अमरावतीमहाराष्ट्र

मध्यम वर्ग का ट्रेन से सफर हो रहा दूभर

विशेषज्ञ रेलवे की नीति पर भडके

* आम लोगों से दूर हो रही यात्री सेवा
* अमरावती मंडल से जानकारों ने कहा
अमरावती/दि. 13– रेलवे बोर्ड व्दारा एक के बाद एक अनेक यात्री गाडियों से स्लीपर कोच हटाए जाने की शुक्रवार की अमरावती मंडल की खबर पर व्यापक प्रतिक्रिया हो रही है. नागपुर से चलने वाली प्रेरणा एक्सप्रेस, पुणे, कोल्हापुर और अन्य कई यात्री गाडियां है. जिनसे स्लीपर कोच हटाकर एसी डिब्बे लगाए जा रहे हैं. नए एलएचबी कोच लगाने जाने के पीछे रेलवे के अपने तर्क है. किंतु जानकारों ने अमरावती मंडल से प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह निर्णय रेलवे को आम यात्रियों से दूर कर देगा. पहले भी अमरावती-मुंबई अंबा एक्सप्रेस में स्लीपर कोच कम कर एसी थ्री के कोच बढाने की कोशिश असफल की गई थी.

* मीटिंग में उठाउंगा विषय
रेलवे की सलाहकार समिति के सदस्य मनीष करवा ने कहा कि नई नीति सामान्य यात्रियों की परेशानी बढा रही है. रेलवे घाटे के नाम पर और नई तकनीक अपनाने के नाम पर एसी डब्बे बढाने में जुटी है. पहले भी अमरावती-मुंबई अंबा एक्सप्रेस में ऐसी कोशिश विफल की गई थी. अब दोबारा ऐसा प्रयास रेलवे कर रहा है. इसका रेल अधिकारियों के साथ बैठक में बेशक विरोध करेंगे. रेलवे की नीति बदलने कहा जाएगा. सार्वजनिक उपक्रम के घाटे में होने का कारण सामने कर रेलवे यात्री सुविधा कम नहीं कर सकता. सामान्य व्यक्ति सस्ती और सुरक्षित यात्रा के लिए सबसे पहले रेलवे की ओर आता है. करवा ने बताया कि अंबा एक्सप्रेस में शीघ्र ही दो बोगियां बढने वाली है. अमरावती का मॉडेल स्टेशन का प्लेटफार्म लंबा हो गया है. इन दो बोगियों में एक स्लीपर अर्थात शयनयान बढाने की उनकी मांग है.

* सामान्य यात्री पर बढते किराए का बोझ
महानगर यात्री संघ के अध्यक्ष अनिल तरडेजा ने रेलवे की शयनयान हटाकर एसी कोच लगाने की नीति का पुरजोर विरोध कर कहा कि सामान्य यात्री पर डबल, तीन गुना किराए का बोझ बढाना कहां तक न्यायसंगत कहा जा सकता है. रेलवे दूसरे देशों की देखादेखी भारत में करना चाहता है, जहां लगभग सभी ट्रेनें एसी हो गई है. भारत में गरीब, मरीज लोग शयनयान से सफर करते हैं. एसी कोचेस बढ जाने से उन्हें मजबूरन अधिक किराया सहन करना होगा. उसी प्रकार कई लोगों को एसी सूट भी नहीं करता. फिर भी उन्हें सफर करना पडता है. रेलवे को शयनयान कोच बढाने से घाटा होता है. एसी कोच से रेलवे फायदे में आती है. जनरेटर पर एसी चलता है. ट्रेन जैसे-जैसे चलती है. अपने आप बिजली बनती है. जिससे रेलवे का एसी कोच चलाने का खर्च भी 25 प्रतिशत तक कम हो गया है. किंतु सामान्य यात्री रेलवे से दूर हो रहा है. उसकी स्थिति विकट हो रही है. सरकार एक ओर तो रेल मार्ग बढाने का दावा कर रही है. दूसरी तरफ गरीब, सामान्य वर्ग के मुसाफिरों को दूर धकेल रही है.

* सामान्य यात्रियों की मुसीबत
सामान्य रेल यात्री और भगवान व्यंकटेश बालाजी गोविंदा के परम भक्त पुरुषोत्तम राठी ने भी रेलवे की शयनयान हटाकर एसी कोच बढाने की रीति-नीति का विरोध किया है.उनका कहना है कि पहले ही रेलवे ने कोरोना महामारी के बाद से अनेक सहूलियत बंद कर दी है. वरिष्ठ नागरिकों को भी पूरा किराया अदा करना पड रहा है. बाकी सुविधाएं भी बढने की जगह कम हो गई है. ऐसे में सामान्य यात्री स्लीपर कोच से सफर करते हैं. कोच कम हो जाने से उन्हें मजबूरन एसी टिकट लेने पडेंगे. उनकी जेब पर बोझ बढेगा. जिससे उनकी मुसीबत बढेगी. सामान्य व्यक्ति ट्रेन से ही यात्रा करना पसंद करता है. क्योंकि यह उसकी जेब और सेहत दोनों के लिए ठीक रहती है. मोदी सरकार को एसी ट्रेने बढाना है, बढाएं. स्लीपर कोच कम न करे. पहले ही तो स्लीपर कोच में वेटिंग के मुसाफिरों की भीड के कारण यात्रा दूभर हो चली है.

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