अमरावती /दि. 29– खरीफ की नकद फसल के रुप में पहचाने जानेवाले तुअर के भाव में काफी गिरावट आ गई है. खुले बाजार में गारंटी भाव की तुलना में 500 रुपए कम भाव से तुअर खरीदी जा रही है. सोयाबीन और कपास के भाव में गिरावट रहते अब तुअर के भाव भी गिरने से किसानों के सामने आर्थिक संकट निर्माण हो गया है. ऐसे में केंद्र द्वारा तुअर आयात की एक आल अवधि बढाने से भविष्य में और भाव गिरने की संभावना निर्माण हो गई है.
सोयाबीन और कपास के साथ किसान खरीफ सत्र में तुअर का उत्पादन लेते है. अधिकांश किसान लगातार तुअर का उत्पादन नहीं करते. सोयाबीन और कपास के बीच में तुअर की बुआई की जाती है. दोनों फसल में आया घाटा तुअर की आय से निकाला जाता है, ऐसा किसानों का सोचना है. इस वर्ष तीनों फसलों ने किसानों को रुलाया है. खरीफ की नई तुअर बाजार में पहुंच गई है. हर दिन तीन हजार बोरे अमरावती उपज मंडी में आ रहे है. केंद्र ने तुअर के 7550 रुपए प्रति क्विंटल गारंटी भाव दिए है. खुले बाजार में तुअर के औसतन भाव 7 हजार 50 रुपए है. मंगलवार 28 जनवरी को अमरावती कृषि उपज मंडी में 3 हजार 13 बोरों की आवक हुई. खरीददारों ने नई तुअर के 6650 से 7450 रुपए भाव दिए. तुअर के भाव बढेगे, ऐसी आशा रही तो भी केंद्र की नीति का असर किसानों पर होने लगा है. सोयाबीन और कपास के बाद खुले बाजार में तुअर के भी भाव गिरने से किसानों के सामने आर्थिक संकट आ गया है.
* आयात की एक साल अवधि बढाई
केंद्र ने तुअर आयात के शुल्क मुक्त की एक साल की अवधि बढा दी है. विशेष यानी गत वर्ष आयात की अवधि समाप्त होने के पूर्व ही यह अवधि बढाकर दी गई है. यह मार्च 2026 तक रहनेवाली है. गत नवंबर तक 10 लाख टन तुअर आयात हुई है और तुअर आयात करने की केंद्र की नीति का असर देशी तुअर पर होनेवाला है. अभी से ही तुअर के भाव गारंटी भाव से नीचे आ गए है.
* शासकीय खरीदी की मांग
तुअर के गिरते भाव को देखते हुए किसानों को गारंटी भाव मिलने के लिए सोयाबीन और कपास के मुताबिक शासकीय खरीदी करने की मांग की गई है. कृषि उपज मंडी के सभापति हरीश मोरे के नेतृत्व में संचालक मंडल ने जिलाधिकारी के जरिए शासन को इस बाबत ज्ञापन भेजा है.