वरूड/पुसला/दि. ३-वरूड तहसील के पुसला की सुशीला और बेबी बिडकर इन दो बहनों ने संघर्ष से इतिहास रचा. उन्होंने पिता के परंपरागत कृषि को प्राथमिकता देकर किसानी करने का निर्णय लिया. जान की परवाह न करते हुए घने महेंद्री पंढरी जंगल में रहने वाले उनके खेत में कड़ी मेहनत कर फसल ली. पुसला के बिडकर परिवार में पांच बहने है. माता-पिता के निधन के बाद उनपर दुखों का पहाड टूट पड़ा. पांच में से तीन बहनों का विवाह हुआ. घर में विपरित हालातों का सामना हर समय करना पड़ा. रिश्तेदारों ने भी साथ छोड दिया. लेकिन सुशीला और बेबी बिडकर इन दो बहनों ने खेती करने का निर्णय लिया और उसमें कामयाब भी हुई. उनके माता-पिता का जीवन संघर्षमय रहा. पिता के निधन पश्चात जीवन यापन का प्रश्न खड़ा हो गया. आर्थिक स्थिति कमजोर रहने से शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में उन्होंने गांव से ९-१० किलोमीटर दूरी पर सतपुडा के तलहठी पर पंढरी जंगल में उनकी खेती की जोताई शुरु किया. रात-बेरात जाकर सिंचाई करना यह उनकी दिनचर्या बनी. उन्होंने अपने खेत में संतरा सहित रबी फसल लेने की शुरुआत की और संघर्ष कर अच्छा उत्पादन लेकर उन्होंने कृषि कन्या के नाम से अपनी पहचान बनाई.