अमरावती

राज्य में ढाई लाख फार्मासिस्ट कोविड टीकाकरण से वंचित

अब तक फार्मासिस्टों को नहीं किया गया कोरोना योध्दाओं की सुची में शामिल

  • अपनी अनदेखी से फार्मासिस्टों में दिखाई दे रहा रोष व असंतोष

अमरावती/दि.12 – स्टेट फार्मसी काउंसिल के पास पंजीकृत राज्य कि 2 लाख 50 हजार से अधिक फार्मासिस्टों को सरकारी अनदेखी का सामना करना पड रहा है. कोविड टीकाकरण अभियान के लिए बनायी गयी प्राधान्य सुची में डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी, पुलिस तथा राजस्व कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा शामिल किया गया. लेकिन कोरोना काल के दौरान अपनी जान को जोखिम में डालकर चौबीसों घंटे मेडिकल स्टोर में फार्मासिस्टों को इन कोरोना योध्दाओं की सुची में शामिल नहीं किया गया है. ऐसी जानकारी ऑल इंडिया ऑर्गनायझेशन ऑफ केमिस्ट एन्ड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगन्नाथ उर्फ आप्पासाहेब शिंदे द्वारा दी गई.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया गया कि, देश एवं प्रदेश स्तर पर फार्मासिस्टों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. इस समय कोरोना संक्रमण का खतरा शुरू हुए एक वर्ष पूर्ण हो चुका है. जिसे देखते हुए 24 मार्च 2020 को देशव्यापी लॉकडाउन शुरू किया गया था. जिसे आगामी 24 मार्च को एक वर्ष पूरा हो जायेगा. इस एक वर्ष के दौरान डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी व पुलिस कर्मी जैसे कोरोना योध्दाओं के साथ फार्मासिस्टों ने भी कंधे से कंधा मिलाकर काम किया. इस एक वर्ष के दौरान समूचे देश में करीब 350 और राज्य में 20 से 22 फार्मासिस्टों की कोविड संक्रमण की वजह से मौत हुई. साथ ही 450 से 500 केमिस्ट व फार्मासिस्ट अपने परिजनोें के साथ कोविड संक्रमण की चपेट में आये. किंतु उनकी ओर राज्य के स्वास्थ्य महकमे द्वारा ध्यान देने का सौजन्य भी नहीं दिखाया गया.
बता दें कि, समूचे देश में 8 लाख 50 हजार मेडिकल स्टोर है और 12 से 15 लाख फार्मासिस्ट है. साथ ही राज्य में 75 हजार केमिस्ट और 2 लाख 50 हजार पंजीकृत फार्मासिस्ट है. शिंदे के मुताबिक वे अब तक करीब 5 से 7 बार इस विषय को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और नीति आयोग से पत्रव्यवहार कर चुके है. किंतु इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, डॉक्टर, नर्स व पुलिस कर्मियों की तरह ही दवा विक्रेताओं का चौबीसों घंटे विभिन्न तरह के मरीजों से संपर्क होता है. ऐसे में उन्हें भी टीकाकरण अभियान में शामिल करने को लेकर महाराष्ट्र स्टेट केमिस्ट एन्ड ड्रगीस्ट एसो. के सचिव अनिल नावंदर में विगत 5 नवंबर को सीएम उध्दव ठाकरे को पत्र लिखा था. वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष जगन्नाथ शिंदे ने 8 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे पत्र में मेडिकल दुकानदारों, फार्मासिस्टों व उनके परिजनोें को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की अपील की थी. किंतु केंद्र व राज्य सरकार द्वारा केमिस्टों व फार्मासिस्टोें को अभियान में शामिल करना तो दूर, उनके द्वारा किये गये कामों की प्रशंसा में दो शब्द भी नहीं कहे गये.

एक दृष्टिक्षेप

राज्य में औषध विक्रेता – 75 हजार
रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट – 2 लाख 50 हजार
देश में औषध विक्रेता – 8 लाख 50 हजार
रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट – 12 से 15 लाख
राज्य में कोविड से मौत – 20 से 22 केमिस्ट व फार्मासिस्ट
कोरोना संक्रमित – 450 से 500 परिवार
देश में कोरोना से मौत – 350 से 400 केमिस्ट व फार्मासिस्ट
कोरोना संक्रमित – तीन से साढे तीन हजार परिवार

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व ही शहर की ख्यातनाम फार्मासिस्ट एवं रणरागिणी महिला फार्मासिस्ट फाउंडेशन (महाराष्ट्र) की अध्यक्षा भारती मनीष मोहोकार ने फार्मासिस्टों को भी कोरोना योध्दा मानते हुए उन्हें टीकाकरण अभियान की प्राधान्य सुची में शामिल किये जाने की मांग उठायी थी. इस बारे में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर भारती मोहोकार ने कहा कि, कोरोना संक्रमण काल के दौरान सभी केमिस्टों व फार्मासिस्टों ने बिना दिन-रात देखे चौबीसों घंटे मरीजों को दवा उपलब्ध कराने का काम किया. कई बार तो देर रात भी मरीजों को दवा की जरूरत पडने पर एक फोन कॉल पर भी दवा उपलब्ध करायी जाती थी, ताकि हर एक जिंदगी को बचाया जा सके. हमने अपना काम पूरे नि:स्वार्थ भाव से किया. लेकिन यह उम्मीद थी कि, जब सरकार ने टीकाकरण अभियान शुरू करते हुए सबसे पहले कोरोना योध्दाओं के रूप में हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया, तो उसमें केमिस्टों व फार्मासिस्टों का भी समावेश किया जायेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसकी वजह से सभी केमिस्टों व फार्मासिस्टों की भावनाएं आहत हुई है. सरकार को चाहिए था कि, केमिस्टों और फार्मासिस्टोें की ओर भी ध्यान देते हुए हमें प्रोत्साहित किया जाता.

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