा में भी वे मर्यादित रही. किंतु कांग्रेस के विधायक, सांसद, मंत्रियों में ताई का नाम एक प्रतिष्ठित नि:स्वार्थ समाजसेविका के रुप में रहेगा, यह निर्विवाद सत्य है. ताई आपने मुझे उस काल में जो इज्जत व सम्मान दिया वह मेरे जीवन में अजामर है. आप मृत्युशैया पर रहते समय 13 नवंबर की रात को 8 बजे मैं अस्पताल में आया आपके दर्शन किए. आपका शरीर चादर से ढका हुआ था, किंतु पैर का अंगूठा मुझे दिखा, मैंने उस पर सर रखकर आपका आशीर्वाद लिया व बहार आया. 2 घंटों के बाद डॉक्टरों ने कहा कि, ताई अब हमारे बीच नहीं रही. ताई इस शंकरबाबा पापलकर को आशीर्वाद देने के लिए ही आप रुकी होगी, ऐसा मुझे लगता है. 24 नवंबर को आपकी वरखेड में संतों की भूमि में दशक्रिया है. मैं 123 दिव्यांग बच्चों की ओर से आपके चरणों में नतमस्तक होता हूं. मुझे व मेरे समस्त दिव्यांग बच्चों को दशक्रिया के दिन आशीर्वाद दें, यही आपके चरणों मेें विनंती….
– शंकरबाबा पापलकर,
123 दिव्यांग बच्चों के पिता,
दिव्यांग बालगृह, वझ्झर

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