अमरावतीमहाराष्ट्र

पारंपारिक हथकरघे का व्यवसाय पिछडा

साली समाज के 18 हजार परिवार आर्थिक मंदी का शिकार

* 10 वर्षों में साली समाज के केवल 3 को मिली नौकरी
अमरावती/दि.6– वस्त्र निर्मिति के पुश्तैनी गुण के साथ किसी जमाने में आगे रहने वाला साली समाज आज सरकार की गलत नीतियों का परिणाम भुगत रहा है. क्योंकि इन दिनों हथकरघे का स्थान यंत्र करघे द्वारा ले लिया गया है. वहीं साली समाज को केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से कोई सेवाएं भी नहीं मिलती है और इस समूदाय के लोग राज्य के विशेष पिछडा संवर्ग में भी टिक नहीं पाते. यहीं वजह है कि, अमरावती जिले में रहने वाले साली समाज के 18 हजार परिवारों में से केवल 3 बेरोजगार युवकों को विगत 10 वर्षों के दौरान नौकरी का मौका उपलब्ध हुआ है. ऐसे में सरकारी उपेक्षा की वजह से साली समाज पर भूखमरी व बेरोजगारी की नौबत आन पडी है.

उल्लेखनीय है कि, साली समाज के आराध्य श्री जिव्हेश्वर को विश्व का पहला वस्त्र निर्माता माना जाता है. जिन पर आस्था रखने वाला साली समाज हथकरघे के जरिए वस्त्र निर्मिति की परंपरा को संभालते हुए आगे आया. लेकिन बदलते वक्त के अनुसार हथकरघे की जगह यंत्र करघे द्वारा ले ली गई. इससे पहले बुनाई व कपडों पर डिझाइन का काम साली समाज के कुटूंब प्रमुख द्वारा किया जाता था. परंतु अब यहीं काम कम्प्यूटर पर होता है. वहीं पहले साली समाज के कुटूंब प्रमुखों द्वारा पूरा ध्यान अपने हथकरघा व्यवसाय पर दिया जाता था. जिसके चलते परिवार के बच्चों की ओर अनदेखी होती थी. साथ ही बच्चों को पढाई-लिखाई के लिए बाहरगांव भेजने के लिए दो पैसों की आवक को ध्यान में रखते हुए अपनी परंपरागत व्यवसाय में ही लगाया जाता था. लेकिन अब हथकरघे ही बंद हो जाने के चलते इस समाज की नई पीढी रोजगार के लिए इधर-उधर भटकने लगी है. साथ ही बेरोजगारी की संख्या का प्रमाण भी साली समाज में काफी अधिक बढ रहा है.

* विशेष पिछडा प्रवर्ग में समावेश
केंद्र सरकार की नीति के अनुसार साली समाज को ओबीसी संवर्ग की सभी सुविधाएं मिलती है. साथ ही राज्य सरकार ने वर्ष 1994 में घटित गोवारी कांड के बाद साली समाज को राज्य में विशेष पिछडा प्रवर्ग का आरक्षण दिया. परंतु यह आरक्षण संविधान सम्मत नहीं है और इस आरक्षण में करीब 41 जातियों का समावेश है. ऐसे में पहले ही अल्पशिक्षित रहने वाला साली समाज आरक्षण की प्रतिस्पर्धा में किस तरह से टिक पाएगा, यह अपने आप में बडा सवाल है.

* वस्त्रोद्योग महामंडल की योजनाएं पहुंचना जरुरी
भारतीय व्यवस्था के तहत प्रत्येक समाज का कोई न कोई व्यवसाय निश्चित किया गया है. जिसके तहत साली समाज की पुश्तैनी व्यवसाय बुनाई था. जो कि बदलते समय चक्र में धीरे-धीरे नष्ट व खत्म होता चला गया. ऐसे में अब साली समाज के लोगों के पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है. साथ ही नौकरी व व्यवसाय में कौशल्य आत्मसात करने के लिए कोई मार्गदर्शन भी नहीं है. जिसकी वजह से बाजार में बढती स्पर्धा में साली समाज के लोगबाग टिक ही नहीं पा रहे. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, केंद्र सरकार द्वारा वस्त्रोद्योग महामंडल की योजनाओं का सही मायनों में योग्य लाभार्थियों तक पहुंचाया जाये.

* संगठन शक्ति भी आवश्यक
साली समाज का कोई राजनीतिक वजन नहीं है. साली समाज से कोई भी व्यक्ति अब तक वरिष्ठस्तर का नेता नहीं बन पाया है. ऐसे में साली समाज के युवकों ने आगे आते हुए संगठन शक्ति निर्माण करनी चाहिए. इस आशय की मांग साली समाज के उपेक्षित समाजबंधुओं द्वारा की जा रही है.

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