अमरावती

9 हजार के स्तर तक पहुंच सकती है तुअर

उत्पादन घटने और मांग बढने का असर

* दरवृद्धि की उम्मीद से किसानों ने माल रोका
अमरावती/दि.3 – इस बार तुअर के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है. अतिवृष्टि व बेमौसम बारिश की वजह से देशांतर्गत उत्पादन के घटने तथा मांग में वृद्धि होने की वजह से तुअर के दामों में उछाल देखा जा रहा है. स्थानीय बाजार समिति में विगत शुक्रवार तुअर को 8 हजार 100 रुपए से 8 हजार 730 रुपए के दाम मिले. जिससे तुअर उत्पादक किसानों को राहत मिलती नजर आई. वहीं अब यह उम्मीद भी बन रही है कि, संभवत: तुअर के दाम 9 हजार रुपए प्रतिकिलो के स्तर तक पहुंच सकते है. जिसके चलते कई किसानों ने अपनी तुअर की विक्री को रोक दिया है. ऐसे में आवक घट जाने की वजह से भी तुअर के दामों में अच्छा खासा इजाफा देखा जा रहा है.
बता दें कि, विगत वर्ष के खरीफ सीजन में तुअर का औसत बुआई क्षेत्र 1.30 लाख हेक्टेअर के आसपास था. परंतु 3 माह के दौरान बारिश के सीजन में जिले के 84 राजस्व मंडलों में हुई मुसलाधार और सततधार बारिश की वजह से जमीन में आद्रता बढी. साथ ही क्षेत्रों में जलजमाव होने के चलते तुअर पर बुरशीजन्य मर रोग का प्रादूर्भाव हुआ. जिसकी वजह से अच्छी प्रतवारी वाली जमीन में भी आधे से अधिक तुअर की फसल जगह पर खराब हो गई. तुअर के बाहर पर रहते समय अतिठंडी के चलते तुअर की फसल पर कीडों व रोगों का प्रादूर्भाव हुआ. जिससे फसल का काफी नुकसान हुआ. इस वजह से भी अवसत उत्पादन घटा. देश में फसल की यह स्थिति रहने के साथ-साथ तुअर की मांग मेें लगातार इजाफा होता रहा. जिसके चलते तुअर के दाम भी लगातार उपर उठते रहे. इस वर्ष चूंकि खुले बाजार में सरकारी गारंटी मूल्य से अधिक दाम मिल रहे है. जिसके चलते तुअर की सरकारी खरीदी इस बार नहीं हुई है. वहीं आर्थिक स्थिति ठीकठाक रहने वाले किसानों ने अपनी तुअर को अब भी अपने पास रोककर रखा है, ताकि दाम और बढने पर इस तुअर को बेचकर ज्यादा पैसा कमाया जा सके.

* ऐसे रहे तुअर के दाम (रुपए क्विंटल)
8 मार्च 7850-8200
10 मार्च 7800-8345
14 मार्च 7250-7900
17 मार्च 7750-8196
18 मार्च 7850-8480
23 मार्च 7650-8200
25 मार्च 7850-8325
27 मार्च 8250-8751
28 मार्च 8100-8730

* चने की विक्री हेतु नाफेड का सहारा
– खुले बाजार में सरकारी मूल्य से कम दाम
चने के सीजन में शुरुआत से ही खुले बाजार में 5335 के सरकारी गारंटी मूल्य से कम दाम मिल रहे है. जिसके चलते खुले बाजार में अपना चना बेचना किसानों के घाटे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसे मेें जिले के 16 सरकारी खरीदी केंद्रों पर ही चना उत्पादक किसान अपनी उपज बेचने के लिए आश्रित है. लेकिन इन खरीदी केंद्रों पर बारदाना उपलब्ध नहीं रहने तथा अन्य वजहों के चलते अक्सर चने की खरीदी बंद रहती है. जिसकी वजह से किसानों को काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है.

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