अमरावती

रैपीड एंटीजन टेस्ट से जल्दी शुरु होता है उपचार

बिमा पॉलिसी के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट जरुरी

  • औरंगाबाद गवर्मेंट युनिवर्सिटी के कोरोना लैब इंजार्च है डॉ. बजाज

परतवाडा / प्रतिनिधि दि.27 – वैश्विक महामारी कोरोना के चलते अमरावती और अचलपुर तहसील कोरोना के हॉटस्पॉट बने हुए है. आधा परतवाडा शहर हॉटस्पॉट में तब्दिल हो चुका है. बहरहाल सरकार को 2020 के बाद 2021 फरवरी से 1 मार्च तक लॉकडाउन लगाना पड गया है. शासन-प्रशासन लॉकडाउन को आगे बढा सकता है. क्योंकि अभी भी कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे है.
एक तरफ जहां कोरोना किसी दानव की तरह लोगों को डरा रहा है, वहीं दूसरी ओर कोरोना बिमा पॉलिसी को लेकर प्रायवेट पैथॉलॉजी लैब चर्चा मेें है. इन्हीं खबरों और चर्चा के बीच जब यह बात सोशल मिडिया की सुर्खियों में आई तो आनन-फानन में अमरावती जिले की 11 प्रायवेट लैब में प्रशासन ने रैपीट एंटीजन टेस्ट की मान्यता रद्द कर दी. जब दै.अमरावती मंडल ने इन पूरे तथ्यों को खंगाला और चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों से चर्चा की, तो यह मुख्य बाते सामने आई.
कोरोना में दो प्रकार के टेस्ट होते है- एक एंटीबॉडी टेस्ट और दुसरा एंटीजन टेस्ट इसमें डायगोनिष्ट के लिए एंटीजन टेस्ट उपयोगी है. एंटीजन टेस्ट भी दो प्रकार के होते है. पहला रैपीड एंटीजन टेस्ट व दूसरा आरटीपीसीआर टेस्ट इसमेें रैपीड एंटीजन टेस्ट के फायदे मरीज को ज्यादा है क्योंकि यह कम खर्चिला है. यह टेस्ट लैब में 500 से 600 रुपये हो जाता है. इसकी तुलना में आरटीपीसीआर टेस्ट लैब में 1200 से 1500 रुप में होता है. एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट एक घंटे में मिल जाती है. जबकि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट को 48 से 72 घंटे में मिलती है. रैपीड एंटीजन टेस्ट से कोरोना मरीज का उपचार जल्दी शुरु हो जाता है. जबकि आरटीपीसीआर रिपोर्ट से मरीज का उपचार शुरु होने में 72 घंटे बाद उपचार शुरु होता है. एक्सपर्ट के अनुसार सभी प्रायवेट पैथॉलॉजी लैब में सरकारी (सीएस) की अनुमति के बाद यह टेस्ट कर सकते है. आखिर विवाद कैसे उत्पन्न हुआ. इस बात को समझने में कहा गलतफहमी हुई यह जानना भी जरुरी है. सीएस के अनुसार अमरावती जिले में 11 प्रायवेट लैब को कोरोना टेस्ट की अनुमति मिली थी. 20 फरवरी 2021 के बाद प्रशासन ने किन्हीं कारणों से इस निती में बदलाव कर कुछ समय के लिए 11 लैब की टेस्ट की अनुमति रद्द कर दी और 22 फरवरी को अफवाह फैली कि, एंटीजन रिपोर्ट में बदलाव कर निगेटिव को पॉजिटिव किया जाता है और इन्शोरेंस (बिमा) के क्लेम के लिए उसका उपयोग किया जाता है.
जब कि कई एक्सपर्ट से बातचित की गई, तो उन्होंने बताया कि, कोरोना का इन्शोरेंस (बिमा) करने वाली कंपनीया बिना आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट के क्लेम पास नहीं करती. अधुरे ज्ञान की वजह से लोगों के समझ में पूरी बात नहीं आयी और इसलिए यह अफवाह फैली. अमरावती जिले की जिन 11 प्रायवेट पैथॉलॉजी लैब का आरटीपीसीआर टेस्ट अनुमति रद्द की गई. दरअसल इन लैब में आरटीपीसीआर टेस्ट होता ही नहीं है, तो रिपोर्ट बदलने का सवाल ही नहीं उठता. इस पूरे मामले में संभ्रम की स्थिती उत्पन्न हुई जब कि इन 11 लैब को की टेस्ट अनुमती तुरंत प्रभाव से दी जाए, तो कोरोना का डायगोनिष्ट जल्द होता तो उपचार भी जल्दी शुरु होगा और अमरावती में कोरोना से पीडित मरीजों को सुविधा होगी. बहरहाल कोरोना लैब के सरकारी इंजार्च औरंगाबाद गवर्मेंट युनिवर्सिटी के डॉ. बजाज है. डॉ. बजाज एक्सपर्ट है और वे भी इस बार उपचार पद्धती की पुष्टी करते है.

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