अमरावती

स्कील इंडिया अंतर्गत 300 से अधिक युवकों को प्रशिक्षण- मुख्य वनसंरक्षक

मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्बारा जगह-जगह पर कौशल्य विकास केंद्र

अमरावती/दि.13 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्बारा जगह-जगह पर शुरु किये गये कौशल्य विकास केंद्र रोजगार निर्मिति को बढावा देंगे, ऐसा विश्वास मुख्य वनसंरक्षक ज्योति बैनर्जी ने व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि, सातत्यपूर्ण प्रशिक्षण के लिए यह केंद्र स्कील इंडिया से जोडे जाएंगे.

* स्थानिकों की जंगलों पर निर्भरता घटेगी
देश के प्रसिद्ध व्याघ्र प्रकल्पों में से एक मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प है. जिसमें कोअर व बफर क्षेत्र मिलाकर कुल 131 गांव है. इसी के साथ पुनर्वसन के 20 गांवों का भी समावेश है. ऐसे कुल 151 गांव मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प क्षेत्र में आते है. इन गांवों में मुख्यत: आदिवासी समाज का निवास है. इसमें कोरकु आदिवासियों की संख्या सर्वांधिक है. यह लोग खेती के साथ जंगलों पर ही निर्भर है. इसलिए जंगलों पर का बोझ कम हो व स्थानीकों में रोजगार निर्मिति होकर विकास की राह खुले, इसलिए मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्बारा युवक-युवतियों के लिए कौशल्य विकास प्रशिक्षण केंद्र शुरु किये गये है.

* प्रशिक्षकों को रोजगार के अवसर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के परतवाडा फारेस्ट डिपो अंतर्गत मेलघाट कौशल्य विकास केंद्र शुरु किया गया है. यहां पर असिस्टंट इलेक्ट्रीशियन इस रोजगार का प्रशिक्षण निशुल्क दिया जाता है. मेलघाट के 35 युवकों ने असिस्टंट इलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण लिया है. उन्हें रोजगार मिला है. इसी के साथ ही गुगामल वन्यजीव विभाग के हरिसाल, चिखलदरा, मेलघाट, वन्यजीव विभाग के जामली, अकोट वन्यजीव क्षेत्र के शहानुर में कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र शुरु किये गये है. अब तक 300 छात्रोें ने इस प्रशिक्षण केंद्र में एमएससीआईटी का प्रशिक्षण लिया है. जिससे स्थानिकों को रोजगार के नये अवसर मिल रहे है.

* स्कील इंडिया पोर्टल से लिंकिंग
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्बारा शुरु सभी प्रशिक्षण केंद्रों को केंद्र सरकार के स्कील इंडिया पोर्टल से जोडने का काम शुरु है. अमरावती से मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प संवर्धन प्रतिष्ठान यह मुख्य प्रशिक्षण संस्था के रुप में पंजीकृत की गई है. इसी के अंतर्गत सभी प्रशिक्षण केंद्रों का पंजीयन कर संस्था को अनुदान मिलेगा. जिससे प्रशिक्षण में सातत्य रहेगा. मेलघाट के युवक-युवतियां प्रशिक्षित होकर उन्हेें रोजगार मिलेगा. इससे उनकी जंगल पर की निर्भरता कम हो जाएगी. स्थानीकों के उन्नति के साथ ही वनसंवर्धन की दिशा मेें भी काम होगा, ऐसा ज्योति बैनर्जी ने बताया.

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