अमरावती/दि.11- अप्रैल के अंत में जिले की 12 बाजार समितियों के चुनाव हुए थे. इसमें तिवसा और धारणी इन दो समितियों को छोड़कर बाकी बाजार समितियों का टर्नओवर करोड़ों में है. सहकारिता में कहा जा रहा है कि बाजार समिति एक तरह से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है. इस चुनाव में हुई गहमागहमी से अब यह साफ हो गया है.
चुनाव में प्रत्यक उम्मीदवार, पैनल का खर्च, प्रचार के हुए खर्च को देखकर इसमें लाखों रुपए की बर्बादी होती है. दरअसल बाजार समिति का अर्थकारण किसानों के माल के टर्नओवर पर निर्भर करता है. इसलिए उम्मीद है कि किसान की सुविधा के लिए खर्च होगा. वास्तव में, कोई भी बाजार समिति ऐसा होते नहीं दिख रहा है. किसानों का माल गारंटीकृत मूल्य के अंदर बेचा जाने पर किसी भी बाजार समिति में प्रबंधन बोर्ड ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई है. किसानों का शोषण हो रहा है. व्यापारियों का माल शेड में और किसानों का माल खुले में नजर आता है. इसके अलावा व्यापारियों द्वारा सेस चोरी के भी कई मामले सामने आते हैं.
* सुविधाओं का अभाव
जिले की किसी भी मंडी समिति के पास किसानों और कृषि उपज के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं. सब्जी मंडी में पर्याप्त शेड, सड़कें नहीं, पार्किंग की व्यवस्था भी सही ढंग से नहीं है.
* क्या रुकेगी किसानों लूट?
सीजन में कृषि उपज आते ही दाम कम कर दिए जाते हैं, इसके अलावा किसानों की कृषि उपज को गारंटीकृत मूल्य पर खरीदा जाता है. चलनी मातेरा में किसानों का नुकसान होता है. कृषि उपज को इलेक्ट्रॉनिक कांटे से तौला नहीं जाता है.
किस समिति पर किसका राज?
बाजार समिति वर्चस्व किसका ?
अमरावती महाआघाडी
तिवसा कांग्रेस
मोर्शी महाआघाडी
वरुड भाजपा, मित्रपक्ष
चांदूर बाजार प्रहार
अचलपुर महाआघाडी
अंजनगांव सुर्जी महाआघाडी
धारणी प्रहार, मित्रपक्ष
दर्यापुर महाआघाडी
नांदगाव खंडेश्वर ढेपे गट, मित्रपक्ष
चांदुर रेल्वे महाआघाडी
धामणगांव रेल्वे महाआघाडी
* क्या है चुनौतियां ?
-कृषि उपज की नीलामी में पारदर्शिता आनी चाहिए. आढतियों ने केवल व्यापारियों का नहीं बल्कि किसानों के हित को भी देखना चाहिए, ऐसी प्रतिक्रिया किसानों द्वारा व्यक्त की जा रही है.
-शेड में व्यापारियों को ही तो किसानों का माल रखने जगह होनी चाहिए. व्यापारियों ने खरीदी किए कृषि उपज का तुरंत उठाव होना चाहिए. व्यापारियों द्वारा टैक्स चोरी पर अंकुश लगाया जाए, इससे बाजार समिति की आय बढेगी.
* किसान क्या चाहते हैं?
व्यवस्था की जाए
शेड में कृषि उपज रखने के लिए जगह नहीं, पार्किंग की सुविधा नहीं, शौचालयों की खराब स्थिति, पीने के पानी की अच्छी व्यवस्था नहीं.
– नंदकिशोर देशमुख, किसान
कार्रवाई की जानी चाहिए
मंडी समिति में गारंटीकृत मूल्य के भीतर कृषि उपज की खरीद नहीं की जा सकती है. हालांकि पूरे साल चने की खरीदारी गारंटी मूल्य के अंदर रही है. कार्रवाई की जानी चाहिए.
– अशोकराव आवारे, किसान.