अमरावतीमुख्य समाचार

दोहरे हत्याकांड मामले में दो आरोपी धरे गये

दडबडशाह बाबा की दरगाह पर हुआ था डबल मर्डर

* लालखेड से लक्ष्मण पिंपले व बडनेरा से दीपक पवार की हुई गिरफ्तारी
* लक्ष्मण पिंपले इससे पहले दस साल तक दरगाह में था मुजावर
* अपना काम छूटने के चलते नये मुजावर अनवर बेग से था नाराज
* बदला लेने की नीयत से दीपक पवार के साथ मिलकर दिया हत्याकांड को अंजाम
* वारदात के वक्त चिल्लाने से तौफिक शेख भी मारा गया
* एसपी अविनाश बारगल ने पत्रवार्ता में दिया मामले को लेकर विस्तृत ब्यौरा
अमरावती/दि.19- विगत 14 व 15 सितंबर की दरम्यानी रात बडनेरा से अकोला की ओर जानेवाले राष्ट्रीय महामार्ग पर पाला गांव के निकट स्थित हजरत दडबडशाह बाबा की दरगाह में दो लोगों की रक्तरंजीत लाशें बरामद हुई थी. जिनकी शिनाख्त विगत चार वर्ष से दरगाह में मुजावर के तौर पर काम कर रहे अनवर बेग अकबर बेग (60, लालखडी) तथा विगत चार माह से दरगाह में आकर रह रहे तौफिक शेख राजीक शेख (24, कारंजा लाड) के तौर पर हुई थी. लोणी पुलिस सहित जिला ग्रामीण पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले की जांच करते हुए लालखेड निवासी लक्ष्मण गोरख पिंपले व बैलोलपुर निवासी दीपक पवार को अपनी हिरासत मेें लिया है. जिन्होंने पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अपने अपराध को कबूल कर लिया है. जिसके मुताबिक आरोपी लक्ष्मण पिंपले इससे पहले इसी दरगाह में मुजावर के तौर पर काम किया करता था. जिससे उसे अच्छी-खासी आय हुआ करती थी. लेकिन बाद में यहां पर मुजावर के तौर पर आये अनवर बेग की वजह से लक्ष्मण पिंपले की आमदनी बंद हो गई और उसे यहां से काम छोडकर जाना पडा. जिसके चलते बदला लेने के उद्देश्य से लक्ष्मण पिंपले ने 14 व 15 सितंबर की दरम्यानी रात दरगाह में अपने स्थान पर मुजावरी कर रहे अनवर बेग की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी. साथ ही पास ही सो रहे तौसीफ शेख के अचानक नींद से उठकर शोर-शराबा मचाये जाने की वजह से उसे भी मौत के घाट उतार दिया. इस आशय की जानकारी आज जिला ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अविनाश बारगल ने पत्रवार्ता बुलाकर दी.
जिला ग्रामीण पुलिस के मंथन हॉल में बुलाई गई पत्रवार्ता में एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, इस मामले की जांच करने हेतु 7 पुलिस अधिकारियों व 35 कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बनायी गई थी और तीन मुख्य पहलुओं को ध्यान में रखकर इस मामले की जांच की जा रही थी. पुलिस ने अनुमान लगाया था कि, या तो यह इस दरगाह में आनेवाले किसी श्रध्दालु का काम हो सकता है. जिसने अपने किसी इच्छित व वांछित काम के लिए मुजावर को पैसे दिये हो और उसका काम न हुआ हो. या फिर इस मामले के पीछे गांजे की तस्करी अथवा बिक्री भी जुडी हो सकती है. क्योंकि इस परिसर में अक्सर ही गांजा पीनेवालों का जमघट लगा रहता है. वही तीसरे पहलु के तौर पर पुलिस ने इससे पहले दरगाह में मुजावर के तौर पर काम कर चुके लोगों की जानकारी हासिल करते हुए पता लगाया कि, कहीं दरगाह में श्रध्दालुओं द्वारा चढाये जानेवाले चढावे की वजह से तो यह हत्या घटित नहीं हुई है और पुलिस का यह तीसरा अनुमान ही पूरी तरह से सही साबित हुआ. जब पता चला कि, इस दरगाह में इससे पहले करीब 12 से 15 वर्ष तक लक्ष्मण पिंपले नामक व्यक्ति मुजावर के तौर पर काम किया करता था. जिसने अनवर बेग के यहां आने के बाद तीन महिने पहले ही इस दरगाह से अपना काम छोडा और काम छोडने के पहले उसके और अनवर बेग के बीच पैसों व कमाई को लेकर कुछ तनातनी भी हुई थी. यह जानकारी सामने आते ही पुलिस ने लक्ष्मण पिंपले की खोजबीन शुरू की, जो लालखेड गांव के एक मंदिर से पकडा गया. वहीं उसकी निशांदेही पर बडनेरा में छिपकर बैठे दीपक पवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया.
एसपी अविनाश बारगल के मुताबिक पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने के बाद लक्ष्मण पिंपले ने पुलिस को बताया कि, वह 10 सितंबर को ही अपने गांव से अमरावती वापिस लौटा तथा अपने बहुत पुराने दोस्त दीपक पवार से मुलाकात करते हुए दडबडशाह बाबा दरगाह के मुजावर अनवर बेग को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. पश्चात दोनों ने 14 सितंबर की शाम एक खेत में साथ बैठकर खाना खाया और रात करीब 2 बजे वे अपने साथ तेज धारदार छुरी लेकर दरगाह में पिछले हिस्से से घुसे. इस समय दरगाह के कयामगाह में अनवर बेग गहरी नींद में सो रहा था और बगल में ही तौसिफ शेख भी सोया हुआ था. ऐसे में उन्होंने दबे पांव अनवर बेग के पास पहुंचकर उसकी गर्दन पर पूरी ताकत के साथ तेज धारदार छूरी चला दी. जिससे अनवर बेग की मौके पर ही मौत हो गई. लेकिन इस समय तक अपने आसपास आवाज सुनकर तौसिफ शेख नींद से जाग गया और अपनी आंखों के सामने का नजारा देखकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा. ऐसे में उसे चूप कराने हेतु दोनों आरोपियों ने उसकी गर्दन पर भी तेज धारदार चाकू से वार किये और उसे भी जान से मार दिया. इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दोनों आरोपी अपने पीछे कोई भी सबूत बिना छोडे वहां से भाग निकले. इसके बाद लक्ष्मण पिंपले वापिस लालखेड चला गया और एक मंदिर में रहने लगा. वही दीपक पवार बडनेरा में अपने एक रिश्तेदार के यहां जाकर छिप गया, लेकिन पुलिस ने मामले की सघन जांच करने के साथ ही इन दोनों को खोज निकाला.
* दीपक पवार के समर्थन में निकला मोर्चा
इस पत्रवार्ता में एसपी अविनाश बारगल ने बताया कि, दोहरे हत्याकांड मामले में धरे गये दीपक पवार के समर्थन में कुछ लोगों ने एक मोर्चा निकालकर उन्हें ज्ञापन सौंपा. जिसमें दावा किया गया कि, इस हत्याकांड से दीपक पवार का कोई लेना-देना नहीं है और उसे पुलिस द्वारा नाहक ही इस मामले में फंसाया जा रहा है. ऐसे में एसपी अविनाश बारगल ने मोर्चे में शामिल सभी लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया और उन्हें बताया कि, पुलिस इस मामले में किसी को भी जानबूझकर नहीं फंसा रही और अगर दीपक पवार का वाकई इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था, तो वह निश्चित रूप से अदालत द्वारा बेकसुर छोड दिया जायेगा. अत: किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है.

Related Articles

Back to top button