जीएसटी (राज्य) ऑडिट का नागपुर में केंद्रीयकरण करने से व्यापारी नाराज
होगा पैसा और समय खराब
* वित्त मंत्री अजीतदादा से निर्णय वापस लेने की रखी मांग
अमरावती/दि.21– जीएसटी कार्यालय का नागपुर में केंद्रीयकरण करने से व्यापारी वर्ग और कर सलाहगार वर्ग खफा हो गया है. इस वर्ग ने राकांपा प्रदेश महासचिव संजय खोडके के माध्यम से वित्त व नियोजन मंत्री अजीत पवार से कार्यालयों को एक ही जगह लाने पर पुन: विचार करने की विनती की है. व्यापारियों का कहना है कि, यवतमाल, वाशिम, बुलढाणा से नागपुर जाना-आना न केवल दिक्कतों वाला होगा, बल्कि इसमें वक्त और नाहक फिजूल खर्ची होगी. अब अजीत पवार कब निर्णय करते है, यह देखने वाली बात होगी.
गुरुवार को विदर्भ टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. जगदीश शर्मा के नेतृत्व में अमरावती चेंबर ऑफ कॉमर्स एड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विनोद कलंत्री, सीए अमरावती ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष सीए डी. डी. खंडेलवाल, चेंबर के मनीष करवा ने डीसीएम अजीतदादा के करीबी संजय खोडके से विस्तृत चर्चा कर उन्हें सत्य परिस्थितियों से अवगत कराया और उन्हें डीसीएम अजीतदादा एवं विधायक सुलभा खोडके के लिए निवेदन भी सौंपा. उनके समक्ष आग्रह पूर्व मांग रखी कि व्यापारी, टैक्स प्रैक्टिशनर की इस न्यायसंगत मांग को अजीतदादा के समक्ष रखकर पूर्ववत जिला केंद्र पर ऑडिट विभाग के कार्य को रखा जाये. इन सभी बातों को गंभीरता से लेते हुए संजय खोडके ने आश्वासन दिया कि, वे अपनी तरह से पूरे प्रयास करेंगे.
जीएसटी लागू होने के बाद से अमरावती विभागीय जीएसटी (राज्य) कार्यालय का कामकाज अमरावती से ही संचालित हो रहा था. जीएसटी ऑडिट का कामकाज उसी जिले के जीएसटी कार्यालय में किया जाता था. अमरावती विभाग में अभी तक अमरावती, अकोला, यवतमाल, खामगांव, वाशिम, बुलढाणा जिले जुडे हुए थे. राज्य सरकार ने हाल ही में आदेश पारित कर जिला स्तर पर हो रहे ऑडिट के कार्य को अब नागपुर में केंद्रीत कर दिया है. जिससे अब धारणी तथा मलकापुर जो कि, नागपुर से 300-400 किमी की दूरी पर हैं, वहां के व्यापारी, उद्योजक तथा कर सलाहकार को नागपुर जाना होगा. ऐसे में लोगों को प्रवास में लगने वाला खर्च और उसमें भी कभी अधिकारी किसी कारणवश उपलब्ध नहीं रहे या कम्प्लायंस से जुडी कुछ समस्याएं हैं, तो तारीख का सिलसिला शुरु हो जाएगा, जिससे बार-बार आने-जाने में अनेक कठिनाईयों के साथ बेवजह आर्थिक भुर्दंड सहना पडेगा. एक तरफ सरकार इज ऑफ डूइंग की बात करती है, ताकि बेवजह खर्च और समय के उपव्यय से बचा जा सके, तो दूसरी ओर खुद के ही आश्वासन से मुंह मोड रही है. यवतमाल का विभागीय कार्यालय अब तक अमरावती था, अब अमरावती से निकाल कर उनको चंद्रपुर से जोड दिया गया है. अब उनको अलग-अलग कामों से चंद्रपुर, नागपुर और अमरावती के चक्कर काटने पडेंगे. यह वहां के लोगों के लिए अत्यंत पीडादायक होने वाला है, ऐसा निर्णय लेने के पहले सरकार ने स्थानीय व्यापारी संगठन, टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन से चर्चा करना जरुरी था. बिना कठिनाई जाने इस तरह के निर्णय लेना यह व्यापार और सरकार के हित में नहीं है.