अमरावती

रोजगार की तलाश में आदिवासी जा रहे है बाहर

दीपावली के सामने कदम उठाने के लिए है विवश

  • मेलघाट में रोजगार के सारे साधन बंद

परतवाडा प्रतिनिधि/दि. २८ – मेलघाट आदिवासियों को भरपुर पैमाने में रोजगार उपलब्ध कराने का दावा जिला प्रशासन व्दारा किया जा रहा है फिर भी आदिवासियों व्दारा रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे है. मेलघाट क्षेत्र में खेत मजदूर, आदिवासी मजदूर के सामने रोजगार के कोई भी साधन उपलब्ध न होने के कारण मजबूरी में पेट की आग बुझाने के लिए उन्हें अपने घर से बेघर होना पड रहा है. फिलहाल मेलघाट के गांवों में फसल की स्थिति ठीक नहीं है. बेमौसम बारिश ने फसल बुरी तरह से बर्बाद कर दी है. किसान के साथ ही खेत मजदूर, आदिवासी मजदूर के सामने रोजगार उपलब्ध न होने और किसानों को खेत से कुछ नहीं मिलेगा, ऐसा मानते हुए वे लोग रोजगार की तलाश में बडी संख्या में गांव छोड रहे है. वे आदिवासी अपने गहने गिरवी रखकर अचलपुर, परतवाडा, दर्यापुर इतना ही नहीं तो कई आदिवासी मध्यप्रदेश में भी रोजगार की तलाश में जाते है. बीते मार्च माह से कोरोना महामारी का खतरा मंडराने लगा. ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना का प्रादुर्भाव न बढने पाये, इस दृष्टि से केंद्र व राज्य सरकार से लॉकडाउन घोषित किया. जिसके कारण दूसरे गांव में काम करने वाले आदिवासी मजदूरोंं ने जो साधन मिला उससे अपने गांव लौटे. मई और जून महीने में उन्हें मनरेगा के माध्यम से कुछ रोजगार उपलब्ध हुआ. परंतु जुलाई से अब तक वे मजदूर हाथ पर हाथ धरे खाली बैठे हैं. इस वजह से भांडूम, सलीता, सुमिता, एकताई, बोरदा, ट्रेबु, पिपल्या, हिरदा, खारी, बीबा, कारंजखेड, सिमोरी जैसे कई गांव के खेत मजदूर दूसरी जगह काम की तलाश के लिए जाने के लिए विवश है.

  • दिसंबर तक काम का नियोजन

मेलघाट के धारणी तहसील में ३६ हजार ५५६, चिखलदरा तहसील में ३१ हजार ६९३ परिवार के नाम दर्ज किये गए. जिसमें से धारणी तहसील के केवल १ हजार ८६३ और चिखलदरा तहसील के ४ हजार ६४३ परिवार को १०० दिन से अधिक रोजगार मिल पाया. जून माह में चिखलदरा तहसील में सबसे ज्यादा २ लाख ९९ हजार व धारणी तहसील में २ लाख ८० हजार को रोजगार मिल पाया था. अक्तूबर माह में अनुक्रम से केवल ३३ हजार ४६६ और १४ हजार ४५१ को रोजगार मिला. इससे यह स्पष्ट होता है कि मेलघाट में दिसंबर तक काम का नियोजन किया गया मगर प्रशासन का यह दावा किस हदतक सफल हुआ है. इसी वजह से आदिवासी मजदूरों को अपना गांव, घर छोडकर रोजगार के लिए यहां वहां भटकना पड रहा हैं.

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