* दोपहर २.३० बजे तक ३१ उम्मीदवार पीछे हटे
अमरावती/ दि.४ –संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ सिनेट चुनाव के लिए आगामी २० नवंबर को मतदान होनेवाला है. विद्यापीठ पर राज करनेवाले नूटा के विरोध में इस चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जस्टिस पैनल चुनाव मैदान में हैे. इस कारण इस बार सिनेट चुनाव में त्रिकोणी मुकाबला होने की सभावना है. विद्यापीठ की स्थापना से यह आठवां सिनेट चुनाव है. नामांकन वापसी के आज अंतिम दिन दोपहर २.३० बजे तक ३४१ उम्मीदवारों में से ३१ उम्मीदवार चुनाव मैदान से पीछे हट गये थे. यह संख्या शाम ५ बजे तक बढने की संभावना है.
विद्यापीठ अधिसभा के चुनाव में १० प्राचार्य निर्वाचन क्षेत्र के लिए २८ उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल हुए थे. इसमें से २० के नामांकन वैध ठहराए गये. ६ व्यवस्थापन प्रतिनिधि निर्वाचन क्षेत्र के लिए दाखिल २४ नामांकन में से १४ वैध, १० महाविद्यालयीन प्रााध्यापक निर्वाचन क्षेत्र के लिए दाखिल ५८ नामांकन में से ४३ वैध, ३ विद्यापीठ प्राध्यापक निर्वाचन क्षेत्र के लिए दाखिल ९ में से ५ नामांकन वैध, १० पंजीकृत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए दाखिल ९२ नामांकन में से ४७ नामांकन ेवैध ठहराए गये. इस तरह सिनेट चुनाव के लिए १२९ नामांकन वैध ठहराए गये.
इसी तरह विद्या परिषद के चुनाव में सभी विद्याशाखा के लिए कुल २६ नामांकन दाखिल हुए. इनमें से १६ नामांकन वैध ठहराए गये. अभ्यास मंडल विद्याशाखा के लिए दाखिल १७ में से १३ नामांकन वैध ठहराए गये और वाणिज्य व व्यवस्थापन विद्याशाखा में दाखिल ३० नामांकन में से २७ नामांकन वैध तथा विज्ञान व तकनीकी ज्ञान विद्याशाखा में दाखिल १०८ में से ८८ नामांकन वैध ठहराए गये और मानव विज्ञान विद्याशाखा में प्राप्त हुए ९९ नामांकन में से ६८ उम्मीदवारों के नामांकन वैध ठहराए गये थे. इस तरह सिनेट सहित विद्या परिषद व अभ्यास मंडल के चुनाव में दाखिल ४९१ नामांकन में से कुल ३४१ नामांकन वैध ठहराए जाने के बाद शुक्रवार को नामांकन वापसी की अंतिम तिथि रहते दोपहर २.३० बजे तक ३१ उम्मीदवारों ने अपने नामांकन वापस ले लिए थे.
* ऐसी है विद्यापीठ की राजनीति
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ की स्थापना १९८३ में हुई. पश्चात सिनेट का पहला चुनाव १९८९ में लिया गया था. पहले चुनाव से ही नूटा संगठन विद्यापीठ की राजनीति में सक्रिय है. प्राध्यापक बी.टी. देशमुख के नेतृत्व में इस संगठना का अमरावती विद्यापीठ पर वर्चस्व कायम रहा है. नूटा के विरोध में सूटा अथवा संत गाडगेबाबा अमरावती युनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन्स ने पहलीबार वर्ष २००५ में हुए चुनाव में पैनल घोषित किया था. सूटा के संस्थापक प्राचार्य डॉ. संतोष ठाकरे, खुद वर्ष २००२ में हुए सिनेट चुनाव में नूटा के दिग्गज उम्मीदवार प्रा. पी.सी. काणे को पराजित कर निर्वाचित हुए थे. पश्चात डॉ. संतोष ठाकरे ने वर्ष २००५ में सूटा यह नई संगठना स्थापित की. वर्ष २००५ और २०१० के चुनाव में नूटा और सूटा एक दूसरे के विरोध में थे. वर्ष २०१७ के चुनाव में सूटा के अनेक सदस्य प्राचार्य हुए और संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में प्राचार्य फोरम नामक नई संगठना स्थापित होने से सूटा के अनेक सदस्य नूटा में गये तथा प्राचार्य फोरम संगठना विद्यापीठ की राजनीति में शिक्षण मंच को रोकने के लिए नूटा के साथ रही. वर्ष २०१७ के चुनाव विद्यापीठ के नये कानून के मुताबिक हुए थे. इस चुनाव में नूटा ने ३७ में से २६ सीटों पर जीत हासिल की थी. राज्यपाल और कुलगुरू नामित सदस्यों में सभी शिक्षणमंच के सदस्य सभागृह में पहुंचे थे.
* अन्याय के विरोध में जस्टिस पैनल
विद्यापीठ की भूमिका विद्यार्थियों के हित की रहे, प्राध्यापको का भी मनोधैर्य न टुटे. इसके लिए जस्टिस पैनल चुनाव में उतरा रहने की जानकारी जस्टिस पैनल के प्रमुख अध्यापक कमलाकर पायस ने दी है. विद्यार्थियों का विकास हो, ऐसी हमारी भूमिका है, ऐसा भी पायस ने कहा.
* ३५ हजार २७४ मतदाता
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के सिनेट चुनाव में अमरावती, अकोला्र, बुलढाणा, यवतमाल और वाशिम इन पांच जिलों के कुल ३५ हजार २७४ मतदाता है. पांचों जिलो में सभी तहसीलों में मतदान केन्द्रों पर जाकर मतदाताओं को मतदान करते आ सकेगा. २० नवंबर को मतदान होगा और २२ नवंबर को संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम घोषित किए जायेंगे.