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‘उस’ बच्चे के पेट से निकले दो बच्चे

अमरावती ने चिकित्सा क्षेत्र में रच दिया इतिहास

* सुपर स्पेशालिटी में हुआ सफल ऑपरेशन, दोनों अर्भक थे मृत
* राज्य में पहली बार सामने आया था ‘फीट्स इन फीटू’ का मामला
* बुलढाणा में प्रसूति के बाद जच्चा-बच्चा लाये गये थे अमरावती
* नवजात बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित, पेट पर लगे 12 टांके
* सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों ने झोंका अपना पूरा कौशल
अमरावती /दि.4- अमूमन सरकारी अस्पतालों को लापरवाही का अड्डा बताया जाता है तथा सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं का अभाव रहने की बात कही जाती है. लेकिन अमरावती के विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल यानि सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में आज इस धारणा को पूरी तरह से गलत साबित करते हुए चिकित्सा जगत में एक अनूठा इतिहास रच दिया है. जब राज्य में पहली बार सामने आये ‘फीट्स इन फीटू’ मामले में सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने महज तीन दिन पहले जन्मे नवजात बच्चे के पेट की सफलतापूर्वक शल्यक्रिया की इस समय ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर भी हैरत में पड गये. क्योंकि उस बच्चे के पेट में एक नहीं बल्कि दो-दो मृत अर्भक दिखाई दिये. जिन्हें डॉक्टरों की टीम ने बडी कुशलतापूर्वक बच्चे के पेट से बाहर निकाला. जिसके बाद बच्चे के पेट पर 12 टांके लगाये गये और ऑपरेशन के बाद अब उक्त नवजात बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित बताया गया है.
बता दें कि, बुलढाणा जिला निवासी एक गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के गर्भ में भी एक अर्भक रहने की बात सोनोग्राफी जांच के जरिए सामने आयी थी. मेडिकल सायंस की भाषा में इसे ‘फीट्स इन फीटू’ का बेहद दुर्लभ मामला माना जाता है. जो राज्य में पहली बार सामने आया था. जिसके चलते विगत 1 फरवरी को उक्त गर्भवती महिला की बुलढाणा में ही सिजेरियन के जरिए सकुशल प्रसूति कराई गई थी और फिर पेट में गर्भ रहने वाले नवजात बच्चे को अगले इलाज हेतु रविवार 2 फरवरी की शाम 6 बजे के आसपास अमरावती के सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में भर्ती कराते हुए बालरोग विशेष डॉ. उषा गजभिये के मार्गदर्शन में बच्चे की सोनोग्राफी व सिटी स्कैन जांच की गई. जिसके उपरान्त आज मंगलवार 4 फरवरी की सुबह सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने इस बच्चे की शल्यक्रिया की, तो पता चला कि, उस बच्चे के पेट में एक नहीं, बल्कि दो अर्भक विकसित हो गये थे, जो मृत थे. ऐसे में बच्चे के पेट से दोनों मृत अर्भकों को सफलतापूर्वक बाहर निकालकर बच्चे के पेट पर 12 टांके लगाये गये और उसे गहन चिकित्सा कक्ष में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी के तहत रखा गया. जहां उसकी स्थिति फिलहाल खतरे से बाहर बतायी जा रही है.
महज तीन की आयु वाले बच्चे पर बेहद जटिलतम शल्यक्रिया करने के उपरान्त शल्यक्रिया में शामिल डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ की टीम के सदस्यों के चेहरे पर जबर्दस्त खुशी दिखाई दी. साथ ही सभी ने बच्चे की शल्यक्रिया सफल रहने की खुशखबरी उसके परिजनों को भी दी. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस बच्चे की मां फिलहाल बुलढाणा के अस्पताल में ही भर्ती है. जिसे बच्चे की शल्यक्रिया सफल रहने की जानकारी दे दी गई है. जिसे सुनकर उक्त नवप्रसूता महिला की भी खुशी का ठिकाना न रहा.

* काफी जटिल व चुनौतिपूर्ण थी शल्यक्रिया
– नवजात बच्चे की जान को लेकर भी थी जबर्दस्त जोखिम
सुपर के डॉक्टरों ने शल्यक्रिया को बताया जीवन का बेहद अनूठा अनुभव
आज सुबह करीब डेढ घंटे तक चली शल्यक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद सुपर स्पेशालिटी अस्पताल की विशेषज्ञ डॉ. उषा गजभिये, पीडियाट्रिशियन डॉ. नवीन चौधरी व मेडिकल सुपरीटेंडंट डॉ. मंगेश मेंढे ने सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल में पत्रवार्ता बुलाते हुए इस पूरे मामले को लेकर विस्तार के साथ जानकारी दी. इस समय डॉ. उषा गजभिये ने बताया कि, मल्टीपल फीट्स इन फीटू वाले अब तक केवल 33 मामले ही दुनियाभर में सामने आये है और यह शायद दुनिया का 34 वां मामला है. जिसमें सफलतापूर्वक ढंग से शल्यक्रिया को अंजाम दिया गया. वहीं सिंगल फीट्स इन फीटू वाले अब तक पूरी दुनियाभर में 270 मामले सामने आये है. साथ ही डॉ. गजभिये ने यह भी बताया कि, मल्टीपल फीट्स इन फीटू से संबंधित यह विदर्भ क्षेत्र का संभवत: सबसे पहला मामला है. इसमें भी विशेष उल्लेखनीय है कि, किसी पुरुषलिंगी नवजात बच्चे के पेट में गर्भ रहने का यह शायद अपनी तरह का सबसे पहला मामला हो सकता है. इस लिहाज से इस बच्चे की शल्यक्रिया को सफलतापूर्वक करना सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के डॉक्टरों हेतु किसी ऐतिहासिक उपलब्धी से कम नहीं है.
इस समय नवजात बच्चे की शल्यक्रिया करते हुए उसके पेट से मृत अर्भक को बाहर निकालने के अपने अनुभव का कथन करते हुए डॉक्टरों द्वारा बताया गया कि, महज तीन दिन पहले जन्मे नवजात बच्चे के छोटे से पेट में से दो बडे ट्यूमर जैसे मांस के गोले बाहर निकालना काफी जटिल व चुनौतिपूर्ण कार्य था. जिसमें बच्चे की जान का जोखिम भी था. ऐसे मेें बच्चे को एनेथेशिया देने के साथ ही उसे रक्त की आपूर्ति करने और उसके दिल की धडकनों व श्वास को सामान्य बनाये रखने के लिए तमाम आवश्यक प्रबंध किये गये थे. जिसके बाद बच्चे के पेट पर चिरा लगाया गया, तो पता चला कि, उसके पेट में एक नहीं बल्कि दो अर्भक विकसित हुए थे. जिनके हाथ-पांव व शरीर का निचला हिस्सा कुछ हद तक विकसित हो गये थे. वहीं सिर विकसित नहीं हो पाया था तथा बच्चे के पेट के भीतर पर्याप्त रक्त आपूर्ति नहीं मिल पाने की वजह से उन दोनों अर्भकों की मौत हो गई थी. डॉ. उषा गजभिये के मुताबिक संबंधित महिला के गर्भ में बीज पृथकीकरण की प्रक्रिया हुई होगी और तीन अर्भक अलग-अलग विकसित होने की बजाय दो अर्भक तीसरे के शरीर में प्रवेश कर गये और फिर वहीं पर विकसित होने लगे. जिसकी वजह से स्थिति काफी जटिल हो गई थी. अन्यथा बहुत संभावना है कि, उस महिला ने तिडवा यानि ट्रिपलेट्स बच्चे को जन्म दिया होता. साथ ही डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की स्थिति को फिलहाल खतरे से बाहर बताते हुए अपने सभी सहयोगी डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के प्रति आभार भी जताया.

* डॉक्टरों का जितना आभार मानूं, कम है
– बच्चे के पिता किसन सुरटकर का कथन
वहीं आज सुबह बुलढाणा से लाये गये नवजात बच्चे की शल्यक्रिया सफलतापूर्वक होने के बाद बच्चे के पिता किसन सुरटकर ने बताया कि, जबसे उसे पता चला कि, उसकी पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे के पेट में भी एक बच्चा है, तो वह अपनी पत्नी और अपने गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हो गया था. जिसमें से आधी चिंता को उस समय दूर हो गई, जब उसकी पत्नी की बुलढाणा के सरकारी अस्पताल में सुरक्षित प्रसूति हुई और उसकी पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया. लेकिन इसके बाद नवजात बच्चे की जान को लेकर चिंता शुरु हो गई और दो दिन पूर्व ही उसके नवजात बच्चे को शल्यक्रिया हेतु अमरावती के सुपर अस्पताल में लाया गया. जहां के डॉक्टरों ने आज सुबह उसके बच्चे का ऑपरेशन सफलतापूर्वक करते हुए उसके बच्चे की जान बचाई ऐसे में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर उसके लिए किसी देवदूत से कम नहीं है. बुलढाणा जिले की मोताला तहसील अंतर्गत धामणगांव गढी में रहने वाले किसन सुरटकर ने यह भी बताया कि, उसकी पत्नी इससे पहले भी सिजेरियन पद्धति के जरिए दो बच्चों को जन्म दे चुकी है और अब तीसरी प्रसूति के समय भी उसकी पत्नी का सिजेरिशन हुआ. साथ ही तीसरे बच्चे की पैदाइश के समय उसकी समझ से बाहर रहने वाली समस्या सामने आ गई. लेकिन भगवान की कृपा से डॉक्टरों ने उसकी पत्नी व नवजात बच्चे की जान बचा ली.

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