अमरावतीमहाराष्ट्र

पहलगाम घटना के साक्षी पर्यटकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जताया हर्ष

जान मुठ्ठी में लेकर वापिस लौटने की घटना को याद कर सभी दुबारा सिहर उठे

अमरावती/दि.8– विगत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के समय कश्मीर के अलग-अलग इलाको में फंसने के बाद वहां से जैसे-तैसे अपने-अपने घर वापिस लौटे पर्यटकों ने भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर हर्ष जताया. साथ ही पहलगाम की घटना के बाद वहां से जान मुठ्ठी में लेकर वापिस लौटने की घटना को याद कर सभी एक बार फिर सिहर गए.
विगत 19 अप्रैल को पहलगाम में ही प्रज्ञावंत तामतागडे व उनके साथ 25 लोगों का दल मौजूद था. जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले से दो दिन पहले पहलगाम से निकलकर कश्मीर के अन्य स्थानों की ओर चले गए थे. इसी दौरान 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था. जिसके बाद वे श्रीनगर में अटक गए थे और फिर जैसे-तैसे वहां से निकलकर अपने घर पहुंचे. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद उस पूरी घटना को याद करते हुए प्रज्ञावंत तामतागडे ने दैनिक अमरावती मंडल को बताया कि, उनका ग्रुप 16 अप्रैल की रात नागपुर से हमसफर एक्सप्रेस के जरिए जम्मू के लिए रवाना हुआ था. इस ग्रुप में अमरावती सहित नागपुर, अचलपुर, चंद्रपुर व मुंबई क्षेत्र के निवासी शामिल थे. जिनमें दो बुजुर्ग महिलाओं, दो बच्चों व 11 महिलाओं का भी समावेश था. 18 व 19 अप्रैल को यह ग्रुप पहलगाम में ही रुका हुआ था और सभी ने अरुवैली, चांदन वाडी व बेताब सहित बैसरन घाटी को भी भेंट दी थी. जिसके बाद वे अपने अगले गंतव्य के लिए रवाना हो गए थे. पश्चात 22 अप्रैल को रात श्रीनगर के होटल में रुके रहने के दौरान उन्हें रात 12 बजे के आसपास उनके टेम्पो चालक ने फोन करके बताया कि, ‘उस्ताद 19 तारीख को हम पहलगाम में जहां पर गए थे, वहां आज पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ 10-20 पर्यटक मारे गए.’ फोन कॉल करने के साथ ही टेम्पो चालक होटल पर भी पहुंच गया. उस समय तक ग्रुप के कुछ लोग सो चुके थे. परंतु टेम्पो चालक के होटल पर आने की वजह से सभी लोग जाग गए. जिसने बताया कि, अगले दिन 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर बंद है. यहां पर हालात बिगड गए है और कभी भी कुछ भी हो सकता है. यह सुनकर ग्रुप में शामिल सभी 25 लोग काफी हद तक तनाव में आ गए थे. जिसके बाद सभी लोग 23 अप्रैल को तडके 2 बजे ही जब श्रीनगर से जम्मू के लिए रवाना हुए और 8 घंटे का सफर जैसे-तैसे 24 घंटे में पूरा करते हुए जम्मू पहुंचने के बाद सभी ने राहत की सांस ली. जहां से उनकी सकुशल वापसी हुई थी.
इस पूरी घटना को याद करते हुए प्रज्ञावंत तामगाडगे और उनके समूह में शामिल कश्मीर से लौटे पर्यटकों ने भारत द्वारा पहलगाम के आतंकी हमले का बदला लेने हेतु चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर प्रसन्नता जाहीर की. साथ ही सभी का एक स्वर में यह कहना रहा कि, भारत ने इस बार और भी अधिक कडी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में पहलगाम जैसी आतंकी घटना दुबारा घटित न हो.

* आठ घंटे की यात्रा में लगा 24 घंटे का समय
पहलगाम की आतंकी घटना के बाद वहां से जैसे-तैसे अपनी जान मुठ्ठी में लेकर अपने घर लौटे पर्यटकों ने बताया कि, जम्मू से श्रीनगर के बीच रहनेवाले नैशनल हाईवे पर भुस्खलन हो जाने के चलते उन्हें मुगल मार्ग का प्रयोग करते हुए आगे की यात्रा करनी पडी और 245 किमी की यात्रा को पूरा करने के लिए 8 घंटे की बजाए 24 घंटे का समय लगा. पहाडी रास्तों से यात्रा करने के दौरान सभी लोग खुद पर आतंकी हमला होने की आशंका को लेकर बुरी तरह से डरे हुए थे. पश्चात 24 अप्रैल को तडके 5 बजे के दौरान कटरा पहुंचने के बाद सभी की जान में जान आई और फिर सभी लोग कटरा से निश्चिंत होकर आगे की यात्रा के लिए रवाना हुए.

* विगत 16 अप्रैल को 25 लोगों के साथ हम जम्मू-कश्मीर के लिए निकले थे. 18 व 19 अप्रैल को पूरा समय पहलगाम में थे और तीन-चार स्थानों को भेंट दी. जिसके बाद 20 अप्रैल को पहलगाम से श्रीनगर के लिए निकले और 22 अप्रैल को गुलमर्ग में रहते समय हमें पता चला कि, पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हुआ है. उस समय यह विचार आया था कि, भारत ने अब बदला लेना ही चाहिए. जिसके चलते एअर स्ट्राइक की खबर सुनकर दिल को सुकून पहुंचा और लगा कि, पहलगाम में मारे पर्यटकों के प्रति यह सच्ची श्रद्धांजलि है.
– प्रज्ञावंत तामगाडगे, अमरावती

* हम 19 अप्रैल की दोपहर तक पहलगाम में ही थे. जहां से निकलने के बाद हमें 22 अप्रैल को पता चला कि, पहलगाम में कुछ पर्यटकों पर जानलेवा हमला हुआ है. उन पर्यटकों की जगह पर हम भी हो सकते थे, इस विचार से ही हम भीतर तक हिल गए थे और वहां से जैसे-तैसे निकलकर अमरावती पहुंचे. भारतीय सेना ने एअर स्ट्राइक करते हुए पाकिस्तान को अच्छा सबक सीखाया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह एक रणनीति है. जिसके कई गूढ अर्थ भी है.
– मनीषा पोटदुखे, नागपुर.

* हम 16 से 26 अप्रैल तक कश्मीर की यात्रा पर गए थे तथा 18 व 19 अप्रैल को पहलगाम में ही थे. जहां से निकलने के बाद हमें पता चला कि, पहलगाम में कई पर्यटक महिलाओं की आंखों के सामने उनके पतियों को गोली मारी गई और उनका सिंदूर उजाड दिया गया. जिसके चलते भारत द्वारा की गई कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम देना बेहद समर्पक रहा. भारत द्वारा की गई कार्रवाई को देखकर सीना गर्व से चौडा हो गया है.
– नितिन किटुकले, मुंबई.

* पहलगाम में निहत्थे व निरअपराध पर्यटकों की निर्मम हत्या से काफी दुख व संताप हुआ था. साथ ही जनसामान्यों की यह भावना थी कि, अब आतंकवादियों का खात्मा होना ही चाहिए. उस भावना का आदर करते हुए भारतीय सेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी कैम्पो पर हमला किया. जिसकी जानकारी मिलने पर काफी संतोष हुआ. पहलगाम में आतंकी हमला होने से तीन दिन पहले हम खुद पहलगाम में थे. उस बात को याद करते हुए आज भी दिल बैठ जाता है.
– गोपाल पिसे, सावनेर.

* 23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर बंद का आवाहन किया गया था. जिसके चलते 23 अप्रैल को तडके ही जम्मू के लिए निकल जाने की बात श्रीनगर के होटल संचालक ने कही थी. ऐसे में हम सभी लोग 23 अप्रैल को तडके ही श्रीनगर से जम्मू के लिए रवाना हुए. लेकिन हमें 8 घंटे की यात्रा के लिए 24 घंटे लग गए. मुगल मार्ग से की गई उस यात्रा के दौरान खुद पर आतंकी हमला होने का डर पूरा समय बना हुआ था. जिसे याद करते हुए आज भी भी सिहरन होती है.
– अरुण चकुले, नागपुर.

* पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला होने की बात समझ में आते ही मानों पैरों के नीचे से जमीन सरक गई थी. जिसके चलते 2 मई तक रहनेवाली जम्मू-कश्मीर की यात्रा का नियोजन रद्द करना पडा था. हम दो दिन तक श्रीनगर के होटल में अटके हुए थे. खास बात यह है कि, 22 अप्रैल की सुबह ही हम बैसारेन की घाटी से वापिस लौटे थे. उस आतंकी घटनावाले दिन ही कुछ समय पहले हम उसी स्थान पर थे. उस बात को याद कर अब भी दिल दहल जाता है. वहीं भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई के चलते कुछ हद तक समाधान महूसस हुआ है.
– मंगला बोलके, अमरावती.

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