प्रतिनिधि/दि.३१
अमरावती – शासकीय शालाओं के शिक्षकों के होने वाले तबादलों के कारण विद्यार्थियों को अपनी पढाई में नुकसान हो रहा था. यह नुकसान होता देख तबादले बंद कर दिये जाने का निर्णय शासन द्बारा लिया गया है. अपवाद परिस्थिति को छोडकर बाकी शिक्षकों के तबादले पर रोक लगा दी गई है. उसी प्रकार शिक्षकों का मध्यान भुजन बनाने में व प्रशासकीय कामों में भी समय जाता था. जिससे अध्यापन की ओर दुर्लक्ष हो रहा था. नये धोरण में कहा गया है कि, पिछले २ वर्षों से राज्य में शासकीय शालाओं के तबादले चर्चा में है. जिसमें अब तबादलों की पद्धति ही बंद करने का मसोदा तैयार किया गया है. शिक्षक द्बारा विद्यार्थियों को पढाते समय स्थानीक परिसर से भी जुडना चाहिए. बारबार तबादला होने की वजह से वह ध्यान केंद्रीत कर नहीं पाता. अचानक तबादला हो जाने पर इसका परिणाम छोटे बच्चों पर भी होता है. सरकार द्बारा शासकीय शालाओं के शिक्षकों के तबादले न हो, इसके लिए नये कानून बनाये गये है.
शिक्षकों पर अशैक्षणिक कामों का बोझ
पिछले अनेक वर्षों से शासकीय शालाओं के शिक्षक शिकायत कर रहे है कि, उन्हें उनसे संबंधित न रहने वाले कार्य ना दिये जाए. इन शिक्षकों से मध्यान का भोजन भी पकवाया जाता है. साथ ही इन्हें चुनाव संबंधित कार्य भी दिये जाते है. जिससे शिक्षा के दर्जे में विपरित परिणाम होगा. शिक्षकों पर अशैक्षणिक कामों का बोझ होने पर विद्यार्थियों पर भी इसका परिणाम होगा. नये कानून में ऐसा कहा गया है.
साल में ५० घंटे प्रशिक्षण
शिक्षकों को स्विकास कार्यक्रम के अंतर्गत हर साल ५० घंटे पूर्ण करना आवश्यक है. उसी प्रकार तकनिक का इस्तेमाल कर स्वयं दिक्षा जैसी प्रणाली का शिक्षकों में इस्तेमाल बढे, इसलिए उन्हें प्रशिक्षण देने का कानून है. जिसमें बदलाव किया गया है. शिक्षक के लिए बीएड पात्रता रखी गई है. शिक्षण दरम्यान विद्यार्थियों को कक्षा में प्रत्येक्ष पढाने का प्रशिक्षण शिक्षकों को दिया जाएगा. ऐसा भी प्रावधान किया गया है.