अमरावतीमुख्य समाचार

विधायक रवि राणा को मिली ट्रांजिट एंटीसिपेट्री बेल

दिल्ली की पटियाला कोर्ट में जमानत मिलने दाखिल की थी याचिका

* कोर्ट ने एक सप्ताह तक गिरफ्तारी से दी है राहत
* अब कभी भी दिल्ली से अमरावती आ सकते है विधायक रवि राणा
* अमरावती आकर स्थानीय कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए करेंगे आवेदन
अमरावती/दि.22– विगत 9 फरवरी को राजापेठ रेलवे अंडरपास में मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर पर स्याही फेंकने के साथ ही जानलेवा हमला करने के मामले में भादंवि की धारा 307 सहित अन्य संगीन धाराओं के तहत नामजद किये गये विधायक रवि राणा को गत रोज दिल्ली की पटियाला कोर्ट द्वारा एक सप्ताह के लिए ट्रांजिट एंटीसिपेट्री बेल यानी ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी गई है. जिसके बाद अब विधायक रवि राणा बेखौफ होकर अमरावती वापिस लौट सकते है और यहां पहुंचकर अपने खिलाफ दर्ज मामले के संदर्भ में स्थानीय अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते है. इस दौरान पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.
बता दें कि, विगत 9 फरवरी को मनपा आयुक्त आष्टीकर पर हुए हमले के बाद इस संदर्भ में दर्ज करायी गई शिकायत के आधार पर राजापेठ पुलिस थाने में विधायक रवि राणा सहित कुल 11 लोगोें के खिलाफ सुनियोजीत ढंग से हमला करने और हत्या का प्रयास करने से संबंधित अपराधिक मामला दर्ज किया गया था. पश्चात इस मामले में 5 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. वहीं आयुक्त आष्टीकर पर स्याही फेंकनेवाली तीन महिलाओं सहित अन्य 6 लोग फरार थे. इसमें से विधायक रवि राणा ने दूसरे ही दिन यह दावा किया था कि, जिस समय यह वारदात हुई, उससे काफी पहले वे अमरावती से नई दिल्ली के लिए निकल चुके थे और खुद उन्हें मीडिया व सोशल मीडिया के जरिये दिल्ली में इस घटना की जानकारी मिली थी. साथ ही विधायक रवि राणा ने इस पूरे मामले से अपना कोई लेना-देना नहीं रहने का दावा करते हुए यह भी कहा था कि, उन्हें तथा उनकी पत्नी व सांसद नवनीत राणा को इस मामले में जानबूझकर फंसाया जा रहा है. जिसके लिए राजनीतिक दबाव तंत्र का सहारा लेकर पुलिस का दुरूपयोग किया जा रहा है. इन तमाम बातों के बीच अमरावती पुलिस द्वारा हिरासत में लिये गये विधायक राणा के पांच समर्थकों को पहले तीन दिन व बाद में दो दिन के पीसीआर में रखा गया तथा बाद में उन्हें एमसीआर के तहत जेल भेज दिया गया. वहीं पीसीआर की अवधि के दौरान तबियत बिगड जाने के चलते विनोद येवतीकर को एमसीआर के तहत इलाज हेतु नागपुर के अस्पताल में भिजवाया गया. ऐसे में कयास लगाये जा रहे थे कि, पुलिस द्वारा विधायक रवि राणा को भी किसी भी वक्त गिरफ्तार किया जा सकता है और विधायक रवि को भी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा. किंतु विधायक रवि राणा 9 फरवरी से ही दिल्ली में थे. अत: पुलिस की पकड से दूर थे. ऐसे में उनके अमरावती वापिस लौटने को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं थी. जिसके तहत पहले विधायक रवि राणा ने दावा किया था कि, वे 19 फरवरी को शिवजयंती के अवसर पर अमरावती में रहेंगे. वहीं बाद में उन्होंने यह भी कहा कि, पुलिस ने उन्हें शांति एवं कानून व व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए शिवजयंती तक अमरावती वापिस नहीं लौटने का निवेदन किया है. अत: वे शिवजयंती के बाद ही अमरावती आयेंगे. इसी दौरान विधायक रवि राणा ने राजधानी नई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में ट्रांजिट एंटीसिपेट्री बेल मिलने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया. जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने उन्हें एक सप्ताह की ट्रांजिट अग्रिम जमानत मंजूर कर दी. ऐसे में विधायक रवि राणा को आगामी एक सप्ताह तक दिल्ली से अमरावती लौटने अथवा कहीं पर भी आने-जाने के दौरान पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.
* इस वजह से हासिल की ट्रांजिट बेल
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट से ट्रांजिट अग्रिम जमानत हासिल करने के बाद विधायक रवि राणा ने सोशल मीडिया पर जारी किये गये वीडियो में कहा कि, विगत 9 फरवरी से 19 फरवरी तक उन्होंने जमानत प्राप्त करने हेतु कोई प्रयास नहीं किये. क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उनके खिलाफ एक झूठा मुकदमा दायर किया गया. ऐसे में वे अमरावती पहुंचकर इसके खिलाफ संघर्ष करने हेतु तैयार थे और जल्द ही अमरावती वापिस लौटनेवाले भी थे. किंतु इसी दौरान उन्हें पता चला कि, खुद मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा उन्हें (रवि राणा को) किसी भी सूरत में गिरफ्तार करने के आदेश जारी किये गये है. ऐसे में अपने बचाव के लिए यह याचिका दायर करना बेहद जरूरी था, ताकि वे दिल्ली से निकलकर अपने गृह नगर तक सुरक्षित ढंग से पहुंच सके.

* अब मानहानि का दावा ठोंकूंगा
गत रोज पटियाला हाउस कोर्ट से ट्रांजिट एंटीसिपेट्री बेल मिलने के पश्चात दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए विधायक रवि राणा ने कहा कि, जिस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं था, उस मामले में जानबूझकर उनका नाम जोडा गया है और उनके खिलाफ धारा 307 जैसी संगीन धारा के तहत अपराध दर्ज किया गया. इससे उनकी प्रतिमा को मलिन करने का प्रयास किया गया है. अत: अमरावती की अदालत ने अग्रिम जमानत हेतु याचिका दायर करने के साथ ही वे नागपुर हाईकोर्ट में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करवाने हेतु याचिका दायर करेंगे. साथ ही साथ प्रशासन व पुलिस के जिन अधिकारियों ने उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है, उन सभी के खिलाफ मानहानि का दावा भी ठोंकेंगे.

Related Articles

Back to top button