अमरावती

कर्कश हॉर्न बजाने वालों पर यातायात पुलिस की पैनी नजर

अब तक 61 वाहन धारकों पर की गई कार्रवाई

  • बगैर हेलमेट व नो-पार्किंग में रखे वाहन चालकों से वसुला जुर्माना

अमरावती/दि.26 – कानों को नुकसान पहुंचाने वाले कर्कश हॉर्न हुल्लडबाजों व्दारा शहर में उन स्थानों पर बेवजह बजाये जाते हैं जहां पुलिस नहीं होती. हमेशा ट्रैफिक पुलिस व्दारा की गई कार्रवाई के भय से मुख्य चौक से वे वाहन चालक चुपचाप जाते हैं. महाविद्यालय, स्कूल दिखाई देने पर वहां पर ही हॉर्न बजाया जाता है. अब वे बंद होने के कारण शहर में शाम 7 बजे के बाद रास्तों पर हॉर्न बजाये जाते हैं.
गत वर्ष मार्च से ही शाला-महाविद्यालय बंद होने के कारण कर्कश व बड़ी आवाज का म्युजिकल हॉर्न बजाकर इम्प्रेस किसे किया जाये, यह प्रश्न हुल्लडबाजों को सता रहा है. परिणामस्वरुप सन 2020 में पूरे 27 तो मई 2021 तक 34 लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई की गई. विशेष रुप से गत वर्ष व इस बार भी कई महीनों तक लॉकडाऊन रहने के बाद भी बेवजह घुमने पर बंदी के रहते भी यातायात नियमों को पालन न करने वाले वाहन चालकों से करीबन 1 करोड़ 79 लाख 43 हजार 850 रुपए दंड वसुला गया. इसमें जनवरी से दिसंबर 2020 इस कालावधि में 87 हजार 901 मामलों में 1 करोड़ 11 लाख 6 हजार 850 रुपए तो जनवरी से मई 2021 कालावधि में 66 हजार 31 वाहन चालकों से 67 लाख 82 हजार रुपए जुर्माना वसुला गया. इनमेंं सर्वाधिक जुर्माना नो-पार्किंग में लगने वाले वाहनों के चालकों से वसुला गया. चौक के ट्रैफिक सिग्नल पर समय से पहले वाहन धारक सामने के वाहन धारकों को साईड के लिये बड़ी आवाज में हॉर्न बजाते हैं.

म्युजिकल हॉर्न की फैशन

शहर के कई युवा अपने महंगी दुपहिया को म्युजिकल हॉर्न लगाते हैं. फिलहाल शहर में इसकी क्रेझ दिखाई दे रही है. हम सबसे अलग है लगाया गया हॉर्न कितना महंगा है , इस पर ही दिनोंदिन फैशन बढ़ने लगी है. सात ही प्रेशर हॉर्न, बुलेट हॉर्न, सायरन हॉर्न भी देखने को मिलते हैं.

कर्कश हॉन बजाने पर…

पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 नुसार शांतता झोन परिसर में 50 डेसिबल, निवासी झोन परिसर में 55 डेसिबल, वाणिज्य में 65 डेसिबल व औद्योगिक झोन परिसर में 75 डेसिबल से कम ध्वनि स्तर रखना आवश्यक है. कार्रवाई में दोषी पाये जाने पर वाहन चालकों को पांच वर्ष की कैद या एक लाख रुपए जुर्माना भरना आवश्यक किया जाएगा. वहीं कर्कश हॉर्न बजाने पर यातायात पुलिस व्दारा मोटर वाहन कानून की धारा 119/230 नुसार कार्रवाई की जाएगी.

कानों की बीमारी भी बढ़ सकती है

ध्वनि प्रदूषण का गंभीर दुष्परिणाम हैै. इसमें कानों में बेल बजती रहने की आवाज आना, नींद में रुकावट, अस्वस्थ लगना, दर्द होना व थकान महसूस करना,काम करने की जगह पर काम करने की इच्छा कम होना, बातें करते समय लड़खड़ाना, हार्मोन्स में बदलाव होता है. कहीं पर भी बेवजह ज्यादा आवाज होने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर परिणाम होता है व दैनिक जीवन में बाधाएं उत्पन्न होती है. इसका सबसे ज्यादा दुष्परिणाम कानों पर होता है.

  • यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. कोरोना काल में भी यातायात शाखा की ओर से सर्वाधिक वाहन चालकों पर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए 1 करोड़ 71 लाख के करीब जुर्माना वसुला गया. वहीं तेज हॉर्न बजाने वाले वाहन धारकों पर भी यातायात पुलिस की पैनी नजर है.
    – किशोर सूर्यवंशी, सहायक पुलिस आयुक्त शहर यातायात

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