व्यापारियों को रास नहीं आयी मूल्यवृध्दि
मामला कॉटन की एमएसपी का

* किसान नेता बोले और बढाई जानी चाहिए कीमत
अमरावती/ दि. 29 – केन्द्र सरकार द्बारा क्षेत्र की प्रमुख फसल कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल लगभग 600 रूपए की बढोत्तरी का किसान नेताओं ने स्वागत किया. मूल्य और बढाए जाने और महंगाई की तुलना में बराबर लाने की मांग उठाई. वहीं कपास और जिनिंग प्रेसिंग के व्यापारियों, उद्यमियों में समर्थन मूल्य बढाए जाने का विरोध किया. यह भी आरोप लगाया कि कपास को लेकर देश में ऑपरेशन व्हॉइट गोल्ड के नाम से घोटाला तो नहीं चल रहा ?
* क्या बोले जावंधिया
शेतकरी संगठन के विजय जावंधिया ने सरकारी घोषणा को नाकामी बताया. उन्होंने सब आंकडों का खेल है. वहीं दो लाख 7 हजार करोड के प्रावधान को भी सवालों के कटघरे में खडा किया. उन्होंने सोयाबीन का विषय उठाया और कहा कि पीएम मोदी ने 6 हजार रूपए दाम घोषित किए थे. किसान आज भी 4 हजार रूपए के रेट से सोयाबीन बेच रहे हैं. कपास के रेट 7710 रूपए बताए गये. जबकि प्रत्यक्ष में कपास 7 हजार और 7200 रूपए के रेट से ही बिक रहा है. जावंधिया ने एमएसवी के बढाए गये पैसे सीधे किसानों के खाते में जमा करने की मांग की है.
* एमएसपी का आतंकवाद ?
उधर जिनिंग प्रेसिंग उद्यमियों और कपास व्यापारियों ने कपास की अगले वर्ष हेतु न्यूनतम कीमत 589 रूपए बढाकर 8060 रूपए प्रति क्विंटल किए जाने पर विश्व मार्केट को देखते हुए सवाल उपस्थित किए हैं. उनका कहना है कि 8060 रूपए का कपास खरीद कर रूई की गांठे बनाए तो उसकी लागत 63 हजार रूपए प्रति कैंडी आती है. सीसीआई को यह कैंडी और महंगी पडेगी. व्यापारियों ने कहा कि ब्राजील का कॉटन आगामी दिसंबर में 25 सेंट में मिल जायेगा. जिसका आयात शुल्क अदा करने के बाद भारतीय पोर्ट पर उसका दाम 60600 रूपए प्रति कैंडी रहेगी. उन्होंने कहा कि मिले तो सिंथेटिक ब्लेडिंग करके मिल चला लेगी. इंपोर्ट कर लेगी. किंतु प्राइवेट जिनिंग फैक्टरी वाले सरकार के एमएसपी आतंकवाद से पैसे निपटेंगे. इसे सरकारी आतंकवाद कहते हुए ऑपरेशन व्हॉइट गोल्ड के नाम से घपले की आशंका व्यक्त की.