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बेलोरा विमानतल पर ‘बोमा’ पद्धति से वन्यप्राणियों का ‘ट्रैप’

राज्य में अपनी तरह का पहला प्रयोग

* विधानसभा की आचार संहिता से पहले विमानों के टेक ऑफ के संकेत
अमरावती /दि.19- अमरावती शहर व जिले सहित समूचे संभाग के लिए मील का पत्थर साबित हो सकने वाले बेलोरा विधानतल पर जारी विकास काम अब अपने अंतिम चरण में है. ऐसे में आगामी समय में विमानों के टेक ऑफ व लैंडिंग के समय बाधा साबित होने वाले वन्य प्राणियों को विमानतल परिसर से बाहर निकालने हेतु ‘बोमा’ पद्धति का प्रयोग किया जाएगा. जिसके लिए वनविभाग द्वारा विमानतल परिसर में आवश्यक कार्रवाई करनी शुरु कर दी गई है और जल्द ही वन्यप्राणियों को ट्रैप करते हुए उन्हें उनक अधिवास में सुरक्षित तौर पर छोडा जाएगा. वन्य प्राणियों का रेस्क्यू करने हेतु ‘बोमा’ पद्धति का राज्य में पहली बार अमरावती में प्रयोग होने जा रहा है.
बता दें कि, विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले बेलोरा विमानतल का लोकार्पण करने हेतु राज्य सरकार द्वारा तैयारी करनी शुरु कर दी गई है. जिसके तहत एटीआर-72 सीटर विमानसेवा पहले चरण में शुरु की जाएगी. अमरावती-मुंबई व अमरावती-पुणे विमानसेवा हेतु राज्य सरकार ने एक निजी कंपनी के साथ करार भी किया है. परंतु बेलोरा विमानतल परिसर में बडे पैमाने पर वन्य प्राणी रहने के चलते वे भविष्य में तमाम सेवा हेतु खतरनाक भी साबित हो सकते है. इसे ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी के निर्देशानुसार बेलोरा विमानतल परिसर से वन्य प्राणियों को पकडने हेतु दक्षिण अफ्रिका में प्रयुक्त होने वाली ‘बोमा’ पद्धति पर अमल किया जा रहा है.

* क्या है ‘बोमा’ पद्धति?
वन्य प्राणियों को घेरने व पकडने के लिए ‘बोमा’ पद्धति का प्रयोग किया जाता है. जिसमें लकडियों व बल्लियों से ‘वाय’ के आकार का घेरा तैयार किया जाता है. यह पूरी तरह से नैसर्गिक दिखाई देता है. इसमें वन्य प्राणी को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करने हेतु एक बडा रैम्प तैयार किया जाता है और तीन ओर से कप्पे तैयार करते हुए एक ओर का आकार सकरा रखा जाता है और उसी तरफ एक वाहन खडा किया जाता है. वाय आकार वाले इस घेरे के तीनों ओर ग्रीन नेट लगाई जाती है और जंगल की ओर से वन्य प्राणियों को भगाकर लाते हुए इस ट्रैप की ओर ढकेला जाता है. जिसके चलते रैम्प के संकरे हिस्से में लगाये गये वाहन में वन्य प्राणी चढ जाते है. जिसके बाद उन्हें सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू करते हुए उनके अधिवास क्षेत्र में ले जाकर छोड दिया जाता है. इससे पहले यह पद्धति मध्यप्रदेश के पेंच अभयारण्य में भी प्रयुक्त की जा चुकी है.

* सोहल अभयारण्य मेें भेजे जाएंगे वन्य प्राणी
बेलोरा विमानतल के आसपास स्थित जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों को रेस्क्यू करने के बाद उन्हें वाशिम जिलांतर्गत कारंजा तहसील में स्थित सोहल अभयारण्य में सुरक्षित तरीके से भेजा जाएगा. इन वन्य प्राणियों को पकडने हेतु विशेषज्ञ वनअधिकारियों व कर्मचारियों की टीम रहेगी. जिसके अनुसार वनविभाग ने बेलोरा विमानतल पर अपनी कार्रवाई को शुरु कर दिया है. साथ ही वनविभाग को हेलीकाफ्टर मिलने पर वन्य प्राणियों का रेस्क्यू बडी तत्परता के साथ होगा, ऐसी भी जानकारी है.

* विमानतल परिसर में ढाई सौ से अधिक वन्य प्राणी
बेलोरा विमानतल परिसर में ढाई सौ से अधिक वन्य प्राणी रहने की जानकारी है. जिनमें हिरण, नीलगाय व जंगली सुअर जैसे वन्य प्राणियों का समावेश है. इन वन्य प्राणियों को रेस्क्यू करने हेतु अमरावती के वनविभाग द्वारा तैयारी करनी शुरु कर दी गई है. जिसके तहत विमानतल के पास स्थित खुली जगह पर ‘बोमा’ पद्धति पर अमल करने का नियोजन किया जा रहा है और वन्य प्राणियों को पकडने हेतु मध्यप्रदेश के पेंच से अत्याधुनिक वाहन भी मंगाया जा रहा है.

* वनविभाग द्वारा वन्य प्राणियों को पकडने हेतु बेलोरा विमानतल परिसर में पहली बार ‘बोमा’ पद्धति पर अमल किया जा रहा है. जिसके लिए जमकर तैयारियां भी चल रही है और मध्य प्रदेश से विशेष वाहन भी मंगवाया जा रहा है, ताकि विमानतल परिसर को जल्द से जल्द वन्य प्राणी मुक्त किया जा सके.
– ज्योति पवार,
सहायक वन संरक्षक,
अमरावती.

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