प्लास्टिक कार्रवाई के नाम पर डेअरीवालों की प्रताडना
डेअरी एसोसिएशन ने जिलाधीश से की मनपा की शिकायत
* विधायक रवि राणा को भी अपनी समस्याओं से कराया अवगत
अमरावती/दि.27- विगत कुछ दिनों से अमरावती महानगरपालिका के अधिकारियों द्वारा शहर के दूध डेअरी संचालकों को प्लास्टिक प्रतिबंधक अभियान के तहत नाहक ही परेशान और प्रताडित किया जा रहा है. जिसके तहत 51 माईक्रॉन से अधिक रहनेवाली प्लास्टिक पन्नी और 300 माईक्रॉन से अधिक रहनेवाले प्लास्टिक कंटेनर का प्रयोग करने के बावजूद भी मनपा अधिकारियों द्वारा झुंडशाही व दडपशाही की नीति अपनाते हुए आये दिन किस न किसी दूध डेअरी प्रतिष्ठान पर छापा मारकर 5 से 10 हजार रूपये का जुर्माना वसूला जाता है और जुर्माना देने से मना करने पर अपमानास्पद व्यवहार करते हुए पुलिस कार्रवाई करने की धमकी दी जाती है. इस आशय का आरोप लगाते हुए अमरावती बहुउद्देशीय डेअरी एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिलाधीश पवनीत कौर को अपनी समस्याओं व दिक्कतोें से संबंधित ज्ञापन सौंपा. साथ ही यह मांग भी उठाई कि, मनपा के मनमाने कामकाज पर रोक लगायी जाये.
दूध डेअरी संचालकों का प्रतिनिधि मंडल गत रोज जब जिलाधीश पवनीत कौर से मिलने हेतु कलेक्ट्रेट पर पहुंचा, तो उस समय विधायक रवि राणा भी किसी काम के चलते वहीं पर उपस्थित थे. ऐसे में दूध डेअरी संचालकों ने विधायक रवि राणा को भी अपनी समस्याएं व दिक्कते बतायी और फिर उनकी अगुआई में ही जिलाधीश पवनीत कौर से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान दूध डेअरी संचालकों ने जिलाधीश पवनीत कौर को बताया कि, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा 51 माईक्रॉन से कमवाली प्लास्टिक थैली एवं 300 माईक्रॉन से कम प्लास्टिक कंटेनर के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में अमरावती शहर के सभी दूध डेअरी संचालकों ने 75 माईक्रॉनवाली प्लास्टिक थैली और 400 माईक्रॉनवाले प्लास्टिक कंटेनर का प्रयोग करना शुरू कर दिया है, जो प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा निर्धारित मानक से कहीं अधिक है. लेकिन इसके बावजूद भी मनपा द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध के नाम पर आये दिन अलग-अलग दूध डेअरी प्रतिष्ठानों में छापा मारकर नियमानुसार रहनेवाले प्लास्टिक थैलियों व प्लास्टिक कंटेनरों के स्टॉक को जप्त कर लिया जाता है. साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के नाम पर दूध डेअरी संचालकों से भारी-भरकम जुर्माना वसूल किया जाता है. इसके तहत अमरावती शहर में अब तक कई दूध डेअरी संचालकों से जुर्माना वसूल किया जा चुका है.
दूध डेअरी संचालकों का यह भी कहना रहा कि, इस समय सरकारी दूध कंपनी आरे सहित विभिन्न निजी कंपनियों का पैकेट बंद दूध 50 माईक्रॉन से कम रहनेवाली प्लास्टिक थैलियों में सिलबंद करते हुए बिक्री हेतु उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा बिस्कीट, वॉशिंग पाउडर, ब्रेड, तेल, नमकीन व हलदी-मिर्च सहित विभिन्न तरह के उत्पाद भी 50 माईक्रॉन से बेहद कम रहनेवाली प्लास्टिक थैलियों में धडल्ले के साथ बिक रहे है. साथ ही कई तरह की बिस्कीट, कुकीज व ब्रांडेड खाद्य पदार्थों की बिक्री 300 माईक्रॉन से कम रहनेवाले प्लास्टिक कंटेनरों में हो रही है. इसके अलावा शहर में साग-सब्जी व फल-फुल आदि की बिक्री भी 50 माईक्रॉन से कम रहनेवाली प्लास्टिक थैलियों व कैरीबैग के जरिये होती है. परंतु इन सब की ओर स्थानीय प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है, बल्कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन के नाम पर केवल दूध डेअरीवालों को ही परेशान व प्रताडित किया जा रहा है. जबकि दूध डेअरी प्रतिष्ठानों में सिंगल यूज प्लास्टिक से संबंधित सभी नियमों का बेहद कडाई के साथ पालन किया जाता है.
इस समय दूध डेअरी संचालकों ने यह भी कहा कि, शहर में कई सुशिक्षित बेरोजगारोें ने अपने-अपने परिवारों केे जीवनभर की जमापूंजी लगाते हुए दूध डेअरिया शुरू की है. जिनके जरिये रोजाना करीब 2 लाख लीटर दूध की खरीदी व बिक्री होती है. इस जरिये जहां विभिन्न रिहायशी इलाकों में रोजाना ताजे दूध सहित विभिन्न डेअरी उत्पाद उपलब्ध होते है. वहीं हजारों पशुपालक किसानों को भी दूूध बिक्री के जरिये आमदनी उपलब्ध होती है. इसके अलावा हर दूध डेअरी में 3 से 4 लोगों को रोजगार उपलब्ध होता है. ऐसे में सरकार एवं प्रशासन ने डेअरी व्यवसाय को प्रोत्साहित करना चाहिए, किंतु इसकी बजाय स्थानीय प्रशासन द्वारा डेअरी संचालकों को नाहक ही प्रताडित किया जा रहा है. यदि ऐसा ही चलता रहा, तो मजबूरन डेअरी व्यवसायियों को अपना दुग्ध व्यवसाय बंद करने के बारे में सोचना पडेगा.
विधायक रवि राणा एवं डेअरी एसो. के अध्यक्ष गिरीश खरड द्वारा उपस्थित किये गये मुद्दों को गंभीरतापूर्वक सुनने के बाद जिलाधीश पवनीत कौर ने इस मामले में जल्द ही कोई ठोस कदम उठाये जाने की बात कही. इस समय शहर के अनेकों दूध डेअरी संचालक भी उपस्थित थे.