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एक बाल्टी पानी के लिए आदिवासी महिलाओं की जान खतरे में

कुएं के किनारे खडे रहकर धक्कामुक्की के बीच खींचना पडता है पानी

* मेलघाट के खडीमल गांव में पानी को लेकर बिकट स्थिति
अमरावती/दि. 30 – आदिवासी बहुल मेलघाट के खडीमल गांव में पानी को लेकर हालात काफी बिकट है. जहां पर टैंकर आने की जानकारी मिलते ही गांव की आदिवासी महिलाएं सीधे गांव में स्थित कुएं की ओर दौडना शुरु करती है. क्योंकि, टैंकर का पानी कुएं में डाला जाता है. इस दौरान महिलाओं के बीच जल्दी से जल्दी पानी खींचने की प्रतिस्पर्धा शुरु हो जाती है और एक बाल्टी पानी के लिए यह महिलाएं कुएं के किनारे पर खडे रहकर धक्कामुक्की के बीची अपनी जान को खतरे में डालते हुए पानी हासिल करती है. जिसके चलते खडीमल गांव में कभी भी कोई बडा हादसा गांव की आदिवासी महिलाओं के साथ हो सकता है.
जानकारी के मुताबिक खडीमल गांव में विगत लंबे समय से भीषण जल किल्लत की समस्या चल रही है और गाववासियों को बूंद-बूंद पानी के लिए काफी तरसना पडता है. ऐसे में प्रशासन ने गांव में टैंकरो के जरिए जलापूर्ति करने का इंतजाम शुरु किया. जिसके चलते खडीमल गांव की महिलाएं सुबह से ही टैंकर के आने का इंतजार करती रहती है और जैसे ही टैंकर गांव में पहुंचता है वैसे ही गांव में दौडभाग एवं धक्कामुक्की वाला दौर शुरु हो जाता है. जिसे देखते हुए टैंकर से सीधे पानी देने की बजाए टैंकर को गांव के कुएं में खाली किया जाता है और फिर कुएं से इस पानी को खींचकर बाहर निकालने हेतु गांव की महिलाएं रस्सी-बाल्टी लेकर कुएं की मुंडेर पर डट जाती है और फिर अगले करीब एक-डेढ घंटे तक जान को जोखीम में डालकर कुएं से पानी खींचा जाता है.
खडीमल की तरह मेलघाट के बेला, मोथा, धरमडोह, आकी, बहाद्दरपुर व गौलखेडा बाजार में भी जलकिल्लत की समस्या है. इन सभी गांवों में प्रति वर्ष गर्मी के मौसम दौरान कुएं पूरी तरह से सूख जाते है. जिसके चलते टैंकरो के जरिए इन कुओं में पानी लाकर डाला जाता है. लेकिन कुएं में डाला गया पानी खत्म होते ही गांववासियों को अगले दिन टैंकर के आने की प्रतीक्षा करनी पडती है. वहीं दूसरी और प्रशासन अब तक इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं खोज पाया है.
उल्लेखनीय है कि, आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में धारणी व चिखलदरा इन दो तहसील मुख्यालयों के साथ ही करीब 325 गांव है. चिखलदरा व धारणी को यदि छोड दिया जाए तो मेलघाट क्षेत्र के लगभग सभी गांवो में पिने के साफसुतरे पानी को लेकर भीषण किल्लत चल रही है. जिसके चलते लोगों को दो-तीन किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पडता है. वहीं प्रशासन द्वारा प्रति वर्ष कुछ गिने-चुने गांवो में अस्थाई उपायों को अमल में लाया जाता है. लेकिन जल किल्लत की समस्या को दूर करने कोई स्थाई उपाय क्यों नहीं किए जाते, यह सबसे बडा सवाल है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, खडीमल गांव में विगत 28 वर्षो से गर्मी के मौसम दौरान टैंकर के जरिए जलापूर्ति की जा रही है. जिसका ठेका सातारा में रहनेवाले एक व्यक्ति को दिया गया है और उसके मार्फत स्थानीय स्तर पर किसी व्यक्ति को उपठेकेदार बनाते हुए टैंकर की व्यवस्था की जाती है. इस ठेकेदार के देयक नियमित रुप से अदा नहीं किए जाते. जिसके चलते ठेकेदार द्वारा अपर्याप्त जलापूर्ति की जाती है, ऐसा गाववासियों द्वारा आरोप लगाया गया है. साथ ही गाववासियों का यह भी कहना रहा कि, खडीमल गांव के निकट स्थित तीन तालाबों की खुदाई करते हुए वहां से गाद को निकाले जाने की सख्त आवश्यकता है. ताकि तालाब भरने के साथ ही भूगर्भीय जल का स्तर भी बढे. इसके अलावा गाववासियों ने यह भी बताया कि, खडीमल गांव में चार टैंकरो के जरिए तीन फेरीयां अपेक्षित है. परंतु 12 टैंकरो के जरिए 55 हजार लीटर पानी कभी मिला ही नहीं. बल्कि जब कोई अधिकारी यहां के दौरे पर आता है तो केवल दिखावे के लिए कुएं में भरपूर पानी लाकर डाला जाता है.

 

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