चिखलदरा /दि. ४- मेलघाट के धारणी और चिखलदरा तहसील के आदिवासी परिवार रोजगार के लिए मेलघाट के बाहर स्थलांतरित हुए थे. रंगो का त्योहार होली नजदीक आने से स्थलांतरित आदिवासी परिवार मेलघाट लौट रहे है. होली पर्व आदिवासियों का सबसे बडा त्योहार है. होली उत्साह से मनाने के लिए वे सालभर कड़ी मेहनत करते है. रोजगार के माध्यम से दो पैसे मिलें, परिवार की आजीविका अच्छे से चले, तथा होली उत्साह से मनाई जाए, इस उद्देश्य से मेलघाट के अनेक गांव के आदिवासी बंध्ाु रोजगार के लिए स्थलांतर करते है. अमरावती, बुलडाणा तथा महाराष्ट्र के विविध बडे़-बडे़ शहरों में आदिवासी परिवार स्थलांतरित हुए थे. दिवाली के बाद से ही इन परिवारों के स्थलांतरण की शुरुआत होती है. लेकिन होली के दो-तीन पहले से ही आदिवासी परिवारों को मेलघाट में आगमन होता है. अपने गांव लौटने पर गांव में उत्साह दिखाई दे रहा है. होली को कुछ ही दिन शेष रहने से महिलाएं घर की साफ-सफाई में जुट गई है. तथा पुरूष मंडली होली के लिए लगने वाली सामग्री खरीदते दिखाई देते है. मेलघाट से सटे सभी बाजार में उत्साह दिख रहा है. इस उत्सव के निमित्त बडे़ पैमाने पर खरीदी बिक्री होगी. इसलिए स्थानीय व्यापारियों में भी उत्साह दिखाई दे रहा है. धारणी, परतवाडा, चिखलदरा सहित काटकुंभ तथा मध्य प्रदेश के कुछ बाजार में आदिवासी बंध्ाुओं की भीड़ दिखाई देती है है.